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कोरोना महामारीः दूसरों को बचाने में गई जान, परिवार को है गर्व भी और दर्द भी

कोरोना महामारी से पूरी दुनिया संघर्ष कर रही है. बचाव के तमाम रास्ते खोजे जा रहे हैं. मुसीबत की इस घड़ी में कई समाजसेवियों ने दूसरों की मदद करने में प्रशंसनीय भूमिका निभाई. ऐसे फ्रंटलाइन वर्कर्स का योगदान शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, लेकिन इस काम में कई लोगों की जान भी चली गई. जौनपुर के ऐसे ही फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिजनों ने अपना दर्द ईटीवी भारत से साझा किया.

फ्रंटलाइन वर्कर्स का संघर्ष
फ्रंटलाइन वर्कर्स का संघर्ष
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Published : Apr 13, 2021, 4:56 PM IST

जौनपुरः कोरोना महामारी के संकट में जब सब लोग बचाव के रास्ते ढूंढ रहे थे, उस समय भी कुछ लोग थे जो दूसरों को बचाने में लगे थे. ये लोग थे फ्रंटलाइन वर्कर्स. इन्होंने कोविड-19 से लोगों को बचाने में जो संघर्ष किया उसकी तुलना नहीं की जा सकती. फ्रंटलाइन वर्कर्स ने अपनी जान जोखिम में डालकर कई लोगों की मदद की, मगर ऐसे में कई फ्रंटलाइन वर्कर्स खुद कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए और अपनी जान भी गंवानी पड़ी. Etv भारत ने ऐसे ही कुछ फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिवार से बातचीत की. देखिये ये रिपोर्ट

फ्रंटलाइन वर्कर्स का संघर्ष
समाजसेवा करने के दौरान आए संक्रमण की चपेट में
जौनपुर के रवि मंगलानी कोरोना के दौरान सामाजिक सेवा करते थे. घर पर ही राशन पैक करवा कर लोगों में वितरित करते थे. इस दौरान उनकी पत्नी सरिता मिंगलानी भी उनका भरपूर सहयोग करती थीं. संक्रमण की चपेट में आने से रवि मिंगलानी की मौत हो गई. कोरोना का कहर उनके परिवार पर भी बरपा. सरिता मिंगलानी बताती हैं कि कोरोना ने उनके परिवार का मुखिया छीन लिया. उनके पति संक्रमण के दौरान पूरा एहतियात भी बरतते थे मगर बदकिस्मती से वह कोरोना से संक्रमित हो गए.
कोरोना ने बदल दी जिंदगी, बढ़ गयी जिम्मेदारी
सरिता घर पर अब अपने बच्चों और पोते के साथ रहती हैं. घर के साथ-साथ वह दुकान की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं. इन्हीं जिम्मेदारियों के बीच निरंतर उन्हें किसी की याद आती है तो वो हैं उनके पति जो अब इस दुनिया में नहीं है. सरिता बताती है कि रवि मिंगलानी जरूरतमंदों को राशन उपलब्ध करवाते थे. उनकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता. उनका छोटा सा पोता दादा को खूब याद करता है. कोरोना के कारण उनकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल गई है. उनकी जिंदगी में अब कुछ बचा नहीं है. परिवार की जिम्मेदारी संभालनी है. मुखिया के नहीं होने के कारण कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
बढ़चढ़ कर करते थे सहयोग, कोरोना से हो गए संक्रमित
रवि मिंगलानी की तरह ही संजीव जैसवाल भी सामाजिक संस्था के साथ जुड़े हुए थे. पिछले सितंबर में वह कोरोना से संक्रमित हो गए थे. उनके भाई संजय जैसवाल बताते हैं कि उनकी कोरोना की जांच भी हुई थी. पहली बार रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. उसके बाद संजीव जैसवाल ने बुखार की शिकायत की.
अस्पताल में भर्ती, बेहद खराब थी व्यवस्था
तबीयत बिगड़ने पर उनके भाई ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल की हालत बेहद खराब थी. किसी तरह स्थानीय लोगों के सहयोग से उन्हें अस्पताल में सुविधा उपलब्ध कराई गई, मगर कोरोना के संक्रमण के कारण संजीव जैसवाल को अपनी जान गंवानी पड़ी. इसका सबसे बुरा असर उनके पत्नी आए बच्चों पर पड़ा.

