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हरदोई: 111 साल पुराने ऐतिहासिक मेले का हुआ शुभारंभ, जानें इससे जुड़ी खास बात

उत्तर प्रदेश हरदोई जिले में एक ऐतिहासिक मेले का आयोजन किया गया है. इस मेले की खास बात यह है कि यह मेला 111 वर्ष से भी पुराना है. यह राष्ट्रीय एकता की मिसाल को भी प्रदर्शित करता है.

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Published : Jan 22, 2020, 6:56 PM IST

Updated : Jan 22, 2020, 7:49 PM IST

एतिहासिक मेले का हुआ शुभारंभ
एतिहासिक मेले का हुआ शुभारंभ

हरदोई: जिले में तमाम रोचक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल व रीतियां प्रसिद्ध हैं. इसमें कुछ ऐतिहासिक मेलों का नाम भी शामिल है. यहां कुछ ऐतिहासिक मेलों का आयोजन एक या दो वर्षों से नहीं बल्कि सैकड़ों वर्षों से होता आ रहा है. एक ऐसा ऐतिहासिक मेले है जिसका इतिहास 111 वर्ष से अधिक पुराना है.

एतिहासिक मेले का हुआ शुभारंभ.

वर्षों से इस मेले का किया जा रहा आयोजन
यह मेला नुमाइश के मेले के नाम से जाना जाता है. इसके पीछे कई रोचक और ऐतिहासिक कहानियां जुड़ी हुई हैं. यह मेला आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है और जनपद वासियों के साथ ही आस-पास जिले के लोग भी बड़ी संख्या में इस मेले का लुफ्त उठाने यहां आते हैं. यह मेला राष्ट्रीय एकता के मिसाल को भी प्रदर्शित करता है.

हर समुदाय के लोग उठाते हैं लुफ्त
जिले में लगने वाला सैकड़ों वर्ष पुराना ये मेला एक परंपरा के रूप में आयोजित होता चला आ रहा है. गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल इस मेले को नुमाइश मेले के नाम से जाना जाता है. वहीं इस मेले में आने वाले अधिकांश दुकानदार भी मुस्लिम समुदाय के ही होते हैं और कई वर्षों से इस मेले में आकर यहां की शान बढ़ाते हैं. बुधवार को पूजा अर्चना कर इस मेले की शुरुआत की गई. आगामी 10 दिनों में पूर्ण रूप से यह मेला अपने अस्तित्व में आ जाएगा. इतना ही नहीं तमाम रोचक झूले, सर्कस, जादू के शो आदि का भी लोग यहां कम दामों में लुफ्त उठाते हैं.

भाई चारे का प्रतीक है यह मेला
रामलीला और मेला कमेटी के संरक्षक व पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष एडवोकेट राम प्रकाश शुक्ला ने इस मेले के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि यह मेला हिन्दू मुस्लिम भाई चारे का प्रतीक है और साथ ही यहां आयोजित होने वाले कार्यक्रम भी राष्ट्रीय सौहार्द की भावना को प्रकट करता हैं.

करीब 111 वर्षों से अधिक समय से इस मेले का आयोजन एक परंपरा के रूप में होता चला आ रहा है. यहां तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे जवाबी कव्वाली, कवि सम्मेलन, दंगल, देश भक्ति गीत प्ररियोगिता और रामलीला का आयोजन किया जाता है.

किसी भी राजनीतिक दल का प्रचार नहीं करता यह मेला
राम प्रकाश शुक्ला से पूर्व बाबू सिरीश चंद्र श्रीवास्तव ने 60 वर्षों तक इस मेले की कमान संभाली थी. उनके और अन्य जनपद के आम लोगों ने इस मेले की आधार शिला रखी थी. इसके बाद से आज सैकड़ों वर्षों बाद यह एक ऐतिहासिक मेले के रूप में आयोजित होता आ रहा है. उन्होंने कहा कि यह मेला एक ही स्थान नुमाइश मैदान में ही लगता आ रहा है. उन्होंने बताया कि किसी भी तरह के धर्म व राजनीतिक दल आदि का ये मेला प्रचार नहीं करता है.


