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हरदोई: कम पानी में अधिक उत्पादन के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई पर मिल रहा 70 प्रतिशत अनुदान

यूपी के हरदोई जिले में उद्यान विभाग किसानों को टपक और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति का इस्तमाल करने पर 70 फीसदी का अनुदान दे रहा है. बता दें कि इन पद्धितियों का इस्तमाल करने से किसान पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं.

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सिंचाई की इन पद्धतियों से होती है 80 फीसदी तक पानी की बचत.
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Published : Jun 7, 2020, 6:18 AM IST

हरदोई: जिले में इस दौरान उद्यान विभाग द्वारा कृषकों की सहूलियत के लिए भारी अनुदान प्रदान किया जा रहा है. दरअसल जिले में किसान अपनी फसलों की सिंचाई के लिए जो पद्धति इस्तेमाल में लाते हैं, उससे पानी की बर्बादी भी होती है. साथ ही और फसल की सिंचाई भी बेहतरी के साथ नहीं हो पाती. इसीलिए उद्यान विभाग द्वारा सिंचाई करने के लिए कुछ अत्याधुनिक उपकरणों का निजात किया है. जिस पर किसानों को 70 फीसदी तक अनुदान भी दिया जा रहा है. बता दें कि टपक व फव्वारा सिंचाई पद्धति के जरिये 80 फीसदी तक पानी की बचत होती है. साथ ही फसल की सिंचाई भी बेहतरी के साथ हो जाती है.

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सिंचाई की इन पद्धतियों से होती है 80 फीसदी तक पानी की बचत.

जिले में इस दौरान उद्यान विभाग सिंचाई करने की अत्याधुनिक पद्धतियों (ड्रिप, स्प्रिंकलर व मिनी स्प्रिंकलर) पर करीब 70 परसेंट तक का अनुदान दे रहा है. बता दें कि बीते वर्ष में जिले में 246 हेक्टेयर में ड्रिप मशीन को लगाया गया था. वहीं करीब 500 किसानों ने स्प्रिंकलर मशीन को अपनी फसलों में सिंचाई करने के लिए इस्तेमाल किया था. दरअसल इन अत्याधुनिक मशीनों को इस्तेमाल में लाने पर 80 फीसदी तक पानी की बचत होती है. इसके साथ ही 40 फीसदी तक फसल की पैदावार में वृद्धि भी होती है.

जानिए टपक सिंचाई पद्धति के बारे में
टपक यानी कि ड्रिप पद्धति के जरिये फसल की जड़ों तक पानी को पहुंचाया जाता है. इस विधि में पतली पानी की पाइप पेड़ की जड़ के पास सटा कर लगाई जाती है. जिससे कि एक-एक बूंद पानी समय-समय पर जड़ों में जाता है. इससे पानी की बचत भी होती है और फसल की पैदावार भी अधिकाधिक रूप से हो पाती है.

इसे भी पढ़ें: यूपी में मिले कोरोना के 502 नए मरीज, कुल संक्रमितों की संख्या 9733


जानिए क्या है स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति
इसे फव्वारा पद्धति भी कहते हैं. इसमे मिनी स्प्रिंकलर मशीनें भी होती हैं, जिन्हें छोटे पौधों के लिए इस्तमाल में लाया जाता है. वहीं बड़ी स्प्रिंकलर में पेड़ों के ऊपर फव्वारे के जरिए पानी का छिड़काव होता है. इससे फलदार वृक्षों में फलों आदि की पैदावार बेहतरी के साथ होती है और पानी की बर्बादी भी नहीं होती.

पद्धति के बारे में लोगों को किया जा रहा जागरूक
उद्यान विभाग के अधिकारी सुरेश कुमार ने जानकारी दी कि इस दौरान सरकार ने इन अत्याधुनिक सिंचाई करने की मशीनों के ऊपर अनुदान की राशि को बढ़ाकर 70 फीसदी कर दिया है. जिससे कि अधिक से अधिक किसान इस योजना से लाभान्वित हो सकें. वहीं किसानों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए भी उद्यान विभाग द्वारा गांवों में जाकर लोगों को जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही हैं.

हरदोई: जिले में इस दौरान उद्यान विभाग द्वारा कृषकों की सहूलियत के लिए भारी अनुदान प्रदान किया जा रहा है. दरअसल जिले में किसान अपनी फसलों की सिंचाई के लिए जो पद्धति इस्तेमाल में लाते हैं, उससे पानी की बर्बादी भी होती है. साथ ही और फसल की सिंचाई भी बेहतरी के साथ नहीं हो पाती. इसीलिए उद्यान विभाग द्वारा सिंचाई करने के लिए कुछ अत्याधुनिक उपकरणों का निजात किया है. जिस पर किसानों को 70 फीसदी तक अनुदान भी दिया जा रहा है. बता दें कि टपक व फव्वारा सिंचाई पद्धति के जरिये 80 फीसदी तक पानी की बचत होती है. साथ ही फसल की सिंचाई भी बेहतरी के साथ हो जाती है.

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सिंचाई की इन पद्धतियों से होती है 80 फीसदी तक पानी की बचत.

जिले में इस दौरान उद्यान विभाग सिंचाई करने की अत्याधुनिक पद्धतियों (ड्रिप, स्प्रिंकलर व मिनी स्प्रिंकलर) पर करीब 70 परसेंट तक का अनुदान दे रहा है. बता दें कि बीते वर्ष में जिले में 246 हेक्टेयर में ड्रिप मशीन को लगाया गया था. वहीं करीब 500 किसानों ने स्प्रिंकलर मशीन को अपनी फसलों में सिंचाई करने के लिए इस्तेमाल किया था. दरअसल इन अत्याधुनिक मशीनों को इस्तेमाल में लाने पर 80 फीसदी तक पानी की बचत होती है. इसके साथ ही 40 फीसदी तक फसल की पैदावार में वृद्धि भी होती है.

जानिए टपक सिंचाई पद्धति के बारे में
टपक यानी कि ड्रिप पद्धति के जरिये फसल की जड़ों तक पानी को पहुंचाया जाता है. इस विधि में पतली पानी की पाइप पेड़ की जड़ के पास सटा कर लगाई जाती है. जिससे कि एक-एक बूंद पानी समय-समय पर जड़ों में जाता है. इससे पानी की बचत भी होती है और फसल की पैदावार भी अधिकाधिक रूप से हो पाती है.

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जानिए क्या है स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति
इसे फव्वारा पद्धति भी कहते हैं. इसमे मिनी स्प्रिंकलर मशीनें भी होती हैं, जिन्हें छोटे पौधों के लिए इस्तमाल में लाया जाता है. वहीं बड़ी स्प्रिंकलर में पेड़ों के ऊपर फव्वारे के जरिए पानी का छिड़काव होता है. इससे फलदार वृक्षों में फलों आदि की पैदावार बेहतरी के साथ होती है और पानी की बर्बादी भी नहीं होती.

पद्धति के बारे में लोगों को किया जा रहा जागरूक
उद्यान विभाग के अधिकारी सुरेश कुमार ने जानकारी दी कि इस दौरान सरकार ने इन अत्याधुनिक सिंचाई करने की मशीनों के ऊपर अनुदान की राशि को बढ़ाकर 70 फीसदी कर दिया है. जिससे कि अधिक से अधिक किसान इस योजना से लाभान्वित हो सकें. वहीं किसानों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए भी उद्यान विभाग द्वारा गांवों में जाकर लोगों को जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही हैं.

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