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जौनपुर: शेखू शाह बाबा की मजार की वजह से है इस पुल का अस्तित्व - shah bridge in junpur

जिले का शाह पुल आज भी मजबूती की मिसाल बना हुआ है. लोगों की ऐसी मान्यता है कि शेखू शाह बाबा की मजार की वजह से ही शाही पुल का अस्तित्व बना हुआ है.

मजबूती की मिसाल बना हुआ है जौनपुर का शाह पुल.
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Published : Jun 8, 2019, 4:41 PM IST

जौनपुर: शिराजे हिंद नाम से मशहूर जौनपुर एक ऐतिहासिक जिला है. शर्की शासनकाल में जौनपुर उत्तर भारत की राजधानी रह चुका है. यहां कई ऐतिहासिक इमारतें आज भी मजबूती की मिसाल बनी हुई हैं. जिनमें शाही पुल का नाम सबसे ऊपर है.

मजबूती की मिसाल बना हुआ है जौनपुर का शाह पुल.

अकबर के शासनकाल में हुआ था निर्माण

शाही पुल का निर्माण 1564 ई. में अकबर के शासनकाल में मुइन खानखाना ने कराया था.
यह देश का इकलौता पुल है जो मुख्य सड़क पृथ्वी तल पर निर्मित है. इस पुल पर शहर का आवागमन आज भी चालू है.
इस पुल को आज 455 साल पूरे हो चुके हैं फिर भी यह पुल मजबूती की मिसाल बना हुआ है.
इस पुल की मजबूती और लंबी आयु के पीछे शेखू शाह बाबा की मजार को माना जाता है.

40 फकीरों के साथ पूजा-पाठ के बाद हुआ था निर्माण

शाही पुल के निर्माण को एक कहावत प्रचलित है. बताया जाता है शाही पुल के निर्माण के समय यह पुल रोज गिर जाता था.
इस बात से परेशान होकर शेखू शाह बाबा ने पुल के निर्माण के लिए 40 फकीरों के साथ पूजा-पाठ की, तब जाकर यह पुल बन पाया.
उन्होंने कहा था क्योंकि मरने के बाद उनकी मजार पुल के शेर मस्जिद में स्थापित कराई जाए.
लोगों की ऐसी मान्यता है कि शेखू शाह बाबा की मजार की वजह से ही शाही पुल की मजबूती और उसका अस्तित्व बना हुआ है. वहीं मजार के होने की वजह से ही पुल पर कोई हादसा तक नहीं होता.

जौनपुर: शिराजे हिंद नाम से मशहूर जौनपुर एक ऐतिहासिक जिला है. शर्की शासनकाल में जौनपुर उत्तर भारत की राजधानी रह चुका है. यहां कई ऐतिहासिक इमारतें आज भी मजबूती की मिसाल बनी हुई हैं. जिनमें शाही पुल का नाम सबसे ऊपर है.

मजबूती की मिसाल बना हुआ है जौनपुर का शाह पुल.

अकबर के शासनकाल में हुआ था निर्माण

शाही पुल का निर्माण 1564 ई. में अकबर के शासनकाल में मुइन खानखाना ने कराया था.
यह देश का इकलौता पुल है जो मुख्य सड़क पृथ्वी तल पर निर्मित है. इस पुल पर शहर का आवागमन आज भी चालू है.
इस पुल को आज 455 साल पूरे हो चुके हैं फिर भी यह पुल मजबूती की मिसाल बना हुआ है.
इस पुल की मजबूती और लंबी आयु के पीछे शेखू शाह बाबा की मजार को माना जाता है.

40 फकीरों के साथ पूजा-पाठ के बाद हुआ था निर्माण

शाही पुल के निर्माण को एक कहावत प्रचलित है. बताया जाता है शाही पुल के निर्माण के समय यह पुल रोज गिर जाता था.
इस बात से परेशान होकर शेखू शाह बाबा ने पुल के निर्माण के लिए 40 फकीरों के साथ पूजा-पाठ की, तब जाकर यह पुल बन पाया.
उन्होंने कहा था क्योंकि मरने के बाद उनकी मजार पुल के शेर मस्जिद में स्थापित कराई जाए.
लोगों की ऐसी मान्यता है कि शेखू शाह बाबा की मजार की वजह से ही शाही पुल की मजबूती और उसका अस्तित्व बना हुआ है. वहीं मजार के होने की वजह से ही पुल पर कोई हादसा तक नहीं होता.

Intro:जौनपुर।।शिराजे हिंद नाम से मशहूर जौनपुर एक ऐतिहासिक जिला है । शर्की शासनकाल में जौनपुर उत्तर भारत की राजधानी रह चुका है । जौनपुर में कई ऐतिहासिक इमारतें आज भी मजबूती की मिसाल बनी हुई हैं जिनमें शाहीपुर का नाम सबसे ऊपर है। शाही पुल का निर्माण 1564 ईस्वी में अकबर मुनीम ने करवाया था। यह देश का इकलौता पुल है जो सड़क पृथ्वी तल पर निर्मित है। इस पुल पर शहर का आवागमन आज भी चालू है। शाही पुल की मजबूती और उसकी लंबी उम्र के पीछे शेखू शाह बाबा की मजार की शक्तिओ को माना जाता है। यह मजार पुल के बीच शेर मस्जिद में स्थित है जिसकी वजह से ही पुल का अस्तित्व कायम हुआ है। ऐसी मान्यता है कि शेखू शाह बाबा के आशीर्वाद से पुल पर आज तक कोई बड़ा हादसा तक नहीं हुआ।


Body:वीओ।।जौनपुर का शाही पुल का निर्माण अकबर के शासन काल में मुनीब खानखाना ने कराया था। इस पुल को आज 455 साल पूरे हो चुके हैं फिर भी यह पुल मजबूती की मिसाल बना हुआ है। यह पुल देश का इकलौता है जो सड़क और पृथ्वी तल पर निर्मित है। इस पुल की मजबूती और लंबी आयु के पीछे शेखू शाह बाबा की मजार को माना जाता है । शाही पुल के निर्माण को एक कहावत प्रचलित है । बताया जाता है शाही पुल के निर्माण के समय यह पुल रोज गिर जाता था। इस बात से परेशान होकर शेखू शाह बाबा ने पुल के निर्माण के लिए 40 फकीरों के साथ पूजा पाठ की तब जाकर यह पुल बन पाया। वही उन्होंने कहा था क्योंकि मरने के बाद उनकी मजार पुल के शेर मस्जिद में स्थापित कराई जाए। आज लोगों की ऐसी मानता है कि शेखू शाह बाबा की मजार की वजह से ही शाही पुल की मजबूती और उसका अस्तित्व बना हुआ है । वहीं मजार के होने की वजह से ही पुल पर कोई हादसा तक नहीं होता है।


Conclusion:बाइट-कारीजिया जौनपुरी -इमाम शेर मस्जिद



पीटीसी

Dharmendra singh
jaunpur
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