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हरदोई पहुंचे बाल संरक्षण गृह आयोग के अध्यक्ष, इस बात पर जताई नाराजगी

उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता शनिवार को हरदोई पहुंचे. यहां उन्होंने बाल संरक्षण समिति व इसके तहत कार्य कर रहे तमाम विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट द्वारा रेस्क्यू किए गए 112 नाबालिग बच्चों का डेटा नहीं दे पाने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की.

अधिकारियों के साथ बैठक करते यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष
अधिकारियों के साथ बैठक करते यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष
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Published : Oct 10, 2020, 6:02 PM IST

हरदोई: जिले में शनिवार को यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता पहुंचे. उन्होंने यहां कलेक्ट्रेट सभागार में समिति व जिले के अधिकारियों संग बैठक कर चल रहे कार्यों की समीक्षा की. उन्होंने हाल ही में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट द्वारा रेस्क्यू किए गए करीब 112 बच्चों को बाल संरक्षण समिति के सामने न पेश करने व उनका पुनर्वासन न कराए जाने पर नाराजगी जताई. इसके लिए उन्होंने उच्चाधिकारियों से इस मामले की लिखित शिकायत करने की बात भी कही. उन्होंने बाल संरक्षण गृहों में रहने वाले बच्चों को योगा कराने व उनमें आध्यात्मिक भाव पैदा करने के लिए सात सदस्यीय टीम भी गठित की है.

किसी भी सूरत में नहीं होने देंगे बाल अधिकारों का हनन
बैठक में डॉ. विशेष गुप्ता ने कहा कि ऐसे बच्चे जो बाल श्रम कर रहे हैं, अनाथ हैं, सड़क किनारे रह रहे हैं और बदहाल स्थिति में हैं. उनको चिन्हित कर एक सूची तैयार की जाए, जिससे कि उन्हें उनके अधिकारों को दिया जा सके और उनके अधिकारों का किसी भी सूरत में हनन न होने पाए. उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों का पुनर्वासन कर उन्हें एक नई जिंदगी देने के लिए ही सरकार ने इस आयोग का गठन किया है.

112 बच्चों का डेटा नहीं दे सका एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट
बैठक में डॉ. विशेष गुप्ता ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट से हाल ही में रेस्क्यू किए गए 112 नाबालिग बच्चों का डेटा मांगा व उन्हें समिति के सामने पेश न करने का कारण भी पूछा, लेकिन यह यूनिट न ही डेटा उपलब्ध करवा सका और न ही कारण बताने में सक्षम प्रतीत हुआ. दरअसल, श्रम विभाग या एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट जब भी बच्चों को रेस्क्यू करती है तो उन्हें आयोग से गठित की गई जनपद स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सामने पेश किया जाता है.

बाल संरक्षण समिति में इन बच्चों का मेडिकल होता है और उनकी उम्र भी पता लगाई जाती है, जिससे कि वे नाबालिग हैं या बालिग इस बात का पता चल सके. इसके बाद ऐसे बच्चों को आयोग में चल रही किस योजना के अंतर्गत लाभान्वित किया जाना है और कैसे इनका पुनर्वासन होना है इसकी जिम्मेदारी भी समिति की ही होती है. लिहाजा इसके लिए रेस्क्यू किये गए बच्चों को समिति के सामने पेश करना बेहद जरूरी है, लेकिन जिले में 112 ऐसे बच्चों का न ही डेटा समिति को उपलब्ध हुआ और न ही अब इनका कोई अता-पता है. इस पर आयोग के अध्यक्ष ने नाराजगी व्यक्त करते हुए उच्चाधिकारियों से लिखित शिकायत कर कार्रवाई कराए जाने की बात कही है.

गठित की सात सदस्यीय टीम
इस दौरान डॉ. विशेष गुप्ता ने बाल संरक्षण ग्रहों में मौजूद बच्चों को बेहतर वातावरण देने के लिए और उनमें आध्यात्मिक विचारों का प्रसार करने के लिए एक सात सदस्यीय टीम गठित की, जिसमें जिले के सात वरिष्ठ व अनुभवी लोग शामिल हैं. ये टीम इन बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए योगा इत्यादि भी करवाएगी. वहीं यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता की समीक्षा बैठक में बाल संरक्षण समिति व इसके तहत कार्य कर रहे तमाम विभागों के अधिकारियों जैसे स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ, बेसिक शिक्षा विभाग के बीएसए, जिला प्रोबेजन अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, श्रम अधिकारी और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट आदि मौजूद रहे.

