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हरदोईः जैविक खेती से भी संभव है फसल की बेहतर पैदावार

यूपी के हरदोई जिले में एक समाजसेवी अधिवक्ता जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. वह अपने खेत में तनिक भी रासायनिक उर्वरा का प्रयोग नहीं करते हैं. जैविक खेती के बल पर अच्छे परिणाम सामने ला रहे हैं और इसके प्रति किसानों को जागरूक भी कर रहे हैं.

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जैविक खेती
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Published : Mar 13, 2020, 5:41 PM IST

हरदोईः सदई बेहटा गांव में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए और किसानों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए एक युवा समाजसेवी ने खेती को अपना लिया है. इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आया है. करीब डेढ़ वर्ष से विक्रम पांडे अपने खेत मे जैविक खेती कर सभी प्रकार की सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं.

केमिकल रहित आहार के लिए खेती
इस खेती से पैदा होने वाली सब्जियां फर्टिलाइजर और अन्य दवाइयों के प्रयोग से पैदा होने वाली सब्जियों से ज्यादा बेहतर और स्वास्थ्य वर्धक होती हैं. जैविक खेती के लिए सरकार भी बढ़ावा दे रही है. विक्रम पांडेय का उद्देश्य इस जैविक खेती को बढ़ावा देने और किसानों को इसके प्रति जागरूक करने का है, जिससे कि आज के इस मिलावटी युग में लोगों को केमिकल रहित आहार मिल सके और लोगों का स्वास्थ्य बरकरार रहे.

जैविक खेती के अच्छे परिणाम.

यह भी पढ़ेंः-हरदोईः सड़क हादसे में बाइक सवार 2 लोगों की मौत, जांच में जुटी पुलिस

इन सब्जियों की करते हैं खेती
इस मिलावटी युग मे लोगों को दोषयुक्त खाद्य सामग्री खाने को मिल रही है. इस पर लगाम लगाने के लिए विक्रम पांडेय अभियान भी चलाते हैं. अभी तक इनको सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं मिली है. यह अपने खेत में सरसों, मूली, लौकी, चुकंदर, गोभी, पालक, धनिया, गाजर आदि कई प्रकार की सब्जियां उगाने के लिए सिर्फ गोबर की खाद का प्रयोग करते हैं.

हरदोईः सदई बेहटा गांव में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए और किसानों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए एक युवा समाजसेवी ने खेती को अपना लिया है. इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आया है. करीब डेढ़ वर्ष से विक्रम पांडे अपने खेत मे जैविक खेती कर सभी प्रकार की सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं.

केमिकल रहित आहार के लिए खेती
इस खेती से पैदा होने वाली सब्जियां फर्टिलाइजर और अन्य दवाइयों के प्रयोग से पैदा होने वाली सब्जियों से ज्यादा बेहतर और स्वास्थ्य वर्धक होती हैं. जैविक खेती के लिए सरकार भी बढ़ावा दे रही है. विक्रम पांडेय का उद्देश्य इस जैविक खेती को बढ़ावा देने और किसानों को इसके प्रति जागरूक करने का है, जिससे कि आज के इस मिलावटी युग में लोगों को केमिकल रहित आहार मिल सके और लोगों का स्वास्थ्य बरकरार रहे.

जैविक खेती के अच्छे परिणाम.

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इन सब्जियों की करते हैं खेती
इस मिलावटी युग मे लोगों को दोषयुक्त खाद्य सामग्री खाने को मिल रही है. इस पर लगाम लगाने के लिए विक्रम पांडेय अभियान भी चलाते हैं. अभी तक इनको सरकार द्वारा कोई सहायता नहीं मिली है. यह अपने खेत में सरसों, मूली, लौकी, चुकंदर, गोभी, पालक, धनिया, गाजर आदि कई प्रकार की सब्जियां उगाने के लिए सिर्फ गोबर की खाद का प्रयोग करते हैं.

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