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इस परिषदीय विद्यालय में प्राइवेट स्कूलों के बच्चे भी पढ़ने के लिए रहते हैं लालायित, जानिए वजह - जौनपुर समाचार

यूपी सरकार ने परिषदीय स्कूलों को कॉन्वेंट स्कूलों के जैसा बनाने के प्रयास लगातार कर रही है. इसके तहत जौनपुर जिले के मीरगंज प्राथमिक विद्यालय में जनसुविधाओं को बढ़ाकर मॉडल स्कूल में तब्दील कर दिया गया है.

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शिक्षकों ने बदल दी परिषदीय स्कूल की स्थिति.
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Published : Feb 20, 2020, 9:22 AM IST

जौनपुरः अच्छी सोच के साथ किया गया प्रयास ही सफल होता है. ऐसा ही प्रयास परिषदीय स्कूलों के लिए सरकार की तरफ से किया जा रहा है. सरकार दिल्ली की तरह सरकारी स्कूलों को मॉडल स्कूलों के रूप में विकसित कर रही है. साथ ही अच्छे शिक्षक भी सरकार के इस प्रयास में चार चांद लगाने का काम कर रहे हैं.

प्राथमिक विद्यालय में बढ़ाई गईं सुविधाएं.

जौनपुर के प्राथमिक विद्यालय मीरगंज को तो सरकार ने बाद में मॉडल स्कूल घोषित किया, लेकिन यह विद्यालय यहां के शिक्षकों के प्रयास की बदौलत पहले ही क्षेत्र का चहेता स्कूल बन चुका था. इस प्राथमिक विद्यालय में 2014 में ही सीसीटीवी और इनवर्टर की सुविधा बिना किसी सरकारी सहयोग के ही उपलब्ध करा दी गई थी. आज इस स्कूल में बच्चों को प्रोजेक्टर से पढ़ाया जाता है तो वहीं देशभक्ति की धुनों पर बच्चों को डांस भी सिखाया जाता है.

दिल्ली सरकार से ले रहे हैं सीख
आज दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों की चर्चा पूरे देश में है, क्योंकि यहां के स्कूल अब पुराने सरकारी स्कूलों जैसे नहीं दिखते हैं. इससे उदाहरण लेते हुए प्रदेश सरकार भी परिषदीय विद्यालयों को बेहतर बनाने के प्रयास में जुटी हुई है. यहां पर अच्छी पढ़ाई के साथ-साथ अच्छे संस्कार भी बच्चों को सिखाए जाते हैं, जिसके चलते यहां के कॉन्वेंट स्कूलों को छोड़कर बच्चों को यहां पर प्रवेश दिलाने में अभिभावक रुचि ले रहे हैं.

छात्रों की बढ़ गई है संख्या
यहां के प्रधानाध्यापक संजय सिंह के प्रयासों की बदौलत यह स्कूल 2015 में ही स्मार्ट स्कूल बन चुका था. स्कूल के शिक्षकों खेल-खेल में छात्रों को सिखा रहे हैं, जिसके चलते यहां पर बच्चों की संख्या 350 से भी ज्यादा हो चुकी है. जिले का यह पहला स्कूल है जो स्कूल के नाम वाली कॉपियों को छपवाकर बच्चों को निशुल्क देता है. साथ ही शिक्षकों के अच्छे शिक्षण कार्य की बदौलत यहां पढ़ने वाले छात्र आईएएस और वैज्ञानिक बनना चाहते हैं.

इसे भी पढ़ें- जौनपुर: कड़ी सुरक्षा के बीच 238 परीक्षा केंद्रों पर शुरू हुई बोर्ड परीक्षा

स्कूल के अध्यापक नवीन सिंह ने बताया कि उनके स्कूल में स्मार्ट स्कूल के सरीखे के सारे संसाधन मौजूद हैं. यहां पर बच्चों को प्रोजेक्टर से पढ़ाया भी जाता है. साथ ही इस स्कूल के नाम से कॉपियां भी छपाई जाती हैं.