हरदोई: जिले में शनिवार को यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता पहुंचे. उन्होंने यहां कलेक्ट्रेट सभागार में समिति व जिले के अधिकारियों संग बैठक कर चल रहे कार्यों की समीक्षा की. उन्होंने हाल ही में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट द्वारा रेस्क्यू किए गए करीब 112 बच्चों को बाल संरक्षण समिति के सामने न पेश करने व उनका पुनर्वासन न कराए जाने पर नाराजगी जताई. इसके लिए उन्होंने उच्चाधिकारियों से इस मामले की लिखित शिकायत करने की बात भी कही. उन्होंने बाल संरक्षण गृहों में रहने वाले बच्चों को योगा कराने व उनमें आध्यात्मिक भाव पैदा करने के लिए सात सदस्यीय टीम भी गठित की है.

किसी भी सूरत में नहीं होने देंगे बाल अधिकारों का हनन
बैठक में डॉ. विशेष गुप्ता ने कहा कि ऐसे बच्चे जो बाल श्रम कर रहे हैं, अनाथ हैं, सड़क किनारे रह रहे हैं और बदहाल स्थिति में हैं. उनको चिन्हित कर एक सूची तैयार की जाए, जिससे कि उन्हें उनके अधिकारों को दिया जा सके और उनके अधिकारों का किसी भी सूरत में हनन न होने पाए. उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों का पुनर्वासन कर उन्हें एक नई जिंदगी देने के लिए ही सरकार ने इस आयोग का गठन किया है.

112 बच्चों का डेटा नहीं दे सका एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट
बैठक में डॉ. विशेष गुप्ता ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट से हाल ही में रेस्क्यू किए गए 112 नाबालिग बच्चों का डेटा मांगा व उन्हें समिति के सामने पेश न करने का कारण भी पूछा, लेकिन यह यूनिट न ही डेटा उपलब्ध करवा सका और न ही कारण बताने में सक्षम प्रतीत हुआ. दरअसल, श्रम विभाग या एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट जब भी बच्चों को रेस्क्यू करती है तो उन्हें आयोग से गठित की गई जनपद स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सामने पेश किया जाता है.

बाल संरक्षण समिति में इन बच्चों का मेडिकल होता है और उनकी उम्र भी पता लगाई जाती है, जिससे कि वे नाबालिग हैं या बालिग इस बात का पता चल सके. इसके बाद ऐसे बच्चों को आयोग में चल रही किस योजना के अंतर्गत लाभान्वित किया जाना है और कैसे इनका पुनर्वासन होना है इसकी जिम्मेदारी भी समिति की ही होती है. लिहाजा इसके लिए रेस्क्यू किये गए बच्चों को समिति के सामने पेश करना बेहद जरूरी है, लेकिन जिले में 112 ऐसे बच्चों का न ही डेटा समिति को उपलब्ध हुआ और न ही अब इनका कोई अता-पता है. इस पर आयोग के अध्यक्ष ने नाराजगी व्यक्त करते हुए उच्चाधिकारियों से लिखित शिकायत कर कार्रवाई कराए जाने की बात कही है.

गठित की सात सदस्यीय टीम
इस दौरान डॉ. विशेष गुप्ता ने बाल संरक्षण ग्रहों में मौजूद बच्चों को बेहतर वातावरण देने के लिए और उनमें आध्यात्मिक विचारों का प्रसार करने के लिए एक सात सदस्यीय टीम गठित की, जिसमें जिले के सात वरिष्ठ व अनुभवी लोग शामिल हैं. ये टीम इन बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए योगा इत्यादि भी करवाएगी. वहीं यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता की समीक्षा बैठक में बाल संरक्षण समिति व इसके तहत कार्य कर रहे तमाम विभागों के अधिकारियों जैसे स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ, बेसिक शिक्षा विभाग के बीएसए, जिला प्रोबेजन अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, श्रम अधिकारी और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट आदि मौजूद रहे.

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