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स्कन्द पुराण में है इस शिव मंदिर का वर्णन, हर साल बढ़ती है शिवलिंग की ऊंचाई

पवित्र श्रावण मास इस बार सोमवार के साथ शुरू हो रहा है, जिससे शिव भक्त काफी खुश हैं. लेकिन इस बार ज्यादातर बड़े शिव मंदिर कोरोना की वजह से बंद हैं, जिस वजह से भक्त भोलेनाथ का दर्शन नहीं कर पा रहे हैं. वहीं जौनपुर जिले में त्रिलोचन महादेव की बात मंदिर के कपाट भी इस बार बंद है, लेकिन मंदिर की कहानी अलौकिक है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट....

त्रिलोचन महादेव
त्रिलोचन महादेव
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Published : Jul 6, 2020, 2:38 PM IST

जौनपुरः आज से पूरे देश में सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है, जिसका इंतजार शिवभक्तों को साल भर रहता है. लेकिन इस बार शिव भक्तों को कोरोना की वजह से निराशा भी हाथ लगी है, क्योंकि बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने इस बार शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाए हैं. वहीं शिवलिंग पर जलाभिषेक करने पर भी रोक लगाई गई है, जिसको लेकर शिव भक्तों में खासी उदासी भी है.

स्कंद पुराण में है उल्लेख
जौनपुर जिले में स्थित त्रिलोचन महादेव मंदिर में सबसे ज्यादा शिव भक्त पहुंचते हैं, लेकिन इस बार मंदिर प्रशासन की तरफ से दर्शन पूजन की अनुमति नहीं है. त्रिलोचन महादेव मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और अपने आप में पूरे देश में यह अनोखा मंदिर भी है. यहां पर शिवलिंग नहीं बल्कि शिव धड़ है, जिस पर भगवान शिव की आकृति अपने आप उभरी हुई है. वहीं इस शिव धड़ के बारे में मान्यता है कि यह हर साल कुछ बढ़ जाती है. इस प्राचीन मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण के 676 नंबर पृष्ठ पर भी मिलता है जिसकी वजह से इस मंदिर की प्रसिद्धि और भी बढ़ जाती है.

त्रिलोचन महादेव मंदिर.

पाताल भेदी है मंदिर
जनपद का त्रिलोचन महादेव का मंदिर काफी प्राचीन है. यह मंदिर जौनपुर और बनारस की सीमा पर स्थित है. इस मंदिर की अगर प्राचीनता की बात करें तो यह काफी पुराना मंदिर माना जाता है, क्योंकि इस मंदिर की वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है. वहीं इस मंदिर में स्थित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यहां पर काफी पहले वन था और जंगल में ही यह शिवलिंग प्रकट हुआ था, जिसकी खुदाई हुई, लेकिन इसका पता नहीं चल सका. जिसके कारण इसको पाताल भेदी भी कहा जाता है. वहीं इस शिव लिंग पर भगवान शिव की आकृति उभरी हुई है, जो अपने आप में पूरे देश में अद्भुत है. सावन के महीने में यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु भी दूर-दूर से आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से मंदिर में दर्शन पूजन पर रोक लगाई गई है.

भक्तों की हर मन्नत होती है पूरी
मंदिर में भगवान शिव का दर्शन करने आई सीता देवी बताती है कि वह काफी पहले से यहां पर आती रही हैं. वहीं यहां पर जो भी मन से मन्नत मांगी जाती है, वह पूरी होती है इसीलिए वहां पर दर्शन के लिए आई हुई हैं. मंदिर के सामने ही फूल माला बेचने वाले प्रमोद कुमार पुष्पक बताते हैं कि हर साल सावन माह में हर रोज 1 हजार से 2 हजार प्रतिदिन की कमाई हो जाती थी लेकिन इस बार तो मुश्किल लग रहा है. इस मंदिर से सैकड़ों लोगों की जीविका चलती है.

जौनपुरः आज से पूरे देश में सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है, जिसका इंतजार शिवभक्तों को साल भर रहता है. लेकिन इस बार शिव भक्तों को कोरोना की वजह से निराशा भी हाथ लगी है, क्योंकि बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने इस बार शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाए हैं. वहीं शिवलिंग पर जलाभिषेक करने पर भी रोक लगाई गई है, जिसको लेकर शिव भक्तों में खासी उदासी भी है.

स्कंद पुराण में है उल्लेख
जौनपुर जिले में स्थित त्रिलोचन महादेव मंदिर में सबसे ज्यादा शिव भक्त पहुंचते हैं, लेकिन इस बार मंदिर प्रशासन की तरफ से दर्शन पूजन की अनुमति नहीं है. त्रिलोचन महादेव मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और अपने आप में पूरे देश में यह अनोखा मंदिर भी है. यहां पर शिवलिंग नहीं बल्कि शिव धड़ है, जिस पर भगवान शिव की आकृति अपने आप उभरी हुई है. वहीं इस शिव धड़ के बारे में मान्यता है कि यह हर साल कुछ बढ़ जाती है. इस प्राचीन मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण के 676 नंबर पृष्ठ पर भी मिलता है जिसकी वजह से इस मंदिर की प्रसिद्धि और भी बढ़ जाती है.

त्रिलोचन महादेव मंदिर.

पाताल भेदी है मंदिर
जनपद का त्रिलोचन महादेव का मंदिर काफी प्राचीन है. यह मंदिर जौनपुर और बनारस की सीमा पर स्थित है. इस मंदिर की अगर प्राचीनता की बात करें तो यह काफी पुराना मंदिर माना जाता है, क्योंकि इस मंदिर की वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है. वहीं इस मंदिर में स्थित शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यहां पर काफी पहले वन था और जंगल में ही यह शिवलिंग प्रकट हुआ था, जिसकी खुदाई हुई, लेकिन इसका पता नहीं चल सका. जिसके कारण इसको पाताल भेदी भी कहा जाता है. वहीं इस शिव लिंग पर भगवान शिव की आकृति उभरी हुई है, जो अपने आप में पूरे देश में अद्भुत है. सावन के महीने में यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु भी दूर-दूर से आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से मंदिर में दर्शन पूजन पर रोक लगाई गई है.

भक्तों की हर मन्नत होती है पूरी
मंदिर में भगवान शिव का दर्शन करने आई सीता देवी बताती है कि वह काफी पहले से यहां पर आती रही हैं. वहीं यहां पर जो भी मन से मन्नत मांगी जाती है, वह पूरी होती है इसीलिए वहां पर दर्शन के लिए आई हुई हैं. मंदिर के सामने ही फूल माला बेचने वाले प्रमोद कुमार पुष्पक बताते हैं कि हर साल सावन माह में हर रोज 1 हजार से 2 हजार प्रतिदिन की कमाई हो जाती थी लेकिन इस बार तो मुश्किल लग रहा है. इस मंदिर से सैकड़ों लोगों की जीविका चलती है.

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