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जान जोखिम में डालकर जिम्मेदारी निभा रहीं नर्सें

आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है. हर साल 12 मई को यह दिवस नर्सों की सेवा और उनके योगदान को याद करने के लिए मनाया जाता है. कोरोना महामारी के इस दौर में नर्सें जान जोखिम में डालकर मरीजों का इलाज करने में मदद कर रही हैं. उनके बिना कोरोना से जंग लड़ना मुमकिन नहीं है. देखिए ये रिपोर्ट...

international nurses day 2021
जान जोखिम में डालकर जिम्मेदारी निभा रहीं नर्सें.
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Published : May 12, 2021, 9:18 AM IST

हाथरस: जब मरीज स्वस्थ होकर अस्पताल से घर जाता है, यह हमारे लिए सबसे बड़ी खुशी होती है. इतनी खुशी शायद किसी और को भी नहीं होती होगी. ऊपर वाला जब साथ है तो कोरोना जैसी बीमारी से भी डर किस बात का. जब हम दूसरों के साथ अच्छा करेंगे तो ऊपर वाला हमारे साथ बुरा नहीं करेगा. यह कहना है हाथरस के जिला अस्पताल की नर्सों का. ऐसी नर्सों का ईटीवी भारत अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर आभार प्रकट करता है.

वीडियो रिपोर्ट...

डॉक्टर और दवा की तरह नर्सिंग की होती है जरूरत
किसी भी बीमार मरीज के लिए जितनी जरूरत डॉक्टर व दवा की होती है, उससे कहीं अधिक जरूरत उसे देखभाल व तीमारदारी की भी होती है. अस्पतालों में नर्स द्वारा की गई देखभाल मरीज को जल्द स्वस्थ कर देती है. डॉक्टर भी मानते हैं कि बिना नर्स के चिकित्सा सेवा अधूरी है. नर्स दिवस मरीजों की सेवा में लगी नर्सों का विशेष दिन है, जिसे हर साल 12 मई को मनाया जाता है.

international nurses day special story
मरीज का इलाज करतीं नर्स.
'मरीज स्वस्थ होकर घर जाए, यही सबसे बड़ी खुशी'
बागला जिला अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात नर्स सबा फातिमा ने बताया कि कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए उन्हें एक साल हो गया है. पेशेंट आ रहे हैं. जितना हम से हो पा रहा है, उनको सुविधा देने की कोशिश कर रहे हैं. जो संसाधन उपलब्ध हैं, उनसे हर तरीके से उन्हें इलाज देने की कोशिश कर रहे हैं. सबा कहती हैं, 'मुझे कोरोना से डर नहीं लगता है क्योंकि मैं अपना प्रोटेक्शन मास्क लगाकर, ग्लब्स पहनकर करते हैं. हम चाहते हैं कि मरीज आए तो वह पूरी तरह स्वस्थ होकर जाए. यहां कोई मरीज आता है तो हम उसे स्वस्थ बनाने में पूरी ताकत लगा देते हैं और जब वह स्वस्थ होकर घर जाता है तो हमें बड़ी खुशी होती है.


'जब ऊपरवाला साथ तो कोरोना से डर कैसा'
स्टाफ नर्स समरीना का कहना है कि लोगों की सेवा करना उन्हें बहुत अच्छा लगता है. हमें बहुत खुशी होती है जब कोई मरीज ठीक होकर जाता है, लेकिन जब कोई कैजुअलिटी हो जाती है तो उतना ही दु:ख भी होता है कि हमारे हाथों से मरीज चला गया. समरीना ने बताया कि उनके परिवार में 5 साल की एक बेटी है जो उनके घर पहुंचते ही गले लगना चाहती है, जिसे मैनेज करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि जब तक कोरोना है, हम सब इसी तरह से काम करते रहेंगे. उन्हें कोरोना से बिल्कुल भी डर नहीं लगता. डर इसलिए भी नहीं लगता कि जब हम दूसरे के साथ अच्छा करेंगे तो ऊपर वाला हमारे साथ बुरा नहीं करेगा. इसलिए शायद वह हमें अब तक बचाता आया है और आगे भी ऐसे ही बचाता रहेगा ताकि हम दूसरों की सेवा कर सकें.

'बिना नर्स चिकित्सा सेवा अधूरी'
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. आईवी सिंह का कहना है कि नर्सों का काम पेशेंट के पास जाने का अधिकतम रहता है. उनका काम इतना महत्वपूर्ण है कि मैं समझता हूं कि सबसे ज्यादा वही पेशेंट के टच में रहती हैं. उन्होंने कहा कि बिना नर्स के हम बिल्कुल अधूरे हैं. हम शासन से चाहते हैं कि यदि उनके साथ कोई हादसा होता है तो शासन की ऐसी नीति होनी चाहिए जिससे उसकी भरपाई की जा सके.

