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जालौन: महामाया योजना की हाईटेक एम्बुलेंस कबाड़ में तब्दील - महामाया योजना की हाईटेक एंबुलेंस

उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में बसपा सरकार द्वारा शुरू की गई महामाया योजना की हाईटेक एम्बुलेंस कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं.स्वास्थ्य विभाग भी इसके रखरखाव की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं महामाया योजना की हाईटैक एंबुलेंस
कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं महामाया योजना की हाईटेक एम्बुलेंस
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Published : Jul 15, 2020, 4:02 PM IST

जालौन: प्रदेश में सरकार बदलते ही कई सरकारी योजनाओं के नाम बदल दिए जाते हैं. यही नहीं कई योजनाएं कब बंद हो जाती हैं, किसी को खबर नहीं लगती है. बसपा सरकार की ऐसी ही एक महत्वकांक्षी महामाया योजना की हाईटेक एंबुलेस के पहिए बिना संचालन के ही जाम हो गए हैं. उरई के सीएमओ कार्यालय में लाखों की लागत वाले सचल अस्पताल की वैन कंडम हो चुकी हैं. स्वास्थ्य विभाग उनके रखरखाव की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

शासन की योजनाएं और उनके प्रोजेक्ट राजनीतिक परिवर्तन के कारण अधर में लटक जाते हैं. इसका जीता जागता उदाहरण महामाया सदर अस्पताल योजना है. जहां बीते 9 वर्ष से सभी सुविधाओं से लैस हाईटेक एम्बुलेंस कबाड़ में खड़ी है. जालौन जिले के 9 ब्लॉक के लिए 10 मोबाइल मेडिकल यूनिट विभिन्न सीएचसी पर तैनात की गई थी. इस महामाया सचल अस्पताल में एक डॉक्टर, टेक्नीशियन समेत चार लोगों की टीम तैनात रहती थी, जो ब्लॉक के हर क्षेत्र में जाकर लोगों का इलाज करती थी.

महामाया सचल अस्पताल मोबाइल वैन को इस तरह डिजाइन किया गया था कि सारी सुविधाएं लोगों को उनके गांव में जाकर उपलब्ध करा दी जाएं. इस चलते-फिरते अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर, एसी, दवाइयां और आईसीयू तक लगाया गया था, जिसे ऑपरेट करने के लिए एक डॉक्टर के साथ स्टाफ नर्स, फार्मेसिस्ट, वार्ड बॉय की तैनाती थी. लेकिन एनआरएचएम घोटाला खुलने के बाद महामाया सचल अस्पताल भी उसके दायरे में आ गए.

बसपा सरकार के दौरान ही सचल अस्पताल की सभी 9 वैन फील्ड से हटाकर सीएमओ कार्यालय परिसर में खड़ी कर दी गईं. हालात यह है कि खड़े-खड़े यह वाहन बुरी तरह से कंडम हो गए हैं. करोड़ों रुपए की लागत से खरीदी गई गाड़ियां कबाड़ बन चुकी हैं. स्वास्थ्य विभाग भी वाहनों के रखरखाव की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है.

जालौन: प्रदेश में सरकार बदलते ही कई सरकारी योजनाओं के नाम बदल दिए जाते हैं. यही नहीं कई योजनाएं कब बंद हो जाती हैं, किसी को खबर नहीं लगती है. बसपा सरकार की ऐसी ही एक महत्वकांक्षी महामाया योजना की हाईटेक एंबुलेस के पहिए बिना संचालन के ही जाम हो गए हैं. उरई के सीएमओ कार्यालय में लाखों की लागत वाले सचल अस्पताल की वैन कंडम हो चुकी हैं. स्वास्थ्य विभाग उनके रखरखाव की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

शासन की योजनाएं और उनके प्रोजेक्ट राजनीतिक परिवर्तन के कारण अधर में लटक जाते हैं. इसका जीता जागता उदाहरण महामाया सदर अस्पताल योजना है. जहां बीते 9 वर्ष से सभी सुविधाओं से लैस हाईटेक एम्बुलेंस कबाड़ में खड़ी है. जालौन जिले के 9 ब्लॉक के लिए 10 मोबाइल मेडिकल यूनिट विभिन्न सीएचसी पर तैनात की गई थी. इस महामाया सचल अस्पताल में एक डॉक्टर, टेक्नीशियन समेत चार लोगों की टीम तैनात रहती थी, जो ब्लॉक के हर क्षेत्र में जाकर लोगों का इलाज करती थी.

महामाया सचल अस्पताल मोबाइल वैन को इस तरह डिजाइन किया गया था कि सारी सुविधाएं लोगों को उनके गांव में जाकर उपलब्ध करा दी जाएं. इस चलते-फिरते अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर, एसी, दवाइयां और आईसीयू तक लगाया गया था, जिसे ऑपरेट करने के लिए एक डॉक्टर के साथ स्टाफ नर्स, फार्मेसिस्ट, वार्ड बॉय की तैनाती थी. लेकिन एनआरएचएम घोटाला खुलने के बाद महामाया सचल अस्पताल भी उसके दायरे में आ गए.

बसपा सरकार के दौरान ही सचल अस्पताल की सभी 9 वैन फील्ड से हटाकर सीएमओ कार्यालय परिसर में खड़ी कर दी गईं. हालात यह है कि खड़े-खड़े यह वाहन बुरी तरह से कंडम हो गए हैं. करोड़ों रुपए की लागत से खरीदी गई गाड़ियां कबाड़ बन चुकी हैं. स्वास्थ्य विभाग भी वाहनों के रखरखाव की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है.

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