हरदोईः दिल्ली के बाद अब आम आदमी पार्टी की नज़र उत्तर प्रदेश पर टिकी है. यहां की धरती पर वो अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करना चाहते हैं. तभी तो दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने हरदोई में एक सभा के दौरान उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की तुलना तबेले से कर योगी सरकार पर तंज कसा है. वे इतने पर ही नहीं रूके. इसके बाद उन्होंने यहां के सरकारी स्कूलों को मजदूर बनाने वाली फैक्ट्री तक कहा डाला. इसके साथ ही उन्होंने सोमनाथ भारती मामले को लेकर अपनी सफाई भी दी.
दिल्ली के मंत्री ने योगी सरकार पर कसे तंज
'आप' को यूपी में राजनीतिक जमीन तैयार करनी है. ऐसे में उसके नेता और मंत्री जानते हैं कि बगैर योगी सरकार पर निशाना साधे ये संभव नहीं होगा. पंचायत चुनाव में उतरने के ऐलान के बाद से ही आम आदमी पार्टी के नेता और मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार पर हमलावर हैं. ताजा मामला हरदोई आये दिल्ली के मंत्री राजेंद्र गौतम का है. जिन्होंने योगी सरकार पर तंज कसने के लिए यहां के सरकारी स्कूल को अपना निशाना बनाया है. मंत्री राजेंद्र पाल का कहना है कि यूपी के अस्पतालों की स्थिति अगर अच्छी होती, तो स्थिति बिगड़ने पर यहां के डॉक्टर दिल्ली इलाज कराने की सलाह नहीं देते. इससे पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की स्थिति कैसी है, यहां के स्कूल तो हम देखी रहे हैं, यहां पढ़ाई का वातावरण तो है ही नहीं, टीचर पूरी मात्रा में भर्ती नहीं किये गये, स्कूल में पढ़ने का माहौल बिल्कुल नहीं है, यहां से बच्चे पढ़कर कामयाब नहीं हो सकते. जानबूझकर सोची समझी साजिश के तहत देश में सरकारी स्कूलों को कमजोर किया जा रहा है और प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा दिया जा रहा है. एक बच्चे पर 8 से 10 हजार रुपये प्राइवेट स्कूलों में खर्च होते हैं. जिनके दो बच्चे हों उनपर एक महीने में करीब 20 हजार का खर्च आता है. देश में 90 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनके परिवार की इनकम 15-20 हजार रुपये महीना है. वे अपने बच्चे को कहां लेकर जायेंगे. हम लोगों ने दिल्ली के भीतर सरकारी स्कूलों को बेहतरीन बना दिया है. यहां बच्चे प्राइवेट में नाम कटा कर सरकारी स्कूल में नाम लिखवा रहे हैं. अगर यूपी में सरकार बनती है, तो यहां के स्कूलों को भी अच्छा बनायेंगे.
गुंडागर्दी की राजनीति का होगा अंत
जब बात सोमनाथ भारती के बिगड़े बोल की आई, तो राजेंद्र पाल गोलमोल जवाब देकर बचाव करते दिखे. उन्होंने कहा कि उनका आशय राजनीतिक मौत से होगा. वे पेशे से एक वकील हैं, और जिम्मेदार विधायक साथी हैं. सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. जिस तरह से स्याही फेंककर उनसे बदसलूकी की गई, तो कई दफे भावावेश में आदमी जो कहना चाहता है, उसके शब्द बदल जाते हैं, तो मैं समझता हूं कि उनका जो आशय था वह एकदम स्पष्ट था कि इस तरह की गुंडागर्दी की राजनीति का अंत होने वाला है.
जिला पंचायत चुनाव को देख रहे संगठन के तौर पर
उन्होंने कहा कि समय और परिस्थिति के हिसाब से हम लोग अपने संगठन का निर्माण करने में लगे हैं. 75 के 75 जिलों में हमारी सभाएं चल रही हैं. कार्यकर्ता गांव-गांव में जा रहे हैं. पूरा संगठन तैयार हो रहा है, और हम जिला पंचायत के चुनाव को एक संगठन निर्माण के तौर पर देख रहे हैं. 2022 का जो चुनाव है उसमें हम सरकार बनाने वाले हैं. हमारी पार्टी कार्यकर्ता को साथ लेकर जनता के बीच घर-घर जाती है. हमें जाति धर्म की राजनीति नहीं करनी है. हिंदू-मुस्लिम नहीं करना है, क्योंकि इससे देश बेकार होगा, हमें तो सबको साथ लेकर भारत के निर्माण के लिए आगे बढ़ना है.
दावा सरकार बनाने का सभा में कुर्सी खाली
खाली कुर्सी पर उन्होंने कहा कि हमारी पिछली सभा जाकर देख लिजिए. मना करने के बावजूद 5 सौ से ज्यादा लोग आये थे. हमारे यहां पहुंचने के लिए जो रास्ता था, वो बंद था, इसलिए घूम कर आना पड़ा. जिसकी वजह से दो ढाई घंटे लेट हो गये. हमारे आने से पहले कई लोग यहां से चले गये. खाली कुर्सी से कुछ नहीं होता, सरकार हम बनायेंगे.