इसे भी पढ़ें:- हरदोई: साइकिल रैली का आयोजन, स्वस्थ रहने का दिया गया संदेश

हरदोई: जिले में तमाम रोचक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल व रीतियां प्रसिद्ध हैं. इसमें कुछ ऐतिहासिक मेलों का नाम भी शामिल है. यहां कुछ ऐतिहासिक मेलों का आयोजन एक या दो वर्षों से नहीं बल्कि सैकड़ों वर्षों से होता आ रहा है. एक ऐसा ऐतिहासिक मेले है जिसका इतिहास 111 वर्ष से अधिक पुराना है.

एतिहासिक मेले का हुआ शुभारंभ.

वर्षों से इस मेले का किया जा रहा आयोजन
यह मेला नुमाइश के मेले के नाम से जाना जाता है. इसके पीछे कई रोचक और ऐतिहासिक कहानियां जुड़ी हुई हैं. यह मेला आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है और जनपद वासियों के साथ ही आस-पास जिले के लोग भी बड़ी संख्या में इस मेले का लुफ्त उठाने यहां आते हैं. यह मेला राष्ट्रीय एकता के मिसाल को भी प्रदर्शित करता है.

हर समुदाय के लोग उठाते हैं लुफ्त
जिले में लगने वाला सैकड़ों वर्ष पुराना ये मेला एक परंपरा के रूप में आयोजित होता चला आ रहा है. गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल इस मेले को नुमाइश मेले के नाम से जाना जाता है. वहीं इस मेले में आने वाले अधिकांश दुकानदार भी मुस्लिम समुदाय के ही होते हैं और कई वर्षों से इस मेले में आकर यहां की शान बढ़ाते हैं. बुधवार को पूजा अर्चना कर इस मेले की शुरुआत की गई. आगामी 10 दिनों में पूर्ण रूप से यह मेला अपने अस्तित्व में आ जाएगा. इतना ही नहीं तमाम रोचक झूले, सर्कस, जादू के शो आदि का भी लोग यहां कम दामों में लुफ्त उठाते हैं.

भाई चारे का प्रतीक है यह मेला
रामलीला और मेला कमेटी के संरक्षक व पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष एडवोकेट राम प्रकाश शुक्ला ने इस मेले के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि यह मेला हिन्दू मुस्लिम भाई चारे का प्रतीक है और साथ ही यहां आयोजित होने वाले कार्यक्रम भी राष्ट्रीय सौहार्द की भावना को प्रकट करता हैं.

करीब 111 वर्षों से अधिक समय से इस मेले का आयोजन एक परंपरा के रूप में होता चला आ रहा है. यहां तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे जवाबी कव्वाली, कवि सम्मेलन, दंगल, देश भक्ति गीत प्ररियोगिता और रामलीला का आयोजन किया जाता है.

किसी भी राजनीतिक दल का प्रचार नहीं करता यह मेला
राम प्रकाश शुक्ला से पूर्व बाबू सिरीश चंद्र श्रीवास्तव ने 60 वर्षों तक इस मेले की कमान संभाली थी. उनके और अन्य जनपद के आम लोगों ने इस मेले की आधार शिला रखी थी. इसके बाद से आज सैकड़ों वर्षों बाद यह एक ऐतिहासिक मेले के रूप में आयोजित होता आ रहा है. उन्होंने कहा कि यह मेला एक ही स्थान नुमाइश मैदान में ही लगता आ रहा है. उन्होंने बताया कि किसी भी तरह के धर्म व राजनीतिक दल आदि का ये मेला प्रचार नहीं करता है.


