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जालौनः तकनीक की मार, बंद हो रहा कालपी कागज का करोबार - एक जिला एक उत्पाद

यूपी के जालौन में कालपी के कागजों का अपना एक इतिहास और महत्व है. यहां निर्मित कागज देश ही नहीं विदेशों में भी जाने जाते हैं, लेकिन अब यह उद्योग धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. पहले यहां 200 छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां हुआ करती थी.

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कालपी का कागज उद्योग.
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Published : Dec 11, 2019, 2:28 AM IST

जालौन: बुंदेलखंड के सात जनपदों में से एक जालौन के मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर कल्पमुनि की ऐतिहासिक नगरी कालपी में हाथ कागज उद्योग एक परम्परागत उद्योग है. इस उद्योग से कालपी तथा कालपी के आसपास रहने वाले तकरीबन दस हजार लोग अपने हुनर से अपने परिवार का पेट भरते चले आ रहे हैं. वैसे तो पूरे देश में कागज का निर्माण होता है, लेकिन कालपी में बनने वाले कागज को हाथों से बनाया जाता है. इससे कुटीर उद्योगो को महत्व तो मिलता ही है. साथ ही काफी लोगों को रोजगार देने का काम भी करता है. यहां के कारीगरों द्वारा बनाया गया उत्तम कागज देश-विदेश में अपनी लोकप्रियता के लिए मशहूर है.

कालपी का कागज उद्योग.

कालपी का कागज राष्ट्रपति से हुआ है सम्मानित
यहां निर्मित कागज राष्ट्रपति से कई बार सम्मानित होने का गौरव भी प्राप्त कर चुका है. इस कागज की खाशियत है कि ये कागज दस्तावेजी है. हाथ से बनाए गए इस कागज से शादी कार्ड, वाल पेपर, आभूषण, सजावटी सामान आदि बनाए जाते हैं. यदि इस कागज को भीगने से बचाया जाए, तो यह सालों-साल जस का तस रखा रहता है.

जीएसटी की मार से बंद होने के कगार पर है कालपी का कागज उद्योग
एक जिला एक उत्पाद में शामिल होने के बाद भी कालपी का कागज उद्योग बढ़ती हुई विद्युत की दरों और जीएसटी की मार से बंद होने की कगार पर पहुंचने वाला है. जिससे यहां पर कई मजदूर बेरोजगार हो गये तो कई व्यापारियों को अपनी फैक्ट्री मजबूरन बंद करनी पड़ रही है.

जानिए कैसे बनता हैं हाथ से बना कागज
कालपी के कागज फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर पुराने एवं बेकार पड़े हुए कपड़ो के साथ सूती कपड़े की कटान, अखबार, कागज आदि को बड़े-बड़े हौदों में कई दिनों तक गलाते है, फिर उसे बीटर नामक मशीन में एकदम महीन करते हैं. साथ ही कारीगरों के द्वारा महीन पिसे हुये कागज को हौदों में डाल कर उसको मशीन द्वारा कागज बनाया जाता है, जब कागज गीला होता है, तो उसे फैक्ट्री में लगे मजदूरों द्वारा कागज को धूप में सुखाया जाता है, जब कागज सूख जाता है तो फैक्ट्री में लगी महिला मजदूरों द्वारा उसे अलग-अलग रंग से पुतने के लिये दे दिया जाता है. कागज पुतकर तैयार हो जाता है, तो उसे बिकने के लिए बाजार में भेज दिया जाता है.

बची है केवल 50 फैक्ट्रियां
जब हस्त निर्मित कागज फैक्ट्री की शुरुआत कालपी में हुयी थी तो सबसे पहले यहां पर छोटी बड़ी कुल 200 फैक्ट्रियां हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे यह फैक्ट्रियां बन्द होने लगीं. इसका मुख्य कारण सरकार की उदासीनता है. एक समय इन फैक्ट्रियों से बनने वाला कागज विदेशों में एक्सपोर्ट होता था, जो बांग्लादेश, भूटान, सिंगापुर से लेकर यूरोप के देशों में जाया करता था. लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण इसका ग्राफ गिरने लगा. कागज बनाने वाली फैक्ट्रियां घाटे में जाने लगी, जिसके बाद से यहां पर फैक्ट्रियों की संख्या में कमी आ गई और 200 फैक्ट्रियों से केवल 50 पर ही यह सीमित रह गई हैं.

