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रुढ़ियों को तोड़कर बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज, पिता को दी मुखाग्नि

जौनपुर जिले के रामघाट का नजारा बुधवार को बिल्कुल अलग था. यहां घाट पर एक बेटी ने रुढ़ियों को तोड़ कर एक बेटे का फर्ज निभाया है. दरअसल, इस बेटी ने सामाजिक बंधनों को तोड़कर अपने पिता को मुखाग्नि दी है.

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Published : Mar 14, 2021, 7:12 AM IST

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जौनपुर: जौनपुर जिले के बगीचा उमरखान मोहल्ला निवासी शिव कुमार साहू पेशे से हलवाई थे. इस काम के जरिए वह अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. लंबे समय से बीमारी से पीड़ित शिवकुमार की मृत्यु मंगलवार को देर रात हो गई. शिव कुमार की पत्नी की मौत काफी पहले हो चुकी थी. शिव कुमार के घर पर बस उनकी मां और 13 साल की बेटी मीरा ही थी.



शिवकुमार की मौत के बाद से दोनों का रो-रोकर बुरा हाल था. वहीं, अंतिम संस्कार के लिए न तो परिजनों के पास पैसे थे और न तो कुछ सोचने और समझने की हिम्मत. आसपास और मोहल्ले के लोगों ने कुछ पैसे इकट्ठे कर अंतिम संस्कार की सामग्री जुटाई. मगर समस्या यह थी कि शिव कुमार को मुखाग्नि देगा कौन. शिव कुमार का कोई बेटा नहीं था जबकि बुजुर्ग पिता मुंबई में बेटियों के साथ रहते हैं. उन्हें जौनपुर आने में भी दो-तीन दिन का समय लगता.



आस-पास के लोग जब तक कोई फैसला ले पाते तब तक 13 साल की बेटी मीरा आगे आई और खुद पिता का दाह संस्कार करने की बात कहने लगी. बेटी की बात पर मोहल्ले के लोग हैरान हो गए. फिर बेटी के हौसले को सराहते हुए शव श्मशान घाट ले गए. राम घाट पर बेटी द्वारा अपने पिता को मुखाग्नि दी गई. यह मंजर देखकर हर किसी की आंखें नम थीं. वहीं, घर पर मौजूद लोग बेटी के हौसले की सराहना कर रहे थे.

जौनपुर: जौनपुर जिले के बगीचा उमरखान मोहल्ला निवासी शिव कुमार साहू पेशे से हलवाई थे. इस काम के जरिए वह अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. लंबे समय से बीमारी से पीड़ित शिवकुमार की मृत्यु मंगलवार को देर रात हो गई. शिव कुमार की पत्नी की मौत काफी पहले हो चुकी थी. शिव कुमार के घर पर बस उनकी मां और 13 साल की बेटी मीरा ही थी.



शिवकुमार की मौत के बाद से दोनों का रो-रोकर बुरा हाल था. वहीं, अंतिम संस्कार के लिए न तो परिजनों के पास पैसे थे और न तो कुछ सोचने और समझने की हिम्मत. आसपास और मोहल्ले के लोगों ने कुछ पैसे इकट्ठे कर अंतिम संस्कार की सामग्री जुटाई. मगर समस्या यह थी कि शिव कुमार को मुखाग्नि देगा कौन. शिव कुमार का कोई बेटा नहीं था जबकि बुजुर्ग पिता मुंबई में बेटियों के साथ रहते हैं. उन्हें जौनपुर आने में भी दो-तीन दिन का समय लगता.



आस-पास के लोग जब तक कोई फैसला ले पाते तब तक 13 साल की बेटी मीरा आगे आई और खुद पिता का दाह संस्कार करने की बात कहने लगी. बेटी की बात पर मोहल्ले के लोग हैरान हो गए. फिर बेटी के हौसले को सराहते हुए शव श्मशान घाट ले गए. राम घाट पर बेटी द्वारा अपने पिता को मुखाग्नि दी गई. यह मंजर देखकर हर किसी की आंखें नम थीं. वहीं, घर पर मौजूद लोग बेटी के हौसले की सराहना कर रहे थे.

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