हरदोई: जिले की नगर पालिका परिषद आये दिन अपनी लापरवाहियों और उदासीनता के चलते चर्चाओं में रहती है. एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला संज्ञान में आया है, जो नगर पालिका परिषद हरदोई की पोल खोलने के लिए काफी है. हम बात कर रहे हैं जिले में मौजूद नगर पालिका के डंपिंग ग्राउंड की, जो आज के समय में महज एक जंगल में परिवर्तित हुआ पड़ा है.
यहां एक दो कूड़े के ढेर के सिवाय सिर्फ बड़े-बड़े जंगली पेड़ पौधे ही देखने को मिलेंगे. वहीं जिस कूड़े को इस डंपिंग ग्राउंड में डंप किया जाना चाहिए वो आज जिले के मुख्य मार्गों के किनारे डंप किया जा रहा है. जिम्मेदार अन्य डंपिंग हॉउस बनाने की रणनीतियां तैयार करने में लगे हुए हैं, लेकिन जिले में पहले से मौजूद ये सालों पुराना डंपिंग हॉउस अपना अस्तित्व खोता जरूर नजर आ रहा है.
4 वर्ष पहले बना था डंपिंग ग्राउंड
एक तरफ सरकार स्वच्छता अभियान चला कर देश को साफ सुथरा करने के दावे पेश कर रही है. हरदोई जिले के जिम्मेदार इन दावों की जमीनी हकीकत से रूबरू करा रहे हैं और सरकार के प्रयासों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं. जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर नगर पालिका परिषद हरदोई का डंपिंग ग्राउंड है, जिसको जिम्मेदार आज से करीब 4 वर्ष पहले बनवा कर भूल गए हैं.
कूड़ा घर में कई वर्षों से कूड़ा डालने नहीं आई कोई गाड़ी
आज ये डंपिंग ग्राउंड एक जंगल मे तब्दील हो गया है. यहां बनी बॉउंड्री वॉल और गेट भी जर्जर अवस्था में है. यहां मौजूद एक छोटे बच्चे से जब बात की गई तो उसने बताया कि इस नगर पालिका के कूड़े घर में कई वर्षों से कोई गाड़ी कूड़ा डालने नहीं आई. उसने बताया कि जिम्मेदार यहां कूड़ा न डाल कर उसे सड़क किनारे ही उड़ेल जाते हैं, जिससे हम सभी को तमाम समस्याएं झेलनी पड़ती हैं. ऐसे में जब बच्चे-बच्चे को नगर पालिका की उदासीन कार्यशैली का पता हो तो ये चौंकाने वाली बात जरूर है.
पर्यावरण दूषित करने में लगे हुए है पालिका के जिम्मेदार
एक बड़ा सवाल ये भी उठता है कि रोजाना जनपद से उठने वाला सैकड़ों टन कूड़ा अगर इस डंपिंग ग्राउंड में नहीं आता तो कहां जाता है. दरअसल, ये कूड़ा शहर के पास के मुख्य मार्गों जैसे बावन रोड, सीतापुर रोड और कचहरी रोड आदि के किनारे डंप कर दिया जाता है. इतना ही नहीं इस कूड़े में आग भी लगा दी जाती है, जिससे एनजीटी के नियमों की अवहेलना भी जिले में खुले आम हो रही है. पर्यावरण दूषित करने का काम भी नगर पालिका के जिम्मेदार करने में लगे हुए हैं.
एडीएम संजय सिंह से जब सड़क किनारे कूड़ा डंप किये जाने की बात पूछी गयी, तो उन्होंने सभी नगर पालिकाओं और नगर निकायों के लिए डंपिंग ग्राउंड और प्रोसेसिंग ग्राउंड बनवाये जाने की बात कही, लेकिन पहले से ही मौजूद कई एकड़ में बने इस डंपिंग ग्राउंड को इस्तेमाल में लाये जाने पर जिम्मेदार विचार करना नहीं चाहते. आलम यह है कि करीब 4 वर्ष पहले बना ये डंपिंग ग्राउंड एक जंगल में तपदील हो गया है और यहां सन्नाटा पसरा रहता है. हालांकि जिम्मेदारों ने भी इस विषय पर कुछ खास बातचीत करना और जानकारी देना उचित नहीं समझा.