हाथरस : इन दिनों हाथरस का कृषि विज्ञान केंद्र कड़कनाथ मुर्गी पालन कर रहा है. केंद्र के वैज्ञानिकों का मकसद है कि लोग इसकी और आकर्षित होकर इसका पालन करें और अपनी बेरोजगारी को दूर करें. कड़कनाथ मुर्गे की खासियत है कि इसका उपयोग औषधि के रूप में होता है. यह मुर्गा सामान मुर्गों की अपेक्षा कई गुना महंगा भी बिकता है. इन दिनों हाथरस का कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को कड़कनाथ मुर्गे की खासियत बता रहा है, ताकि जिले में कड़कनाथ मुर्गाी पालन के प्रति लोगों का रुझान बढ़ सके. बाजार में इसके एक अंडे की कीमत 50 से 80 रुपये और मांस की कीमत 800 से 1200 प्रति किलोग्राम है. इसकी तीन प्रजातियां जेट ब्लैक, गोल्डन और पेंसिल्ड हैं. लोग छोटे या बड़े स्तर पर लोग शुरुआत कर सकते हैं.
कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालक वैज्ञानिक डॉ. सुधीर बताते हैं कि मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से इसकी उत्पत्ति हुई है. अब यह पूरे प्रदेश, देश और विश्व में फैलता जा रहा है. उन्होंने इसके कई फायदे बताए. उन्होंने बताया कि इसको हमें कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से हाथरस में भी फैलाना है, ताकि लोग इसका पालन कर अपनी बेरोजगारी दूर कर सकें. उन्होंने बताया कि कड़कनाथ मुर्गे में सामान्य मुर्गे से प्रोटीन की मात्रा कई गुना अधिक होती है. विटामिन B6, B12 अधिक मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें कोलेस्ट्रोल की मात्रा अन्य सामान्य मुर्गे से बहुत कम पाई जाती है. यह हृदय रोग, डायबिटीज सहित तमाम बीमारियों में बहुत ही फायदेमंद साबित हो रहा है.
डॉ. सुधीर कुमार रावत ने बताया कि कड़कनाथ मुर्गा सामान्य मुर्गे से कई गुना महंगा बिकता है. कड़कनाथ एकमात्र काले मांस वाली नस्ल है. इसे काली मासी के नाम से भी जाना जाता है. इसके त्वचा, मांस, टांग, पंजा, हड्डी, चोंच, जीभ, पंख आदि सभी काले रंग के होते हैं. इसका मांस 800 से 1200 रुपये किलो तक बिकता है और अंडा 50 से 60 रुपये प्रति की दर से बिकता है. कोरोना काल से प्रचलन बढ़ रहा है, क्योंकि यह औषधि के रूप में उपयोग हो रहा है.
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