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दुनिया में हाथरस का नाम रोशन करने वाले काका हाथरसी अपने ही शहर में हो गए बेगाने, जानिए क्यों

हिंदी हास्य व्यंग्य काव्य के क्षेत्र में देश व दुनिया में हाथरस का नाम रोशन करने वाले हास्य सम्राट पद्मश्री काका हाथरसी की आज 28वीं पुण्यतिथि है. आज भी उनकी स्मृति में कार्यक्रम होते हैं. लेकिन, उनके कद के अनुरूप नहीं.

काका हाथरसी
काका हाथरसी
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2023, 8:07 PM IST

काका हाथरसी अपने ही शहर में हो गए बेगाने

हाथरस: हिंदी हास्य व्यंग्य काव्य के क्षेत्र में देश व दुनिया में हाथरस का नाम रोशन करने वाले हास्य सम्राट पद्मश्री काका हाथरसी का पुण्यतिथि संगम समारोह सोमवार को काका हाथरसी स्मारक भवन पर मनाया गया. यह कार्यक्रम तो हुआ. लेकिन, इसमें लोगों की उपस्थिति काका के कद के अनुरूप नहीं थी. यहां अभी भी उनकी स्मृतियों में काम अधूरे पड़े हैं. यह अलग बात है कि खुद देश के प्रधानमंत्री ने हाल ही में संसद में मणिपुर मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव के जवाब में काका की कविता को कोड किया है.

नगर पालिका की अध्यक्ष श्वेता दिवाकर ने कहा कि काका एक ऐसी शख्सियत थे, जिसने हाथरस का नाम देश ही नहीं विदेशों में भी कायम रखा. हमारे प्रधानमंत्री को लोकसभा में जब कभी वहां का माहौल खुशनुमा करना होता है तो वह काका हाथरसी की कोई न कोई कविता जरूर पढ़ते हैं. श्वेता दिवाकर ने काका हाथरसी की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में लोगों की कम उपस्थिति पर अफसोस जाहिर किया और कहा कि यही कार्यक्रम यदि नाच-गाने का होता तो लोगों की मौजूदगी अधिक होती.

काका हाथरसी की याद में हाथरस में कार्यक्रम
काका हाथरसी की याद में हाथरस में कार्यक्रम

काका हाथरसी के नजदीक रहे साहित्यकार गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि काका हाथरसी किसी परिचय के मोहताज नहीं. आवश्यकता है काका की स्मृतियों को उनके कद के अनरूप सजाने, संवारने और संरक्षित करने की, ताकि हाथरस आने वाले शोधार्थी, शिक्षार्थियों को काका के व्यक्तित्व और कृतित्व का परिचय कराया जा सके. उन्होंने काका की वह कविता पढ़ी, जिसमें उन्होंने जीवन और मौत में फर्क बताया. काका ने कहा था 'जीवन और मृत्यु में फर्क नहीं है भौत, आंख खुले तो जिंदगी, बंद होए मौत'.

साहित्यकार विद्यासागर विकल ने बताया कि काका हाथरसी आज जीवंत रूप से हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन, यश रूप से वह आज भी हमारे बीच में हैं. आज लोकसभा की कार्यवाही देखें 2017 से लेकर अब तक चाहे वह विपक्ष के नेता हों या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काका की कविताएं कोड करते रहे हैं. नरेंद्र मोदी ने तो अभी हाल ही में मणिपुर को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का विपक्षियों को जवाब देने में काका हाथरसी की रचना का पाठ किया था. यह काका हाथरसी की जीवंतता की मिसाल है. काका हाथरसी ने खुद फिल्म बनाई थी. यह अलग बात है. लेकिन, अनुष्का शर्मा फिल्म 'पीके' में उनकी रचनाओं का पाठ करती दिखाई दी थीं. यह साबित करता है कि काका हमारे बीच प्रासंगिक हैं. आज जरूरत है उनकी धरोहर को सहेज कर रखने की, ताकि इसका आगे आने वाली पीढ़ी लाभ उठा सके.

हाथरस सिटी रेलवे स्टेशन पर लगे काका हाथरसी स्मृति शिलालेख पर पुष्प अर्पित कर हाथरस के समाजसेवी, कवि, साहित्यकारों एवं रेलवे के अधिकारियों ने काका को नमन किया. रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि काका हाथरसी स्मृति शिलालेख का शीघ्र ही जीर्णोधार होगा. नया स्मृति पटल स्थल नए सिरे से बनेगा.

