हाथरस: रोटी, कपड़ा और मकान किसी भी शख्स के लिए बुनियादी जरूरत की चीजें हैं, लेकिन सरकारों की लाख कोशिश के बाद भी तमाम लोग आज भी इन मूलभूत सुविधाओं से मेहरूम हैं. ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में देखने को मिला. यहां एक गांव में एक परिवार सालों से शौचालय में रहने को मजबूर है. मीडिया के सामने यह मामला आने पर अब अधिकारी कह रहे हैं कि मकान देने की सूची में सबसे पहला नाम इसी परिवार का है.
मामला जिले के हसायन विकासखंड की ग्राम पंचायत सकत नगला गड़रिया का है. यहां चंदन सिंह अपनी पत्नी रेशमा और बच्चों के साथ पिछले कई सालों से गांव में बने एक शौचालय में रहते हैं. सरकार की गरीबों को आवास दिलाने को लेकर कई योजनाएं आईं, लेकिन अब तक किसी ने भी इस परिवार के सिर पर छत देने की कोशिश नहीं की. रेशमा बताती हैं कि उसका परिवार बीते कई सालों से इस शौचालय में रहता है. कई अधिकारी आए और आश्वासन देकर चले गए.
मकानों की सूची में है पहला नाम
ग्रामीण बैजनाथ ने बताया कि रेशमा का परिवार करीब आठ सालों से गांव के सार्वजनिक शौचालय में रहता है. अधिकारी आते हैं और उन्हें देख उनकी हालत पर तरस खाकर चले जाते हैं. वहीं ग्राम प्रधान कमल सिंह का कहना है कि कई सालों से रेशमा का परिवार गांव में रह रहा है. मकानों की सूची में उसका नाम दर्ज करा दिया गया है. पैसा आते ही उसे आवास दिला दिया जाएगा.
क्या कहते हैं परियोजना निदेशक
परियोजना निदेशक ए. के. मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2011 की लिस्ट में जिन गरीबों का नाम आया था, उनके आवास बना दिए गए हैं. जिन गरीबों का नाम उस लिस्ट से छूट गया था या वह परिवार से अलग हुए थे, उनके लिए आवास प्लस योजना चलाई जा रही है. इस योजना में पहला नाम रेशमा के परिवार का ही है.
यह भी पढ़ें- आवारा पशुओं के मामले में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार से सीख ले यूपी सरकार: अजय कुमार लल्लू