हजारों लोगों को मिलता था रोजगार अब मिल रहा है मात्र 300 को
एक समय कालपी में संचालित होने वाली हैंड मेड कागज फैक्ट्रियों में लोकल से लेकर बाहरी लोगों को रोजगार आसानी से मिल जाता था. यहां पर एक समय में काम के आधार पर एक कागज फैक्ट्री में 30 मजदूरों एक एक साथ रोजगार मिल जाता था। लेकिन जैसे-जैसे सरकार का इस ओर ध्यान कम हुआ वैसे ही यह फैक्ट्रियां बंद होने लगी और काम करने वाले मजदूरों की संख्या में कमी आने लगी. जिस फैक्ट्री में पहले 30 की संख्या होती थी अब उस फैक्ट्री में बमुश्किल केवल 6 मजदूरों को ही रोजगार मिल पा रहा है. जिस कारण लोग पलायन करने पर विवश होने लगे है.

एक जिला एक उत्पाद का उद्यमियों को नहीं मिल पा रहा लाभ
योगी सरकार ने प्रदेश में एक जिला एक उत्पाद योजना से जिले के मुख्य व्यापार को बढ़ावा देने के लिए योजना तो शुरू कर दी, लेकिन 1 साल बीत जाने के बाद भी यह योजना इस उद्योग को संजीवनी नहीं दे पा रही है. हैंडमेड पेपर के उद्दमी राजू गुप्ता बताते हैं कि एक जिला एक उत्पाद से यहां के कागज उद्योग को बहुत ही आशा थी, लेकिन इस योजना से यहां के लोगों को बिल्कुल भी लाभ नहीं मिल पा रहा है. फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं. वह चालू नहीं हो पा रही हैं और जो चालू है वह बंद होने की कगार पर हैं.

सरकार को प्रार्थना पत्र देने के बाद भी जीएसटी में कागज उद्योग को छूट नहीं मिल पा रही है और विद्युत दरों में कटौती भी नहीं की जा रही है, जिससे मार्केट में यहां का कागज महंगा होता है और डिमांड कम होती जा रही है. वहीं जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त जीसी पाठक बताते हैं कि एक जिला एक उत्पाद के तहत कालपी के कागज उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उद्यमियों को ऋण वितरित किया जा रहा है. कुशल कारीगरों के माध्यम से लोगों को काम सिखाया जा रहा है और सरकार एक जिला एक उत्पाद के तहत उद्यमियों को लाभ देने के लिए कटिबद्ध है.

जालौन: बुंदेलखंड के सात जनपदों में से एक जालौन के मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर कल्पमुनि की ऐतिहासिक नगरी कालपी में हाथ कागज उद्योग एक परम्परागत उद्योग है. इस उद्योग से कालपी तथा कालपी के आसपास रहने वाले तकरीबन दस हजार लोग अपने हुनर से अपने परिवार का पेट भरते चले आ रहे हैं. वैसे तो पूरे देश में कागज का निर्माण होता है, लेकिन कालपी में बनने वाले कागज को हाथों से बनाया जाता है. इससे कुटीर उद्योगो को महत्व तो मिलता ही है. साथ ही काफी लोगों को रोजगार देने का काम भी करता है. यहां के कारीगरों द्वारा बनाया गया उत्तम कागज देश-विदेश में अपनी लोकप्रियता के लिए मशहूर है.

कालपी का कागज उद्योग.

कालपी का कागज राष्ट्रपति से हुआ है सम्मानित
यहां निर्मित कागज राष्ट्रपति से कई बार सम्मानित होने का गौरव भी प्राप्त कर चुका है. इस कागज की खाशियत है कि ये कागज दस्तावेजी है. हाथ से बनाए गए इस कागज से शादी कार्ड, वाल पेपर, आभूषण, सजावटी सामान आदि बनाए जाते हैं. यदि इस कागज को भीगने से बचाया जाए, तो यह सालों-साल जस का तस रखा रहता है.

जीएसटी की मार से बंद होने के कगार पर है कालपी का कागज उद्योग
एक जिला एक उत्पाद में शामिल होने के बाद भी कालपी का कागज उद्योग बढ़ती हुई विद्युत की दरों और जीएसटी की मार से बंद होने की कगार पर पहुंचने वाला है. जिससे यहां पर कई मजदूर बेरोजगार हो गये तो कई व्यापारियों को अपनी फैक्ट्री मजबूरन बंद करनी पड़ रही है.

