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ध्यान दीजिए सरकार...शौचालय में रह रहा परिवार

यूपी के हाथरस में एक परिवार गांव के सार्वजनिक शौचालय में रहता है. परिवार का कहना है कि अधिकारी आते हैं और हम पर तरस खाकर चले जाते हैं, लेकिन हमें घर नसीब नहीं होता.

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परिवार ने शौचालय को बनाया आशियाना.
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Published : Feb 11, 2020, 10:39 AM IST

हाथरस: रोटी, कपड़ा और मकान किसी भी शख्स के लिए बुनियादी जरूरत की चीजें हैं, लेकिन सरकारों की लाख कोशिश के बाद भी तमाम लोग आज भी इन मूलभूत सुविधाओं से मेहरूम हैं. ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में देखने को मिला. यहां एक गांव में एक परिवार सालों से शौचालय में रहने को मजबूर है. मीडिया के सामने यह मामला आने पर अब अधिकारी कह रहे हैं कि मकान देने की सूची में सबसे पहला नाम इसी परिवार का है.

देखें वीडियो.

मामला जिले के हसायन विकासखंड की ग्राम पंचायत सकत नगला गड़रिया का है. यहां चंदन सिंह अपनी पत्नी रेशमा और बच्चों के साथ पिछले कई सालों से गांव में बने एक शौचालय में रहते हैं. सरकार की गरीबों को आवास दिलाने को लेकर कई योजनाएं आईं, लेकिन अब तक किसी ने भी इस परिवार के सिर पर छत देने की कोशिश नहीं की. रेशमा बताती हैं कि उसका परिवार बीते कई सालों से इस शौचालय में रहता है. कई अधिकारी आए और आश्वासन देकर चले गए.

मकानों की सूची में है पहला नाम
ग्रामीण बैजनाथ ने बताया कि रेशमा का परिवार करीब आठ सालों से गांव के सार्वजनिक शौचालय में रहता है. अधिकारी आते हैं और उन्हें देख उनकी हालत पर तरस खाकर चले जाते हैं. वहीं ग्राम प्रधान कमल सिंह का कहना है कि कई सालों से रेशमा का परिवार गांव में रह रहा है. मकानों की सूची में उसका नाम दर्ज करा दिया गया है. पैसा आते ही उसे आवास दिला दिया जाएगा.

क्या कहते हैं परियोजना निदेशक
परियोजना निदेशक ए. के. मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2011 की लिस्ट में जिन गरीबों का नाम आया था, उनके आवास बना दिए गए हैं. जिन गरीबों का नाम उस लिस्ट से छूट गया था या वह परिवार से अलग हुए थे, उनके लिए आवास प्लस योजना चलाई जा रही है. इस योजना में पहला नाम रेशमा के परिवार का ही है.

यह भी पढ़ें- आवारा पशुओं के मामले में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार से सीख ले यूपी सरकार: अजय कुमार लल्लू

हाथरस: रोटी, कपड़ा और मकान किसी भी शख्स के लिए बुनियादी जरूरत की चीजें हैं, लेकिन सरकारों की लाख कोशिश के बाद भी तमाम लोग आज भी इन मूलभूत सुविधाओं से मेहरूम हैं. ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में देखने को मिला. यहां एक गांव में एक परिवार सालों से शौचालय में रहने को मजबूर है. मीडिया के सामने यह मामला आने पर अब अधिकारी कह रहे हैं कि मकान देने की सूची में सबसे पहला नाम इसी परिवार का है.

देखें वीडियो.

मामला जिले के हसायन विकासखंड की ग्राम पंचायत सकत नगला गड़रिया का है. यहां चंदन सिंह अपनी पत्नी रेशमा और बच्चों के साथ पिछले कई सालों से गांव में बने एक शौचालय में रहते हैं. सरकार की गरीबों को आवास दिलाने को लेकर कई योजनाएं आईं, लेकिन अब तक किसी ने भी इस परिवार के सिर पर छत देने की कोशिश नहीं की. रेशमा बताती हैं कि उसका परिवार बीते कई सालों से इस शौचालय में रहता है. कई अधिकारी आए और आश्वासन देकर चले गए.