इसे भी पढ़ें:- हरदोई: साइकिल रैली का आयोजन, स्वस्थ रहने का दिया गया संदेश

Intro:आकाश शुक्ला हरदोई। 9919941250

एंकर----हरदोई जिले में तमाम रोचक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल व रीतियां प्रसिद्ध हैं।जिसमें कुछ ऐतिहासिक मेलों का नाम भी शामिल है।यहां कुछ ऐतिहासिक मेलों का आयोजन एक या दो वर्षों से नहीं बल्कि सैकड़ों वर्षों से होता आ रहा है।आज भी हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं एक ऐसे ऐतिहासिक मेले से जिसका इतिहास 111 वर्ष से अधिक पुराना है।हम बात कर रहे हैं हरदोई में लगने वाले नुमाइश के मेले की जिसके पीछे कई रोचक व ऐतिहासिक कहानियां तो जुड़ी हुई हैं ही, साथ ही ये मेला आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है और जनपद वासियों के साथ ही आस पास जिले के लोग भी बड़ी संख्या में इस मेले का लुफ्त उठाने यहां आते हैं।तो इस मेले की खास बात यह भी है की ये मेला राष्ट्रीय एकता व कौमो एकता का मिसाल भी है।आज इस मेले की शुरुआत पूजा अर्चना व कथा आदि के आयोजन के बाद कर दी गयी है।


Body:वीओ--1--हरदोई जिले में लगने वाला सैकड़ों वर्ष पुराना ये मेला एक परंपरा के रूप में आयोजित होता चला आ रहा है।इतना ही नहीं गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल ये नुमाइश मेला कायम करता है।वहीं इस मेले में आने वाले अधिकांश दुकानदार भी मुस्लिम समुदाय के ही होते हैं और कई वर्षों से इस मेले में आकर यहां की शान बढ़ाते हैं।आज पूजा अर्चना कर इस मेले की शुरुआत की गई है।आगामी 10 दिनों में पूर्ण रूप से ये मेला अपने अस्तित्व में आ जायेगा।इतना ही नहीं तमाम रोचक झूले, सर्कस, जादू के शो आदि का भी लोग यहां कम दामों में लुफ्त उठाते हैं।

विसुअल विद वॉइस ओवर

वीओ--2--इस मेले की विधिवत जानकारी से रामलीला व मेला कमेटी के संरक्षक व पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष एडवोकेट राम प्रकाश शुक्ला ने अवगत कराया।संरक्षक ने जानकारी दी कि ये मेला हिन्दू मुस्लिम भाई चारे का प्रतीक तो है ही साथ ही यहां आयोजित होने वाले कार्यक्रम भी राष्ट्रीय सौहार्द की भावना को प्रकट करते हैं।कहा कि करीब 111 वर्षों से अधिक समय से इस मेले का आयोजन एक परंपरा के रूप में होता चला आ रहा है।कहा कि यहां तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे जवाबी कव्वाली, कवि सम्मेलन, दंगल, देश भक्ति गीत प्ररियोगिता व राम लीला का आयोजन किया जाता है।राम प्रकाश शुक्ला से पूर्व बाबू सिरीश चंद्र श्रीवास्तव ने 60 वर्षों तक इस मेले की कमान संभाली थी व उनके व अन्य जनपद के आम लोगों द्वारा ही इस मेले की आधार शिला रखी गयी थी।जिसके बाद से आज सैकड़ों वर्षों बाद ये एक ऐतिहासिक मेले के रूप में आयोजित होता आ रहा है।उन्होंने कहा कि ये मेला एक ही स्थान नुमाइश मैदान में ही लगता आ रहा है।उन्होंने बताया कि किसी भी तरह के धर्म व राजनीतिक दल आदि का ये मेला प्रचार नहीं करता है।वहीं हरदोई के केस मेले से ही अन्य जनपदों में मेलों की शुरुआत होती है।यहां के बाद ही ये मेला अन्य जनपदों में जाता है।सुनिए उन्ही की जुबानी।

बाईट--राम प्रकाश शुक्ला--संरक्षक मेला कमेटी

पीटूसी


Conclusion:
Last Updated : Jan 22, 2020, 7:49 PM IST
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