जौनपुर: जिले में कोरोना वायरस के चलते दूध व्यापारियों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों की सब्जियां और फलों के दाम भी बाजारों में औंधे मुंह गिर पड़े. अब कलयुग में अमृत माने जाने वाले दूध पर भी इसका बुरा असर देखने को मिला है. लोगों के बीच दूध की मांग घटने से एक लीटर दूध की कीमत पानी के बराबर हो गई है.
कोरोना ने तोड़ी दूध व्यापारियों की कमर
कोरोना वायरस के इस संकट ने दूध उत्पादन करने वाले व्यापारियों की कमर तोड़कर रख दी है. पहले दुग्ध उत्पादन करने वाले लोगों को इस टाइम काफी मुनाफा होता था, लेकिन इन दिनों लॉकडाउन के चलते यह मुनाफा अब नुकसान में बदल गया है. अब दूध केवल घरेलू उपभोक्ता ही खरीद रहे हैं जबकि बाजार में मिठाई, चाय और रेस्टोरेंट की दुकानें बंद होने से दूध की मांग पर काफी असर पड़ा है.
पानी से कम हुए दूध के दाम
जिले के ग्रामीण इलाकों में गाय के दूध की कीमत इतनी कम हो गई है जो कई दशक पहले हुआ करती थी. ग्रामीण इलाकों में 17 से 18 रुपए प्रति लीटर गाय का दूध बिक रहा है तो वहीं भैंस का दूध 25 रुपए लीटर हो गया है. जबकि लॉकडाउन से पहले दूध का दाम 50 रुपए प्रति लीटर हुआ करता था. दूध के गिरते दाम से दूध उत्पादक बेहद परेशान हैं, क्योंकि पशुओं के लिए चोकर-चारा खरीदना तक मुश्किल हो गया है.
पशुओं का खर्च निकालना हुआ मुश्किल
दूध कारोबारियों को दूध बेचकर पशुओं पर हो रहे खर्चे भी निकलना काफी मुश्किल गया है. पहले दूध की खपत मिठाई की दुकानों से लेकर चाय की दुकानों पर खूब होती थी, जिससे दूध के दाम भी अच्छे मिलते थे लेकिन इन दिनों घरेलू उपभोक्ताओं को छोड़कर बाजारों में दूध बिकना बंद हो गया है. ऐसे में दूध बेचने वाले लोग बचे हुए दूध को गरीबों को बाटकर लॉकडाउन में मानवता पेश कर रहे हैं.
दूध मंडियों में पसरा सन्नाटा
दूध मंडियों में सन्नाटा पसरा हुआ है. पहले जहां दूध की मंडियों में खूब भीड़ हुआ करती थी तो वहीं अब दूध लेने के लिए महज कुछ ही लोग पहुंचते हैं. इन दिनों दूध की घटती मांग के चलते कीमतों में भी जबरदस्त गिरावट देखने को मिल रही है. बोतल बंद पानी 20 रुपए लीटर मिलता है तो वहीं ग्रामीण इलाकों में गाय के दूध की कीमत मात्र 17 रुपए लीटर हो गई है. आलम ये है कि भैंस का दूध 25 रुपए लीटर बिक रहा है जो कि 10 साल पहले इसकी कीमत हुआ करती थी.
इन दिनों दूध का दाम काफी कम है, क्योंकि बाजार में अब दूध की मांग नहीं रह गई है. अब दूध बेचकर पशुओं पर होने वाले खर्च की पूर्ति भी नहीं हो पा रही है, क्योंकि चोकर के दाम बेहद ज्यादा है, जबकि दूध के दाम पहले से आधे हो गए हैं.
चंद्रमौली, दूध व्यापारी