इसे भी पढ़ेंः इनका क्या करें साहब! न दो गज की दूरी, न ही मास्क जरूरी

दाहिना हाथ था भाई, सबकुछ लील गया कोरोना
संजय जैसवाल बताते हैं कि उनका भाई दाहिना हाथ था. बचपन से ही उनके हर काम में वह उनकी मदद करता था. कोरोना महामारी में हम दोनों मिलकर संघर्ष कर रहे थे. कोरोना महामारी ने मेरे भाई को छीन लिया.

जौनपुरः कोरोना महामारी के संकट में जब सब लोग बचाव के रास्ते ढूंढ रहे थे, उस समय भी कुछ लोग थे जो दूसरों को बचाने में लगे थे. ये लोग थे फ्रंटलाइन वर्कर्स. इन्होंने कोविड-19 से लोगों को बचाने में जो संघर्ष किया उसकी तुलना नहीं की जा सकती. फ्रंटलाइन वर्कर्स ने अपनी जान जोखिम में डालकर कई लोगों की मदद की, मगर ऐसे में कई फ्रंटलाइन वर्कर्स खुद कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए और अपनी जान भी गंवानी पड़ी. Etv भारत ने ऐसे ही कुछ फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिवार से बातचीत की. देखिये ये रिपोर्ट

फ्रंटलाइन वर्कर्स का संघर्ष
समाजसेवा करने के दौरान आए संक्रमण की चपेट में
जौनपुर के रवि मंगलानी कोरोना के दौरान सामाजिक सेवा करते थे. घर पर ही राशन पैक करवा कर लोगों में वितरित करते थे. इस दौरान उनकी पत्नी सरिता मिंगलानी भी उनका भरपूर सहयोग करती थीं. संक्रमण की चपेट में आने से रवि मिंगलानी की मौत हो गई. कोरोना का कहर उनके परिवार पर भी बरपा. सरिता मिंगलानी बताती हैं कि कोरोना ने उनके परिवार का मुखिया छीन लिया. उनके पति संक्रमण के दौरान पूरा एहतियात भी बरतते थे मगर बदकिस्मती से वह कोरोना से संक्रमित हो गए.
कोरोना ने बदल दी जिंदगी, बढ़ गयी जिम्मेदारी
सरिता घर पर अब अपने बच्चों और पोते के साथ रहती हैं. घर के साथ-साथ वह दुकान की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं. इन्हीं जिम्मेदारियों के बीच निरंतर उन्हें किसी की याद आती है तो वो हैं उनके पति जो अब इस दुनिया में नहीं है. सरिता बताती है कि रवि मिंगलानी जरूरतमंदों को राशन उपलब्ध करवाते थे. उनकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता. उनका छोटा सा पोता दादा को खूब याद करता है. कोरोना के कारण उनकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल गई है. उनकी जिंदगी में अब कुछ बचा नहीं है. परिवार की जिम्मेदारी संभालनी है. मुखिया के नहीं होने के कारण कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
बढ़चढ़ कर करते थे सहयोग, कोरोना से हो गए संक्रमित
रवि मिंगलानी की तरह ही संजीव जैसवाल भी सामाजिक संस्था के साथ जुड़े हुए थे. पिछले सितंबर में वह कोरोना से संक्रमित हो गए थे. उनके भाई संजय जैसवाल बताते हैं कि उनकी कोरोना की जांच भी हुई थी. पहली बार रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. उसके बाद संजीव जैसवाल ने बुखार की शिकायत की.
अस्पताल में भर्ती, बेहद खराब थी व्यवस्था
तबीयत बिगड़ने पर उनके भाई ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल की हालत बेहद खराब थी. किसी तरह स्थानीय लोगों के सहयोग से उन्हें अस्पताल में सुविधा उपलब्ध कराई गई, मगर कोरोना के संक्रमण के कारण संजीव जैसवाल को अपनी जान गंवानी पड़ी. इसका सबसे बुरा असर उनके पत्नी आए बच्चों पर पड़ा.

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दाहिना हाथ था भाई, सबकुछ लील गया कोरोना
संजय जैसवाल बताते हैं कि उनका भाई दाहिना हाथ था. बचपन से ही उनके हर काम में वह उनकी मदद करता था. कोरोना महामारी में हम दोनों मिलकर संघर्ष कर रहे थे. कोरोना महामारी ने मेरे भाई को छीन लिया.

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