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देश भर में गूंजने लगे गणपति बप्पा मोरया के जयकारे

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Published : Aug 30, 2019, 11:32 PM IST

विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता भगवान श्रीगणेश गणेश का महापर्व गणेश चतुर्थी पूरे देश में 2 सितंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा. इसको लेकर पूरे देश में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. गली-मोहल्लों में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापना को लेकर लोगों में अजब ही उत्साह देखने को मिल रहा है.

गणपति महोत्सव को लेकर भक्तों में उत्साह.

हाथरस: हर बार की तरह इस बार भी गणेश पूजा महाराष्ट्र के अलावा देश के कई हिस्सों में धूमधाम से मनाने की पूरी तैयारी है. गणपति बप्पा मोरया के जयकारे अभी से सुनाई दे रहे हैं. कुछ सौ रुपये से लेकर लाखों की मूर्तियां बन और बिक रही हैं, लेकिन पर्यावरणविद हमेशा इस पर सवाल उठाते रहे हैं कि विसर्जन के बाद मूर्तियां पर्यावरण के लिए घातक हो जाती हैं.

गणपति महोत्सव को लेकर भक्तों में उत्साह.

इस बार मूर्तिकारों ने पर्यावरण का ध्यान रखकर गणेश प्रतिमाएं बनाई हैं. यूपी के हाथरस में शिल्पकारों ने पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा है. शिल्पकारों ने मूर्ति बनाने में मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल किया है. हालांकि पर्यावरण विद प्लास्टर ऑफ पेरिस को भी पर्यावरण के लिए खतरनाक बताते हैं.

पढे़ं- गणेश चतुर्थी: भक्तों को खूब भा रहे तिरंगे के रंग में रंगे गणपति

प्रतिमाएं बनाने के लिए सदियों से काली और लाल मिट्टी का ही इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन अब प्राकृतिक रंगों की जगह केमिकल का इस्तेमाल किया जाने लगा और प्रतिमाएं प्लास्टर ऑफ पेरिस और वाइट सीमेंट से बनने लगीं. इसकी वजह से उत्साह और उल्लास का यह त्योहार पर्यावरण के लिए घातक हो गया.

मान्यता है कि किसी भी कार्य का शुभारंभ करने से पहले गणेशजी की पूजा की जाती है. विघ्नहर्ता गणपति बप्पा को प्रथम पूजनीय माना गया है. गण का अर्थ है कोई विशेष समुदाय या फिर विशेष समूह. ईश का अर्थ है स्वामी. सभी देवगणों के स्वामी होने के कारण ही इनको गणेश कहा जाता है.

हाथरस: हर बार की तरह इस बार भी गणेश पूजा महाराष्ट्र के अलावा देश के कई हिस्सों में धूमधाम से मनाने की पूरी तैयारी है. गणपति बप्पा मोरया के जयकारे अभी से सुनाई दे रहे हैं. कुछ सौ रुपये से लेकर लाखों की मूर्तियां बन और बिक रही हैं, लेकिन पर्यावरणविद हमेशा इस पर सवाल उठाते रहे हैं कि विसर्जन के बाद मूर्तियां पर्यावरण के लिए घातक हो जाती हैं.

गणपति महोत्सव को लेकर भक्तों में उत्साह.

इस बार मूर्तिकारों ने पर्यावरण का ध्यान रखकर गणेश प्रतिमाएं बनाई हैं. यूपी के हाथरस में शिल्पकारों ने पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा है. शिल्पकारों ने मूर्ति बनाने में मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल किया है. हालांकि पर्यावरण विद प्लास्टर ऑफ पेरिस को भी पर्यावरण के लिए खतरनाक बताते हैं.

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प्रतिमाएं बनाने के लिए सदियों से काली और लाल मिट्टी का ही इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन अब प्राकृतिक रंगों की जगह केमिकल का इस्तेमाल किया जाने लगा और प्रतिमाएं प्लास्टर ऑफ पेरिस और वाइट सीमेंट से बनने लगीं. इसकी वजह से उत्साह और उल्लास का यह त्योहार पर्यावरण के लिए घातक हो गया.

मान्यता है कि किसी भी कार्य का शुभारंभ करने से पहले गणेशजी की पूजा की जाती है. विघ्नहर्ता गणपति बप्पा को प्रथम पूजनीय माना गया है. गण का अर्थ है कोई विशेष समुदाय या फिर विशेष समूह. ईश का अर्थ है स्वामी. सभी देवगणों के स्वामी होने के कारण ही इनको गणेश कहा जाता है.

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ओपनिंग पीटूसी- श्री कृष्ण जन्माष्टमी धूम के बाद अब गणपति बब्बा की धूम मचेगी।इसके लिए यहां तैयारियां शुरू हो गई है। इसके लिए मूर्तिकार गणेश जी की मूर्ति बनाने में लगे हैं। दो तारीख तक लोग मूर्ति खरीद लेंगे 11 दिन तक पूजा के बाद पानी में विसर्जन होगा।


Body:वीओ1- 2 सितंबर को गणेश चतुर्थी है। इसके लिए यहां मूर्तिकार, शिल्पकार गणेश जी की छोटी ,बड़ी तरह-तरह की मूर्तियां बनाने में लगे हैं। 2 सितंबर तक लोग गणेश जी की मूर्तियां खरीद कर 10 से 11 दिन तक उनकी पूजा करेंगे और उसके बाद मूर्तियों का पानी में विसर्जन होगा। बाजार मैं बिकने वाली गणेश जी की मूर्तियां प्लास्टर ऑफ पेरिस और मिट्टी से बनी है जो कि परिवार पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं है ।इनको बनाने वाले बताते हैं कि मूर्तियों की कीमत सौ रुपये से शुरू होकर 11 हजार रुपए तक की है जिसकी जैसी श्रद्धा होती है वैसी मूर्तियां खरीद लेता है। एक मूर्तिकार श्रवण ने बताया कि यह मूर्तियां प्लास्टर ऑफ पेरिस और मिट्टी की बनी होती है इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता है।
बाईट1-रेखा-मूर्तिकार
बाईट2-श्रावण-मूर्तिकार


Conclusion:वीओ- मूर्तियों की खास बात यह है कि यह प्लास्टर ऑफ पेरिस और मिट्टी की बनी है ।जिससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा।
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