यह भी पढ़ें: इस बार 21 लाख दीपों से रोशन होगी रामनगरी, नया रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में जुटा अवध विश्वविद्यालय


काका हाथरसी अपने ही शहर में हो गए बेगाने

हाथरस: हिंदी हास्य व्यंग्य काव्य के क्षेत्र में देश व दुनिया में हाथरस का नाम रोशन करने वाले हास्य सम्राट पद्मश्री काका हाथरसी का पुण्यतिथि संगम समारोह सोमवार को काका हाथरसी स्मारक भवन पर मनाया गया. यह कार्यक्रम तो हुआ. लेकिन, इसमें लोगों की उपस्थिति काका के कद के अनुरूप नहीं थी. यहां अभी भी उनकी स्मृतियों में काम अधूरे पड़े हैं. यह अलग बात है कि खुद देश के प्रधानमंत्री ने हाल ही में संसद में मणिपुर मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव के जवाब में काका की कविता को कोड किया है.

नगर पालिका की अध्यक्ष श्वेता दिवाकर ने कहा कि काका एक ऐसी शख्सियत थे, जिसने हाथरस का नाम देश ही नहीं विदेशों में भी कायम रखा. हमारे प्रधानमंत्री को लोकसभा में जब कभी वहां का माहौल खुशनुमा करना होता है तो वह काका हाथरसी की कोई न कोई कविता जरूर पढ़ते हैं. श्वेता दिवाकर ने काका हाथरसी की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में लोगों की कम उपस्थिति पर अफसोस जाहिर किया और कहा कि यही कार्यक्रम यदि नाच-गाने का होता तो लोगों की मौजूदगी अधिक होती.

काका हाथरसी की याद में हाथरस में कार्यक्रम
काका हाथरसी की याद में हाथरस में कार्यक्रम

काका हाथरसी के नजदीक रहे साहित्यकार गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि काका हाथरसी किसी परिचय के मोहताज नहीं. आवश्यकता है काका की स्मृतियों को उनके कद के अनरूप सजाने, संवारने और संरक्षित करने की, ताकि हाथरस आने वाले शोधार्थी, शिक्षार्थियों को काका के व्यक्तित्व और कृतित्व का परिचय कराया जा सके. उन्होंने काका की वह कविता पढ़ी, जिसमें उन्होंने जीवन और मौत में फर्क बताया. काका ने कहा था 'जीवन और मृत्यु में फर्क नहीं है भौत, आंख खुले तो जिंदगी, बंद होए मौत'.

साहित्यकार विद्यासागर विकल ने बताया कि काका हाथरसी आज जीवंत रूप से हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन, यश रूप से वह आज भी हमारे बीच में हैं. आज लोकसभा की कार्यवाही देखें 2017 से लेकर अब तक चाहे वह विपक्ष के नेता हों या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काका की कविताएं कोड करते रहे हैं. नरेंद्र मोदी ने तो अभी हाल ही में मणिपुर को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का विपक्षियों को जवाब देने में काका हाथरसी की रचना का पाठ किया था. यह काका हाथरसी की जीवंतता की मिसाल है. काका हाथरसी ने खुद फिल्म बनाई थी. यह अलग बात है. लेकिन, अनुष्का शर्मा फिल्म 'पीके' में उनकी रचनाओं का पाठ करती दिखाई दी थीं. यह साबित करता है कि काका हमारे बीच प्रासंगिक हैं. आज जरूरत है उनकी धरोहर को सहेज कर रखने की, ताकि इसका आगे आने वाली पीढ़ी लाभ उठा सके.

हाथरस सिटी रेलवे स्टेशन पर लगे काका हाथरसी स्मृति शिलालेख पर पुष्प अर्पित कर हाथरस के समाजसेवी, कवि, साहित्यकारों एवं रेलवे के अधिकारियों ने काका को नमन किया. रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि काका हाथरसी स्मृति शिलालेख का शीघ्र ही जीर्णोधार होगा. नया स्मृति पटल स्थल नए सिरे से बनेगा.

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