हाथरस: बुधवार को हास्य सम्राट पद्मश्री काका हाथरसी की 113वीं जयंती और 24वीं पुण्यतिथि मनाई गई. काका हाथरसी का जन्म 18 सितंबर 1906 को हाथरस के जैन गली में हुआ था. उनकी मृत्यु 18 सितंबर 1995 को हुई थी. यह एक इत्तेफाक था कि जिस तारीख को काका पैदा हुए थे उन्होंने प्राण भी उसी दिन त्यागे.
अफसोस की बात यह है कि काका को सिर्फ 18 सितंबर को ही लोग याद करते हैं. उनके नाम पर बना स्मारक भी इसी दिन गुलजार होता है. वरना यहा ताला ही पड़ा रहता है. बुधवार को एक बार फिर काका की याद में कुछ लोग उनके स्मारक पर जुटे. किसी ने उनकी रचना पढ़ी तो किसी ने उनके संस्मरण सुनाए.
एडीएम अशोक कुमार शुक्ला ने कहा कि यह ऐसा शहर है कि एक पत्थर उछले तो वह किसी कवि को लगेगा इसकी ज्यादा संभावना होती है. छात्र रविकांत सिंह ने भी इस मंच से पहली बार अपनी रचना पढ़ी, जिसका अतिथियों ने सम्मान किया.
साहित्यकार और कार्यक्रम के आयोजक गोपाल चतुर्वेदी ने बताया कि गत वर्षों से लोगों की संख्या इस बार ज्यादा रही है. अच्छी संख्या में साहित्यकार आए हैं. दो-तीन साल पहले तो कुर्सियां खाली ही रह जाती थी. वहीं एक बुजुर्ग साहित्यकार सत्यनारायण सुधाकर ने बताया कि काका सिर्फ कवि ही नहीं अपने आप में कवि सम्मेलन थे. वे गजल और छंद भी लिखते थे. उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला हाथरस गौरवान्वित हुआ. विदेशों में हाथरस का नाम पहुंचा. काका जी और हाथरस एक दूसरे के पर्यायवाची हो चुके हैं.