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एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह का आरोप मुक्ति प्रार्थना पत्र किया निरस्त - Dhananjay Singh's discharge application canceled

एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके सहयोगी संतोष विक्रम को रंगदारी व धमकी देने के मामले में आरोप मुक्ति प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया है.

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पूर्व सांसद धनंजय सिंह
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Published : Mar 15, 2022, 10:51 PM IST

जौनपुर. एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके सहयोगी संतोष विक्रम को रंगदारी व धमकी देने के मामले में आरोप मुक्ति प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया है.

जौनपुर-मुजफरनगर निवासी नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 10 मई 2021 को लाइन बाजार थाने में तहरीर दी थी. इसमें सिंघल ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके साथी के ऊपर रंगदारी, अपहरण, धमकी के मामले में मुकदमा दर्ज कराया था.

आरोप लगाया था कि संतोष विक्रम दो साथियों के साथ वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास पर ले गए. वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए वादी को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव बनाया. इनकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगी. एफआइआर दर्ज हुई और पूर्व सांसद गिरफ्तार हुए. बाद में जमानत हुई.

आरोपितों ने साक्ष्य के अभाव में खुद को आरोप मुक्ति करने की कोर्ट से मांग की. शासकीय अधिवक्ता अरुण पांडेय व सतीश रघुवंशी ने लिखित आपत्ति दाखिल किया कि वादी की लिखित तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई है. सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर, वाट्सएप मैसेज, गवाहों के बयान व अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर आरोपियों के खिलाफ अपहरण रंगदारी व अन्य धाराओं का अपराध साबित हैं.

आरोपितों ने कई बार वादी को फोन किया है. अज्ञात लोगों द्वारा दबाव डलवाकर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया गया. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आरोपितों का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया.

यह भी पढ़ें:सीएम पद पर 22 मार्च को शपथ लेंगे योगी !

रंगदारी, अपहरण, गालियां व धमकी देने के आरोपित पूर्व सांसद व उनके सहयोगी संतोष विक्रम का आरोप मुक्ति प्रार्थनापत्र अपर सत्र न्यायाधीश एमपी एमएलए कोर्ट शरद त्रिपाठी ने निरस्त कर दिया है. दोनों आरोपितों के खिलाफ आरोप बनाने के लिए कोर्ट ने दो अप्रैल तिथि नियत की है. शासकीय अधिवक्ता अरुण पांडेय व सतीश रघुवंशी ने आरोप माफी प्रार्थना पत्र का विरोध किया है.

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जौनपुर. एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके सहयोगी संतोष विक्रम को रंगदारी व धमकी देने के मामले में आरोप मुक्ति प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया है.

जौनपुर-मुजफरनगर निवासी नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने 10 मई 2021 को लाइन बाजार थाने में तहरीर दी थी. इसमें सिंघल ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके साथी के ऊपर रंगदारी, अपहरण, धमकी के मामले में मुकदमा दर्ज कराया था.

आरोप लगाया था कि संतोष विक्रम दो साथियों के साथ वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास पर ले गए. वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए वादी को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव बनाया. इनकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगी. एफआइआर दर्ज हुई और पूर्व सांसद गिरफ्तार हुए. बाद में जमानत हुई.

आरोपितों ने साक्ष्य के अभाव में खुद को आरोप मुक्ति करने की कोर्ट से मांग की. शासकीय अधिवक्ता अरुण पांडेय व सतीश रघुवंशी ने लिखित आपत्ति दाखिल किया कि वादी की लिखित तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई है. सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर, वाट्सएप मैसेज, गवाहों के बयान व अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर आरोपियों के खिलाफ अपहरण रंगदारी व अन्य धाराओं का अपराध साबित हैं.

आरोपितों ने कई बार वादी को फोन किया है. अज्ञात लोगों द्वारा दबाव डलवाकर मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया गया. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आरोपितों का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया.

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रंगदारी, अपहरण, गालियां व धमकी देने के आरोपित पूर्व सांसद व उनके सहयोगी संतोष विक्रम का आरोप मुक्ति प्रार्थनापत्र अपर सत्र न्यायाधीश एमपी एमएलए कोर्ट शरद त्रिपाठी ने निरस्त कर दिया है. दोनों आरोपितों के खिलाफ आरोप बनाने के लिए कोर्ट ने दो अप्रैल तिथि नियत की है. शासकीय अधिवक्ता अरुण पांडेय व सतीश रघुवंशी ने आरोप माफी प्रार्थना पत्र का विरोध किया है.

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