हरदोई: जिले में महज कागजों पर ही अन्ना पशुओं को आश्रित किया जा रहा है. इसका जीतता जागता सबूत जिला मुख्यालय में कलेक्ट्रेट से लेकर कचहरी में वकीलों के चैंबर में बैठे ये आवारा पशु हैं. जिले की 72 स्थाई और अस्थाई गोशालाएं महज दिखावटी साबित हो रही हैं.
फरियादियों के भी ऊपर है खतरा
- आवारा पशुओं के खुले में घूमने से वकीलों के साथ आने वाले फरियादियों के ऊपर भी खतरा बना हुआ है.
- जिम्मेदार महज समाधान किए जाने का कोरा आश्वासन देने में लगे हुए हैं.
- जबसे जिले में गोशालाओं का निर्माण हुआ है, तबसे सड़कों पर आवारा पशुओं का जमावड़ा और बढ़ गया है.
- इस कचहरी में करीब तीन से चार हजार वकील बैठते हैं.
- इनमें से अधिकांश वकीलों के चैंबर के अंदर तक आवारा पशुओं का डेरा लगा ही रहता है.
- जिला कलेक्ट्रेट में भी ये जानवर ऐसे घूमते हैं, जैसे किसी चारहगाह की जमीन पर घूम रहे हों.
- अधिवक्ताओं ने इन जानवरों के आक्रामक होने वाले हादसों से भी अवगत कराया.
- वकीलों ने जल्द ही इस समस्या का समाधान किए जाने की मांग जिला प्रशासन और सरकार से की है.
जिला प्रशासन द्वारा अन्ना पशुओं को आश्रित करने के इंतजाम समय-समय पर किए जा रहे हैं. इन पशुओं के लिए जिले में करीब 72 स्थाई और अस्थाई गोशालाओं का निर्माण कराया गया है, जहां प्रति गाय 900 रुपये भी जा रहे हैं.
-संजय सिंह, एडीएम