जौनपुर: भाजपा सांसद रवि किशन ने विरोधी पार्टियों पर दिल्ली में किसान आंदोलन में साफा पहन कर खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाने का आरोप लगाया है. फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में जौनपुर आए सांसद और कलाकार रवि किशन ने गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से निशान साहिब का झंडा फहराने को किसान आंदोलन के खिलाफ साजिश बताया है.
'गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा निराशाजनक'
दरअसल, गोरखपुर के भाजपा सांसद रवि किशन ने जौनपुर में फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में आए हुए हैं. इस दौरान ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए रवि किशन ने बताया कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई हिंसा निराशाजनक है. घटना के दृश्य भुलाए नहीं भूल रहे हैं. लाल किले की प्राचीर पर निशान साहिब का झंडा फहराना किसान का काम नहीं है. किसान आंदोलन की आड़ में अराजक तत्वों द्वारा इस तरह का कार्य किया गया. किसानों को बदनाम करने के लिए एक बहुत बड़ी साजिश रची गई और अंततः यह लोग कामयाब भी हुए. विरोधी दल के लोग साफा पहनकर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाते थे.
उन्होंने कहा 26 जनवरी को हुई हिंसा के दौरान बहुत सारे पुलिसकर्मी चोटिल हुए हैं. यह दृश्य बेहद डरावना था और इससे पूरा देश कांप गया. दिल्ली में जिस तरह से राष्ट्रीय ध्वज के साथ छेड़खानी हुई उससे मात्र दुश्मन देश खुश हो सकते हैं. देश की 135 करोड़ की आबादी के लिए यह बेहद दुखद और अपमानजनक है.
'आंदोलन करने पर किसी तरह की कोई रोक नहीं'
रवि किशन ने आगे कहा कि आंदोलन करने पर किसी तरह की कोई रोक नहीं है. आंदोलन के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कुछ नहीं कहा, मगर आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिए. ट्रैक्टर रैली के संदर्भ में उन्होंने कहा कि रैली को शांतिपूर्ण तरीके से कराना चाहिए था. जब रूट और आवश्यक दिशा-निर्देश तय हो गए थे तो फिर लाल किले जाने का कोई औचित्य नहीं था. इस उपद्रव के कारण लगभग 300 बच्चे भी प्रभावित हुए जो लाल किला घूमने गए हुए थे.
'उपद्रव करने वाले लोगों पर हो सख्त से सख्त कार्रवाई'
रवि किशन ने कहा कि इस वाहियात दृश्य को भुलाना मुश्किल है. तिरंगा से छेड़खानी करने वाले और इस तरह का उपद्रव करने वाले लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. जिससे भविष्य में अगर कोई ऐसा करने की सोचे भी तो उसकी रूह कांप जाए. भावुक होते हुए उन्होंने कहा यह सब सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या इसी दिन के लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया था और देश को आजादी दिलाई थी. आजाद भारत में आंदोलन करने की कोई मनाही नहीं है मगर आंदोलन की आड़ में हिंसा किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी.