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हरदोई: दिन में तीन बार रंग बदलने वाला है यह शिवलिंग, जानें इसका इतिहास - शिवरात्रि

हरदोई जिले के सकाहा गांव के शिव मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचे. यह शिवलिंग आसपास के क्षेत्रों के लोगों की भी आस्था का प्रतीक बना हुआ है. खास बात यह है कि यहां का शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है.

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पूजन करते श्रद्दालु
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Published : Feb 21, 2020, 8:45 PM IST

हरदोई: जिले के सकाहा गांव के शिव मंदिर में हर वर्ष महाशिवरात्रि के दिन हज़ारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं. इस संकट हरण शिव मंदिर में एक अनोखा शिवलिंग है जो दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. इसके कारण यह आसपास के क्षेत्रों में भी लोगों की आस्था का प्रतीक बना हुआ है. इसकी उत्पत्ति कब और कैसे हुई इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया.

दिन में तीन बार रंग बदलता है यह शिवलिंग

जिले के दिल्ली राजमार्ग पर सकाहा गांव में मौजूद संकट हरण शिव मंदिर आसपास के अन्य जनपद के लोगों के लिए भी आस्था का प्रतीक बना हुआ है. महाशिवरात्रि के दिन यहां हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं. इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग का इतिहास कितना पुराना है ये किसी को पता नहीं लग पाया है. कोई इसे 4 सौ वर्ष पुराना बताता है तो कोई इसे हज़ारों वर्ष पुराना बताता है.

संकट हरण शिव मंदिर का इतिहास

करीब 50 वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण एक सेठ ने करवाया था. बताया जाता है कि जिस शख्स ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था उसके बेटे को फांसी की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद वह उदास और दुखी मन लेकर भटकते हुए यहां आ पहुंचा और शिवलिंग के सामने अपने बेटे की जान की भीख मांगने लगा. कुछ दिन बाद उसे अपने बेटे को होने वाली फांसी की सज़ा माफ होने की सूचना मिली. तब उस सेठ ने जंगल के बीच में मौजूद इस शिवलिंग को एक मंदिर का रूप दिया. तभी से ये शिव मंदिर संकट हरण के नाम से प्रख्यात हुआ.

सकाहा गांव के प्रधान आदित्य कुमार सिंह ने बताया कि यह शिवलिंग दिन में तीन बार रंग भी बदलता है. सुबह सफेद, शाम में सुनहरा और रात्रि में काले रंग का हो जाता है. वहीं समय दर समय इस शिवलिंग का आकार भी बढ़ रहा है.

इसे भी पढे़ं-प्रयागराज में शिवरात्रि के मौके पर श्रद्धालु घर ले जाते हैं लाठी, जानिए क्यों

हरदोई: जिले के सकाहा गांव के शिव मंदिर में हर वर्ष महाशिवरात्रि के दिन हज़ारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं. इस संकट हरण शिव मंदिर में एक अनोखा शिवलिंग है जो दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. इसके कारण यह आसपास के क्षेत्रों में भी लोगों की आस्था का प्रतीक बना हुआ है. इसकी उत्पत्ति कब और कैसे हुई इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया.

दिन में तीन बार रंग बदलता है यह शिवलिंग

जिले के दिल्ली राजमार्ग पर सकाहा गांव में मौजूद संकट हरण शिव मंदिर आसपास के अन्य जनपद के लोगों के लिए भी आस्था का प्रतीक बना हुआ है. महाशिवरात्रि के दिन यहां हजारों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं. इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग का इतिहास कितना पुराना है ये किसी को पता नहीं लग पाया है. कोई इसे 4 सौ वर्ष पुराना बताता है तो कोई इसे हज़ारों वर्ष पुराना बताता है.

संकट हरण शिव मंदिर का इतिहास

करीब 50 वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण एक सेठ ने करवाया था. बताया जाता है कि जिस शख्स ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था उसके बेटे को फांसी की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद वह उदास और दुखी मन लेकर भटकते हुए यहां आ पहुंचा और शिवलिंग के सामने अपने बेटे की जान की भीख मांगने लगा. कुछ दिन बाद उसे अपने बेटे को होने वाली फांसी की सज़ा माफ होने की सूचना मिली. तब उस सेठ ने जंगल के बीच में मौजूद इस शिवलिंग को एक मंदिर का रूप दिया. तभी से ये शिव मंदिर संकट हरण के नाम से प्रख्यात हुआ.

सकाहा गांव के प्रधान आदित्य कुमार सिंह ने बताया कि यह शिवलिंग दिन में तीन बार रंग भी बदलता है. सुबह सफेद, शाम में सुनहरा और रात्रि में काले रंग का हो जाता है. वहीं समय दर समय इस शिवलिंग का आकार भी बढ़ रहा है.

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