हाथरस: 'रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून', रहीम दास जी की यह पंक्तियां हाथरस जिले के हसायन ब्लॉक के उन लोगों पर सटीक बैठती हैं, जो खारे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. यहां पानी तो है पर किसी मतलब का नहीं. इस पानी को इंसान का पीना तो दूर, यह जानवरों के पीने लायक भी नहीं है. न जाने कितने सालों से यहां के लोग खारे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों ने इन गांवों के खारे पानी की समस्या पर कभी भी गौर नहीं किया.
पानी नहीं मिला तो फिर से करेंगे आंदोलन
खारे पानी की समस्या से निपटने के लिए पिछले कुछ सालों से हसायन ब्लॉक के गांवों के लोगों ने तमाम आंदोलन किए, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. इस आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले महासिंहपुर ग्राम पंचायत के नगला मया गांव में पानी के लिए ओवरहेड टैंक बनाया जा रहा है. इस टैंक के बन जाने से महज एक ग्राम पंचायत महासिंहपुर और उससे लगे नगला मया और राजनगर गांव में घर-घर पानी पहुंचेगा, जिससे करीब तीन हजार की आबादी को मीठा पानी मिलने लगेगा. हालांकि गांव के लोगों को नहीं लगता है कि आने वाली गर्मी में उन्हें पीने का पानी मिल पाएगा. गांव वालों का कहना है कि यदि मई तक उन्हें पानी नहीं मिला तो उनका पुराना आंदोलन 'पानी दो या मौत' फिर से शुरू होगा.
खारे पानी की समस्या से जूझ रही 50 हजार की आबादी
नगला मया गांव निवासी चंद्रपाल ने बताया कि जिले में 61 ग्राम पंचायतों के 150 गांव की करीब 50 हजार की आबादी खारे पानी की समस्या से प्रभावित है. तमाम गांव के लोग दो-तीन किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं. चंद्रपाल ने बताया कि ग्रामीणों की इस समस्या को देखते हुए 18 अगस्त 2020 को लगभग दो करोड़ की धनराशि आवंटित हुई, जिससे तीन गांवों में पानी के लिए ओवरहेड टैंक बनाया जा रहा है.
चंद्रपाल ने बताया कि ट्यूबवेल उस स्थान पर बनाया जा रहा है, जहां पानी मीठा है. इसी ट्यूबवेल से इन टैंकों को भरा जाएगा और पीने के पानी की सप्लाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि इससे करीब ढाई से तीन हजार की आबादी लाभान्वित होगी. हालांकि इस पर भी उन्होंने नाराजगी व्यक्त की और कहा कि अभी तो इस प्रोजेक्ट पर काम न के बराबर हुआ है. यदि मई तक गांवों में पानी की सप्लाई नहीं हुई तो एक बार फिर से पुराना आंदोलन 'पानी दो या मौत' हमें मजबूरन शुरू करना पड़ेगा.
कुल्ला करने लायक भी नहीं हैंडपंप का पानी
गांव के रामपाल सिंह ने कहा कि आने वाली गर्मी में पानी मिलना मुश्किल लगता है. देखते हैं नहीं तो फिर से अपना आंदोलन खड़ा करेंगे. वहीं गांव के मोहित सिंह ने हैंडपंप पर पानी खींच कर बताया कि गांव में लगे सभी हैंडपंपों का यही हाल है. किसी का भी पानी पीने लायक नहीं है. मोहित ने बताया कि कितने नीचे भी बोरिंग करा लें, लेकिन पानी खारा ही निकलता है.
पढ़ने-लिखने की उम्र में पानी ढोने को मजबूर बच्चे
जो उम्र बच्चों के खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने की होती है, उस उम्र में यहां के गांवों के बच्चे पानी ढोते दिख जाते हैं. महासिंहपुर गांव की महिला ओम श्री ने बताया कि गांव में पानी खारा है. जब से वह यहां ब्याह कर आई हैं तभी से ऐसा ही पानी देखा है. उन्होंने बताया कि यहां का पानी इंसान के तो छोड़िए जानवरों के पीने के लायक भी नहीं है.