ये भी पढ़ें: कोरोनाकाल में मिट्टी के बर्तनों की बढ़ी मांग, दुकानदार हुए खुश

क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस
हर साल 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. नर्स लोगों को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाती हैं. 12 मई का दिन उनके योगदान को समर्पित होता है. पहली बार यह दिवस वर्ष 1965 में मनाया गया था. 1974 में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गई थी. 12 मई को आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था. उनके जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया था. विश्व सहित भारत में भी नर्सें अहम भूमिका अदा कर रही हैं.

हाथरस: जब मरीज स्वस्थ होकर अस्पताल से घर जाता है, यह हमारे लिए सबसे बड़ी खुशी होती है. इतनी खुशी शायद किसी और को भी नहीं होती होगी. ऊपर वाला जब साथ है तो कोरोना जैसी बीमारी से भी डर किस बात का. जब हम दूसरों के साथ अच्छा करेंगे तो ऊपर वाला हमारे साथ बुरा नहीं करेगा. यह कहना है हाथरस के जिला अस्पताल की नर्सों का. ऐसी नर्सों का ईटीवी भारत अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर आभार प्रकट करता है.

वीडियो रिपोर्ट...

डॉक्टर और दवा की तरह नर्सिंग की होती है जरूरत
किसी भी बीमार मरीज के लिए जितनी जरूरत डॉक्टर व दवा की होती है, उससे कहीं अधिक जरूरत उसे देखभाल व तीमारदारी की भी होती है. अस्पतालों में नर्स द्वारा की गई देखभाल मरीज को जल्द स्वस्थ कर देती है. डॉक्टर भी मानते हैं कि बिना नर्स के चिकित्सा सेवा अधूरी है. नर्स दिवस मरीजों की सेवा में लगी नर्सों का विशेष दिन है, जिसे हर साल 12 मई को मनाया जाता है.

international nurses day special story
मरीज का इलाज करतीं नर्स.
'मरीज स्वस्थ होकर घर जाए, यही सबसे बड़ी खुशी'
बागला जिला अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात नर्स सबा फातिमा ने बताया कि कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए उन्हें एक साल हो गया है. पेशेंट आ रहे हैं. जितना हम से हो पा रहा है, उनको सुविधा देने की कोशिश कर रहे हैं. जो संसाधन उपलब्ध हैं, उनसे हर तरीके से उन्हें इलाज देने की कोशिश कर रहे हैं. सबा कहती हैं, 'मुझे कोरोना से डर नहीं लगता है क्योंकि मैं अपना प्रोटेक्शन मास्क लगाकर, ग्लब्स पहनकर करते हैं. हम चाहते हैं कि मरीज आए तो वह पूरी तरह स्वस्थ होकर जाए. यहां कोई मरीज आता है तो हम उसे स्वस्थ बनाने में पूरी ताकत लगा देते हैं और जब वह स्वस्थ होकर घर जाता है तो हमें बड़ी खुशी होती है.


'जब ऊपरवाला साथ तो कोरोना से डर कैसा'
स्टाफ नर्स समरीना का कहना है कि लोगों की सेवा करना उन्हें बहुत अच्छा लगता है. हमें बहुत खुशी होती है जब कोई मरीज ठीक होकर जाता है, लेकिन जब कोई कैजुअलिटी हो जाती है तो उतना ही दु:ख भी होता है कि हमारे हाथों से मरीज चला गया. समरीना ने बताया कि उनके परिवार में 5 साल की एक बेटी है जो उनके घर पहुंचते ही गले लगना चाहती है, जिसे मैनेज करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि जब तक कोरोना है, हम सब इसी तरह से काम करते रहेंगे. उन्हें कोरोना से बिल्कुल भी डर नहीं लगता. डर इसलिए भी नहीं लगता कि जब हम दूसरे के साथ अच्छा करेंगे तो ऊपर वाला हमारे साथ बुरा नहीं करेगा. इसलिए शायद वह हमें अब तक बचाता आया है और आगे भी ऐसे ही बचाता रहेगा ताकि हम दूसरों की सेवा कर सकें.

'बिना नर्स चिकित्सा सेवा अधूरी'
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. आईवी सिंह का कहना है कि नर्सों का काम पेशेंट के पास जाने का अधिकतम रहता है. उनका काम इतना महत्वपूर्ण है कि मैं समझता हूं कि सबसे ज्यादा वही पेशेंट के टच में रहती हैं. उन्होंने कहा कि बिना नर्स के हम बिल्कुल अधूरे हैं. हम शासन से चाहते हैं कि यदि उनके साथ कोई हादसा होता है तो शासन की ऐसी नीति होनी चाहिए जिससे उसकी भरपाई की जा सके.

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क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस
हर साल 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है. नर्स लोगों को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाती हैं. 12 मई का दिन उनके योगदान को समर्पित होता है. पहली बार यह दिवस वर्ष 1965 में मनाया गया था. 1974 में 12 मई को अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की गई थी. 12 मई को आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था. उनके जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया था. विश्व सहित भारत में भी नर्सें अहम भूमिका अदा कर रही हैं.

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