हाथरसः स्वतंत्रता सेनानी आर्यन पेशवा राजा महेंद्र प्रताप की जयंती पर कस्बा मुरसान और सादाबाद में कार्यक्रमों का आयोजन हुआ. मुरसान में राजा के वंशज गरुड़ध्वज ने कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं उद्यम राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह रहे. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि भाजपा से जुड़ा एक भी व्यक्ति अपराधी नहीं हो सकता है.
राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप भारतवर्ष ही नहीं बल्कि विश्व में मानवता के प्रेरणा स्रोत थे. राजा साहब ने देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए अफगान में जाकर सरकार बनाई. वह आजाद हिन्द फौज के संस्थापक सेनापति रहे थे. ऐसे प्रेरणा स्रोत को केवल भारत वर्ष से जोड़ना ठीक नहीं है.
राज्यमंत्री ने कहा कि भारत वर्ष में केवल एक ही राजनीतिक दल है जिसकी किसी से लड़ाई नहीं हैं. हम इतना मानते है कि हम जो भी राजनीति कर रहे हैं, वह राष्ट्र, समाज और मानवता के हित में है. उन्होंने यह भी दावा किया कि आगामी चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलेगा.
उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता अपराधी हो ही नहीं सकता. मानवता,नागरिकता, समाज के हित में हमने कोई बात कही हो और वह बात न मानी गई हो और मामला दर्ज हो गया हो तो वह अलग बात है. उन्होंने कहा कि बीजेपी से जो भी जुड़ा है वह कभी भी अपराधी नहीं हो सकता है.
इस मौके पर उन्होंने हवन में आहुतियां भी अर्पित कीं. कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष गौरव आर्य, प्रदेश उपाध्यक्ष व जिला प्रभारी देवेंद्र सिंह समेत कई भाजपा के नेता मौजूद रहे.
आर्यन पेशवा राजा महेंद्र प्रताप के जीवन पर एक नजर
मुरसान के राजा घनश्याम सिंह के यहां एक दिसंबर 1886 को जन्मे राजा महेंद्र प्रताप को हाथरस के राजा हरनारायण सिंह ने गोद ले लिया था. राजा महेंद्र प्रताप ने करीब 34 वर्षों तक देश से बाहर रहकर संघर्ष किया. विदेश में रहने के दौरान उनके जवान बेटे और पत्नी की मौत हो गई.
पहले विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने अफगानिस्तान में देश की पहली निर्वासित सरकार बनाई. इस सरकार में वे राष्ट्रपति बनाए गए थे. अंग्रेजों ने राजा को बेदखलकर उनकी रियासत को कब्जे में ले लिया. राजा महेन्द्र प्रताप सिंह को आर्यन पेशवा के नाम से भी जाना जाता था. देश को आजादी मिलने से कुछ पहले 1946 में वे भारत लौटे. सरदार वल्लभ भाई पटेल की बेटी ने कोलकाता में उनका स्वागत किया था. राजा ने शिक्षा के प्रसार के लिए वृंदावन में प्रेम महाविद्यालय की स्थापना की थी. अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी को लीज पर जमीन देकर धर्मनिरपेक्षता का संदेश भी दिया था.
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