हरदोईः राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम गरीब और जरूरतमंद बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. दरअसल, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों का मुफ्त में इलाज कराती है. इस कार्यक्रम के जरिए जीरो से 18 साल तक के बच्चों को चिन्हित कर उनका इलाज कराया जाता है. इस कार्यक्रम के तहत जिले में अब तक हजारों बच्चों का नि:शुल्क उपचार कराया जा चुका है.
हरदोई जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत गरीब बच्चों का इलाज कर उन्हें नया जीवनदान प्रदान किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में हर ब्लॉक स्तर पर एक टीम का गठन किया गया है. प्रत्येक ब्लॉक पर 2 टीम का निर्धारण किया गया है, जिनमें एक एएनएम स्टाफ, एक नर्स आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में जाकर तथा कैंप लगाकर ऐसे बच्चों को खोजती हैं, जिनमें 3D डिसीज होती हैं. इस डिसीज में कमी, विकार, विकास में विलंब वाले 0 से 18 साल के बच्चे शामिल होते हैं.
गरीब बच्चों को गंभीर बीमारियों से निजात
टीमें बच्चों को चिन्हित कर उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाती हैं, जहां पर उनका इलाज कराया जाता है. अगर वहां उनका इलाज नहीं हो पाता तो फिर उन्हें जिला अस्पताल भेजा जाता है. वहां भी इलाज न होने पर मुफ्त में उनका इलाज मेडिकल कॉलेज या फिर दूसरे संस्थान में कराया जाता है, जिससे गरीब बच्चों को गंभीर बीमारियों से निजात दिलाई जाती है.
स्वास्थ्य कार्यक्रम के जरिए उपचार
इस कार्यक्रम में दिल में छेद, मोतियाबिंद, मिर्गी आदि तमाम बीमारियां शामिल हैं. अभी तक जनपद में टीमों के द्वारा 3,893 बच्चों को चिन्हित किया गया है, जिनमें 2,910 बच्चों को जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है. 2,621 बच्चों का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जरिए उपचार कराया जा चुका है. जनपद में इस प्रोग्राम के जरिए अब तक ट्यूमर, हार्ट,मिर्गी, आंख की बीमारियों से ग्रसित बच्चों का इलाज कराया जा चुका है.
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जरिए प्रत्येक विकासखंड में दो टीमें गठित की गई हैं, जो 0 से 18 साल तक के बच्चों का चयन करती है. आंगनबाड़ी और स्कूलों में कैंप लगाकर बच्चों को चिन्हित करने के बाद इन बच्चों का इलाज कराया जाता है. जिले में इलाज न हो पाने पर इलाज के लिए बच्चों को मेडिकल कॉलेज या फिर दूसरे संस्थान में भेजा जाता है और उनका मुफ्त इलाज कराया जाता है. अब तक जिले में 3,893 बच्चे चिन्हित किए गए, जिनमें 2,910 बच्चों को संदर्भित किया गया, जबकि 2,621 बच्चों का उपचार किया गया है.डॉ. एस.के. रावत, सीएमओ
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