जौनपुर: बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में अब तक बच्चों को बुलाकर पोषाहार ही बांटा जाता था, लेकिन अब जनपद में आंगनबाड़ी केंद्र की तस्वीरें बदल चुकी हैं. यहां पर बच्चों को नर्सरी की पढ़ाई कराई जा रही है. प्रदेश सरकार का प्रयास है कि आंगनबाड़ी केंद्र के स्कूलों में 3 से 6 साल तक के बच्चों की प्री स्कूल की पढ़ाई कराई जाए, जिससे वह आगे के स्कूलों में प्रवेश लेने के लिए तैयार हो सकें. सरकार ने आंगनबाड़ी केन्द्रों में सुविधाओं के साथ-साथ बच्चों को मनोरंजक और आकर्षक तरीके से खेल के साथ शिक्षा की भी व्यवस्था की है.
जनपद में जिला कार्यक्रम अधिकारी के प्रयास की बदौलत जनपद के 91 आंगनबाड़ी केंद्रों को स्मार्ट बनाया गया है. यह आंगनबाड़ी केंद्र अब पूरी तरह से सज संवर गए हैं. जिसके चलते यह बच्चों को दूर से ही आकर्षित करते हैं. इन आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों को टेबल-कुर्सी के साथ खिलौने भी दिए जा रहे हैं. वहीं बच्चों को खेल-खेल में क्रियाकलाप के द्वारा पढ़ाई कराई जा रही है. यहां तक कि इन आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों का अन्नप्राशन और महिलाओं की गोद भराई भी कराई जा रही है.
आंगनवाड़ी केंद्रों में रंग बिरंगी साज सज्जा की गई है.कक्षा में बड़े बड़े चार्ट पोस्टर्स और कटआउट्स भी लगाए गए हैं. इन केंद्र में अब बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर है, दीवारों पर रंग रंग-बिरंगे अक्षर, फल, सब्जियों के साथ जानवरों की जानकारी भी दी जा रही है. इसी प्रकार जिले के 91 आंगनवाड़ी केंद्रों को जन सहयोग की मदद से जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश कुमार मिश्रा ने पूरी तरीके से स्मार्ट बना दिया है. ये आंगनवाड़ी केंद्र अपनी रंग रूप से बच्चों को दूर से ही आकर्षित कर रहे हैं.
आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका सीमा यादव ने बताया कि अब आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों की प्री स्कूल की पढ़ाई कराई जा रही है. वहीं, आंगनबाड़ी केंद्र अब पहले से बहुत बदल चुके हैं. जिसके चलते बच्चों को यहां हर तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं. वहीं बच्चों को अब यहां पढ़ना और आना अच्छा लगता है.
जब से पोषाहार वितरण चालू हुआ, बहुत तरह की गतिविधियां आंगनबाड़ी केन्द्रों में संचालित होती हैं. महिलाओं के लिए गोद भराई, बच्चों के लिए अन्नप्राशन है, लेकिन 3 से 6 साल तक के बच्चे आते हैं, उनका भविष्य संवारने के लिए एक प्रयास किया गया है. हमने मॉडल के तौर पर आंगनबाड़ी केन्द्रों को डेवलप कराया है. यह लोगों के सहयोग से हो रहा है. इसमें सरकारी धन खर्च नहीं है.
- राकेश कुमार मिश्र, जिला कार्यक्रम अधिकारी