जौनपुर: जिले में मेडिकल काॅलेज का निर्माण कार्य अधर में है. 6 वर्षों में केवल 41 फीसदी ही निर्माण कार्य हुआ है. साल 2014 में सपा सरकार में मेडिकल काॅलेज बनाने की स्वीकृत प्रदान की गई थी. इसके निर्माण के लिए तत्कालीन सरकार ने 554 करोड़ रुपये की लागत निर्धारित की थी. निर्माण कार्य साल 2015 में शुरू किया गया और साल 2017 विधानसभा चुनाव के पहले सपा सरकार ने मेडिकल काॅलेज में आपोडी शुरू करने की योजना बनाई थी.
प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आते ही निर्माण कार्य धीमी गति से होने लगा. मौजूदा समय में काॅलेज के निर्माण की जिम्मेदारी टाटा प्रोजेक्ट को दी गई है. निर्माण कार्य में टाटा के तहत करीब 10 से अधिक कंपनियां काम कर रही हैं. निर्माण कार्य कराने वाले ठेकेदार पैसे की कमी से जूझ रहे हैं और इस समय केवल 15 मजदूरों के सहारे निर्माण कार्य चल रहा है. बीते 6 महीनों से काम करने वाली कंपनियों को भुगतान नहीं किया गया है.
कभी मेडिकल कॉलेज में 2500 मजदूर काम करते थे, लेकिन आज केवल 15 मजदूर काम कर रहे हैं, क्योंकि कंपनियों को बीते 6 महीनों से कोई भुगतान तक नहीं हुआ है. अभी केवल 41 फीसदी ही निर्माण कार्य पूरा हो पाया है. ऐसे में तय समय में काम पूरा करना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.
योगी सरकार ने बदला मेडिकल काॅलेज का नाम
योगी सरकार ने प्रदेश के कई जिलों और स्थानों के नाम बदले हैं. वहीं जिले के मेडिकल काॅलेज का नाम 2019 में बदलकर शहीद उमानाथ राजकीय मेडिकल कॉलेज कर दिया. प्रदेश सरकार की उपेक्षा के कारण मेडिकल काॅलेज का निर्माण कार्य अधर में है. कॉलेज का निर्माण राजकीय निर्माण एजेंसी के अंतर्गत टाटा प्रोजेक्ट कर रहा है. वहीं टाटा के अंतर्गत भी छोटी-बड़ी करीब दर्जन भर से ज्यादा कंपनियां इसमें काम कर रही हैं. इन कंपनियों का बीते 6 माह से 20 से 25 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है. भुगतान नहीं होने के कारण निर्माण अधर में चल रहा है.
सरकार बजट दे तो मिले रोजगार
जानकारी के अनुसार निर्माण कार्य जब शुरू हुआ था तो इसमें करीब दो हजार से अधिक मजदूर काम करते थे, लेकिन प्रदेश सरकार के द्वारा काम करने वाली कंपनियों का भुगतान लंबित होने के कारण मजदूरों की संख्या घटकर 15 हो गई है. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार बजट दे तो निर्माण कार्य में तेजी होने के साथ ही बहुत से लोगों को रोजगार मिलेगा. काम करने वाले मजदूर सोमेने ने बताया कि कोरोना काल में बहुत से प्रवासी मजदूर पलायन कर आए हैं, जिन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है. अगर निर्माण कार्य में तेजी आ जाए तो प्रवासी मजदूरों को रोजगार मिलेगा.
निर्माण सामग्री महंगी होने से भी धीमा हुई कार्य की रफ्तार
मेडिकल कॉलेज में 2014 से ही काम कर रहे ठेकेदार सुनील यादव ने बताया कि जब निर्माण कार्य शुरू हुआ तो इसकी लागत 554 करोड़ रुपये निर्धारित की गयी थी. उन्होंने बताया कि भुगतान में देरी होने के कारण निर्माण कार्य बहुत ही धीमी गति से चल रहा है. ठेकेदार ने बताया कि मौजूदा समय में निर्माण सामग्री मूल्य में 30 से 40 फीसदी का इजाफा हुआ है. इस कारण भी निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है.
बेहतर इलाज की राह देख रहे स्थानीय लोग
स्थानीय निवासी मेडिकल काॅलेज में बेहतर इलाज की राह देख रहे हैं. ऐसे में लोगों को बेहतर इलाज पाने के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा. स्थानीय निवासी भगवान राय ने बताया कि निर्माय कार्य शुरू हुए 6 साल बीत गया है, लेकिन अभी पूरा नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि बेहतर इलाज के लिए जिले के लोगों को अन्य जिलों में जाना पड़ता है. ऐसे में पता नहीं कब जिले में बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी.
रिवाइज एस्टीमेट भेजा शासन को
राजकीय निर्माण निगम के इंजीनियर राजेश कुमार ने बताया कि कोरोना को कारण निर्माण कार्य में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि 41 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो गया है. निर्माण कार्य की लागत बढ़ गई है. रिवाइज एस्टीमेट शासन को भेजा गया है. वहां से मंजूरी मिलते ही निर्माण कार्य तेजी से शुरू होगा.