जालौन: शस्त्र लाइसेंस के आवेदन पत्रों में जिलाधिकारी के आदेश की नकल करने में तीन सरकारी कर्मचारियों को दोषी पाया गया है. इन लोगों ने आवेदक से सीधे आवेदन लेकर जिलाधिकारी के आवेदन में शस्त्र की मंजूरी की नकल लगा दी और जिलाधिकारी के हूबहू हस्ताक्षर भी कर दिए. जांच में मामले में संलिप्त पाए गए शस्त्र लिपिक सहित दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया और एक की सेवाएं समाप्त कर दी है.
शस्त्र लाइसेंस में फर्जीवाड़े
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब जिलाधिकारी के पास ये आवेदन उनके हस्ताक्षर सहित मंजूर होकर पहुंचे. जिला जिलाधिकारी डॉ. मन्नान अख्तर की नजर इन आवेदनों पर पड़ी तो हैरान हो गए क्योंकि हूबहू उनके हस्ताक्षर की नकल करने का प्रयास किया गया. इस मामले के पकड़ में आने पर जिलाधिकारी ने टीम गठित करते हुए पूरे मामले की जांच की. इसमें कलेक्ट्रेट के तीन कर्मचारियों को दोषी मानते हुए लिपिक सहित दो को निलंबित करते हुए एक की सेवाएं समाप्त कर दी गयी.
2008 में भी उठा था फर्जी लाइसेंस का मामला
वहीं अपर जिलाधिकारी प्रमिल कुमार सिंह ने बताया कि सन 2008 में तत्कालीन जिलाधिकारी रिग्जियान सैम्फिल के समय लाइसेंस की फर्जी किताब बनाकर शस्त्र धारकों को दे दी थी. तत्कालीन जिलाधिकारी ने सभी आरोपियों को पकड़ कर जेल में डाल दिया था और इसकी जांच तत्कालीन अपर जिलाधिकारी ने की थी.