मकानों की सूची में है पहला नाम
ग्रामीण बैजनाथ ने बताया कि रेशमा का परिवार करीब आठ सालों से गांव के सार्वजनिक शौचालय में रहता है. अधिकारी आते हैं और उन्हें देख उनकी हालत पर तरस खाकर चले जाते हैं. वहीं ग्राम प्रधान कमल सिंह का कहना है कि कई सालों से रेशमा का परिवार गांव में रह रहा है. मकानों की सूची में उसका नाम दर्ज करा दिया गया है. पैसा आते ही उसे आवास दिला दिया जाएगा.

क्या कहते हैं परियोजना निदेशक
परियोजना निदेशक ए. के. मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2011 की लिस्ट में जिन गरीबों का नाम आया था, उनके आवास बना दिए गए हैं. जिन गरीबों का नाम उस लिस्ट से छूट गया था या वह परिवार से अलग हुए थे, उनके लिए आवास प्लस योजना चलाई जा रही है. इस योजना में पहला नाम रेशमा के परिवार का ही है.

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एंकर- रोटी, कपड़ा और मकान किसी भी शख्स के लिए बुनियादी जरूरत की चीजें हैं। लेकिन सरकारों की लाख कोशिश के बाद भी तमाम लोग आज भी इन चीजों से मेहरूम हैं। ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में देखने को मिला जहां एक गांव में एक परिवार सालों से शौचालय में रहने को मजबूर है। मीडिया के सामने यह मामला आने पर अब अधिकारी कह रहे हैं कि मकानों की सूची में सबसे पहला नाम इसी परिवार का है।Body:वीओ1-जिले के हसायन विकासखंड की ग्राम पंचायत सकत का नगला गड़रिया माजरा है। जहां चंदन सिंह अपनी पत्नी रेशमा व बच्चों के साथ पिछले कई सालों से इस गांव में बने एक शौचालय में रह रहा है।सरकार की गरीबों को आवास दिलाने को लेकर कई योजनाएं आई। लेकिन अब तक किसी ने भी उसके सिर पर एक छत दिलाने की कोशिश नहीं की। हालांकि लोग आए और उसके हालातों को देखकर चले जाते रहे। रेशमा ने बताया कि शौचालय में पिछले कई सालों से उसका परिवार रह रहा है।वहीं एक ग्रामीण बैजनाथ ने बताया कि रेशमा का परिवार कई सालों से शौचालय में रहता चला रहा है।वह बताते हैं कि प्रधान व अधिकारी आते हैं और देख कर चले जाते हैं।गांव प्रधान कमल सिंह ने बताया कि 10-11 सालों से गांव में रेशमा का परिवार रह रहा है।मकानों की सूची में उसका नाम दर्ज करा दिया गया है। पैसा आते ही उसे आवास दिला दिया जाएगा। वहीं परियोजना निदेशक ए के मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2011 की लिस्ट में जिन गरीबों का नाम आया था उनके आवास बना दिए गए हैं। लेकिन जिन गरीबों का नाम उस लिस्ट से छूट गया था या वह परिवार से अलग हुए थे ।उनके लिए आवास प्लस योजना चलाई जा रही है जिसमें उसका नाम सबसे ऊपर है।
बाईट1-रेशमा-शौचलय में रहने वाली महिला
बाईट2-बैजनाथ-ग्रामीण
बाईट3-कमल सिंह-गांव प्रधान
बाईट4-ए के मिश्र - जिला परियोजना निदेशक।Conclusion:वीओ2- रेशमा -चंदन सिंह के परिवार को पिछले कई सालों में प्रशासन ने आवास मुहैया कराने की जरूरत नहीं समझी। अधिकारी मकानों की सूची में उसके नाम का जिक्र तो कर रहे हैं। लेकिन कहीं ऐसा न हो कि अब इस परिवार से उसे मिली छत भी छीन ली जाए।
अतुल नारायण
9045400210
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