हरदोई: जिले में लंबे समय से झोलाछाप डॉक्टरों का कहर बरकरार है. आए दिन कोई न कोई मरीज इन फर्जी डॉक्टरों की चपेट में आकर अपनी जान से हाथ धो बैठता है या फिर किसी अन्य समस्या की चपेट में आ जाता है. इस मामले में अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य आलोक कुमार से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि संयुक्त टीमें बनाकर ऐसे फर्जी डॉक्टरों पर शिकंजा कसा जाएगा.
प्रदेश सरकार हर महीने करती है झोलाछापों की समीक्षा
हरदोई जिले में अभी तक अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में ही ये फर्जी डॉक्टर मरीजों को अपनी जालसाजी का शिकार बनाकर उनकी जेबों पर डाका डालने का काम कर रहे थे, लेकिन अब शहरी क्षेत्रों में भी इनकी तादात दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. शहर के महोलिया इलाके में दो कमरों में सड़क पर चल रहा शांति हॉस्पिटल नाम का फर्जी अस्पताल झोलाछापों की पैठ का नमूना है. हॉस्पिटल के नाम से चल रहे इस फर्जी अस्पताल के बाहर 24 घण्टे आकस्मिक सेवा दी जाती है, इसका जिक्र भी है, लेकिन इस दो कमरे के हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज करने के लिए कोई भी संसाधन मौजूद नहीं हैं. सिर्फ ये हॉस्पिटल ही नहीं बल्कि जिले में हर ब्लॉक में ऐसे तमाम फर्जी अस्पताल फर्जी डॉक्टर चला रहे हैं.
इस पर हरदोई पहुंचे अपर स्वास्थ्य निदेशक आलोक कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इन झोलाछापों से जनता को बचाया जा सके इसके लिए प्रदेश सरकार के निर्देशन में समय समय पर अभियान चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हर महीने मुख्यालय स्तर से सभी जिलों में इस बात की समीक्षा भी की जाती है, जिससे कि चिन्हित किए गए फर्जी डॉक्टरों में से वेरिफाइड को अलग किया जा सके और झोलाछापों पर शिकंजा कसा जा सके.
फर्जी डॉक्टरों पर होगी एफआईआर
एडी स्वास्थ्य आलोक कुमार ने जानकारी दी कि आए दिन झोलाछापों के बढ़ते आतंक को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा इनके ऊपर शिकंजा कसने के लिए एक रणनीति तैयार की गई है. इसके तहत प्रत्येक ब्लॉक में मौजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक और संबंधित तहसील के एसडीएम और थाने के इंस्पेक्टर आदि की एक संयुक्त टीम बनाई गई है. ये टीम अपने इलाके में मौजूद सभी ऐसे चिकित्सकों की एक सूची तैयार करेगी. इसके बाद उनमें से ये अंतर किया जाएगा कि कौन डिग्री धारक है और कौन झोलाछाप. इसके पश्चात वेरिफाइड चिकित्सकों को अलग कर रखकर फर्जी डॉक्टरों के ऊपर सीधे एफआईआर की कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि ये प्रक्रिया निरंतर जारी है और इसकी समीक्षा भी हर महीने की जाती है.