जानिए कैसे बनता हैं हाथ से बना कागज
कालपी के कागज फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर पुराने एवं बेकार पड़े हुए कपड़ो के साथ सूती कपड़े की कटान, अखबार, कागज आदि को बड़े-बड़े हौदों में कई दिनों तक गलाते है, फिर उसे बीटर नामक मशीन में एकदम महीन करते हैं. साथ ही कारीगरों के द्वारा महीन पिसे हुये कागज को हौदों में डाल कर उसको मशीन द्वारा कागज बनाया जाता है, जब कागज गीला होता है, तो उसे फैक्ट्री में लगे मजदूरों द्वारा कागज को धूप में सुखाया जाता है, जब कागज सूख जाता है तो फैक्ट्री में लगी महिला मजदूरों द्वारा उसे अलग-अलग रंग से पुतने के लिये दे दिया जाता है. कागज पुतकर तैयार हो जाता है, तो उसे बिकने के लिए बाजार में भेज दिया जाता है.

बची है केवल 50 फैक्ट्रियां
जब हस्त निर्मित कागज फैक्ट्री की शुरुआत कालपी में हुयी थी तो सबसे पहले यहां पर छोटी बड़ी कुल 200 फैक्ट्रियां हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे यह फैक्ट्रियां बन्द होने लगीं. इसका मुख्य कारण सरकार की उदासीनता है. एक समय इन फैक्ट्रियों से बनने वाला कागज विदेशों में एक्सपोर्ट होता था, जो बांग्लादेश, भूटान, सिंगापुर से लेकर यूरोप के देशों में जाया करता था. लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण इसका ग्राफ गिरने लगा. कागज बनाने वाली फैक्ट्रियां घाटे में जाने लगी, जिसके बाद से यहां पर फैक्ट्रियों की संख्या में कमी आ गई और 200 फैक्ट्रियों से केवल 50 पर ही यह सीमित रह गई हैं.

हजारों लोगों को मिलता था रोजगार अब मिल रहा है मात्र 300 को
एक समय कालपी में संचालित होने वाली हैंड मेड कागज फैक्ट्रियों में लोकल से लेकर बाहरी लोगों को रोजगार आसानी से मिल जाता था. यहां पर एक समय में काम के आधार पर एक कागज फैक्ट्री में 30 मजदूरों एक एक साथ रोजगार मिल जाता था। लेकिन जैसे-जैसे सरकार का इस ओर ध्यान कम हुआ वैसे ही यह फैक्ट्रियां बंद होने लगी और काम करने वाले मजदूरों की संख्या में कमी आने लगी. जिस फैक्ट्री में पहले 30 की संख्या होती थी अब उस फैक्ट्री में बमुश्किल केवल 6 मजदूरों को ही रोजगार मिल पा रहा है. जिस कारण लोग पलायन करने पर विवश होने लगे है.

एक जिला एक उत्पाद का उद्यमियों को नहीं मिल पा रहा लाभ
योगी सरकार ने प्रदेश में एक जिला एक उत्पाद योजना से जिले के मुख्य व्यापार को बढ़ावा देने के लिए योजना तो शुरू कर दी, लेकिन 1 साल बीत जाने के बाद भी यह योजना इस उद्योग को संजीवनी नहीं दे पा रही है. हैंडमेड पेपर के उद्दमी राजू गुप्ता बताते हैं कि एक जिला एक उत्पाद से यहां के कागज उद्योग को बहुत ही आशा थी, लेकिन इस योजना से यहां के लोगों को बिल्कुल भी लाभ नहीं मिल पा रहा है. फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं. वह चालू नहीं हो पा रही हैं और जो चालू है वह बंद होने की कगार पर हैं.

सरकार को प्रार्थना पत्र देने के बाद भी जीएसटी में कागज उद्योग को छूट नहीं मिल पा रही है और विद्युत दरों में कटौती भी नहीं की जा रही है, जिससे मार्केट में यहां का कागज महंगा होता है और डिमांड कम होती जा रही है. वहीं जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त जीसी पाठक बताते हैं कि एक जिला एक उत्पाद के तहत कालपी के कागज उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उद्यमियों को ऋण वितरित किया जा रहा है. कुशल कारीगरों के माध्यम से लोगों को काम सिखाया जा रहा है और सरकार एक जिला एक उत्पाद के तहत उद्यमियों को लाभ देने के लिए कटिबद्ध है.

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