स्कूल के प्रधानाध्यापक संजय कुमार सिंह ने बताया कि उनका स्कूल पहले आम स्कूलों की तरह था, लेकिन सन् 2011 से उन्होंने इस स्कूल को स्मार्ट स्कूल में बदलने का प्रण किया. आज जन सहयोग की बदौलत उनके स्कूल में सारे संसाधन मौजूद हैं.

जौनपुरः अच्छी सोच के साथ किया गया प्रयास ही सफल होता है. ऐसा ही प्रयास परिषदीय स्कूलों के लिए सरकार की तरफ से किया जा रहा है. सरकार दिल्ली की तरह सरकारी स्कूलों को मॉडल स्कूलों के रूप में विकसित कर रही है. साथ ही अच्छे शिक्षक भी सरकार के इस प्रयास में चार चांद लगाने का काम कर रहे हैं.

प्राथमिक विद्यालय में बढ़ाई गईं सुविधाएं.

जौनपुर के प्राथमिक विद्यालय मीरगंज को तो सरकार ने बाद में मॉडल स्कूल घोषित किया, लेकिन यह विद्यालय यहां के शिक्षकों के प्रयास की बदौलत पहले ही क्षेत्र का चहेता स्कूल बन चुका था. इस प्राथमिक विद्यालय में 2014 में ही सीसीटीवी और इनवर्टर की सुविधा बिना किसी सरकारी सहयोग के ही उपलब्ध करा दी गई थी. आज इस स्कूल में बच्चों को प्रोजेक्टर से पढ़ाया जाता है तो वहीं देशभक्ति की धुनों पर बच्चों को डांस भी सिखाया जाता है.

दिल्ली सरकार से ले रहे हैं सीख
आज दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों की चर्चा पूरे देश में है, क्योंकि यहां के स्कूल अब पुराने सरकारी स्कूलों जैसे नहीं दिखते हैं. इससे उदाहरण लेते हुए प्रदेश सरकार भी परिषदीय विद्यालयों को बेहतर बनाने के प्रयास में जुटी हुई है. यहां पर अच्छी पढ़ाई के साथ-साथ अच्छे संस्कार भी बच्चों को सिखाए जाते हैं, जिसके चलते यहां के कॉन्वेंट स्कूलों को छोड़कर बच्चों को यहां पर प्रवेश दिलाने में अभिभावक रुचि ले रहे हैं.

छात्रों की बढ़ गई है संख्या
यहां के प्रधानाध्यापक संजय सिंह के प्रयासों की बदौलत यह स्कूल 2015 में ही स्मार्ट स्कूल बन चुका था. स्कूल के शिक्षकों खेल-खेल में छात्रों को सिखा रहे हैं, जिसके चलते यहां पर बच्चों की संख्या 350 से भी ज्यादा हो चुकी है. जिले का यह पहला स्कूल है जो स्कूल के नाम वाली कॉपियों को छपवाकर बच्चों को निशुल्क देता है. साथ ही शिक्षकों के अच्छे शिक्षण कार्य की बदौलत यहां पढ़ने वाले छात्र आईएएस और वैज्ञानिक बनना चाहते हैं.

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स्कूल के अध्यापक नवीन सिंह ने बताया कि उनके स्कूल में स्मार्ट स्कूल के सरीखे के सारे संसाधन मौजूद हैं. यहां पर बच्चों को प्रोजेक्टर से पढ़ाया भी जाता है. साथ ही इस स्कूल के नाम से कॉपियां भी छपाई जाती हैं.

स्कूल के प्रधानाध्यापक संजय कुमार सिंह ने बताया कि उनका स्कूल पहले आम स्कूलों की तरह था, लेकिन सन् 2011 से उन्होंने इस स्कूल को स्मार्ट स्कूल में बदलने का प्रण किया. आज जन सहयोग की बदौलत उनके स्कूल में सारे संसाधन मौजूद हैं.

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