जौनपुर: कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन सबसे ज्यादा गरीबों पर भारी पड़ रहा है. बड़ी संख्या में गरीब मजदूर और छोटे काम करने वाले लोग बेरोजगार हुए हैं. सरकार की मदद भी अब कम पड़ने लगी है. सरकार ने इस बीमारी से गरीबों को लड़ने के लिए कई तरह की रियायतें दी हैं, लेकिन उसके बावजूद भी हालात खराब हैं.
केराकत तहसील के डीहवा पार गांव में मुसहर जाति की आबादी है. यह जाति ईंट-भट्ठों पर काम करके अपने परिवार का पेट पालती है, लेकिन इन दिनों काम बंद होने के चलते यह बेरोजगार हो गए हैं. ऐसे में इनके पास अब परिवार का भरण पोषण करने के लिए कोई और जीवन यापन का साधन भी नहीं रहा.
वहीं जौनपुर के जिला प्रशासन ने इस जाति के लोगों के लिए खाद्यान्न का पैकेट बनाकर वितरण का काम पूरा किया है, लेकिन उसके बावजूद आज भी गांव में लोगों तक यह पैकेट नहीं पहुंचे हैं. ऐसे में इस जाति की महिलाएं लकड़ी बीन कर और खेतों में गेहूं की बालियों को बीन कर अपने परिवार का पेट पालने को मजबूर हैं.
डीहवा पार गांव की रहने वाली चमेला बताती हैं कि अभी तक उन्हें किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं मिली है और न ही उनके पास राशन कार्ड है. ऐसे में अब उनके सामने जीवन यापन का संकट छा गया है. वहीं फूलमती बताती हैं कि अब तो घर का गुजारा करना भी मुश्किल हो रहा है. खेत में गेहूं की पड़ी बालियों को वह बिन कर पेट पालने का काम कर रही हैं. अभी तक उन्हें सरकार से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिली है.
जौनपुर: लॉकडाउन में पैसे निकालने के लिए मजदूरों की लंबी कतारें लगी
जौनपुर के जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह बताते हैं कि जिले में किसी भी तरह की राशन की कोई कमी नहीं है. सब लोगों को राशन दिया जा रहा है. वहीं मुसहर जाति के लोगों तक मदद पहुंचाना उनकी प्राथमिकता है.