हरदोई: जिले में तमाम रोचक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल व रीतियां प्रसिद्ध हैं. इसमें कुछ ऐतिहासिक मेलों का नाम भी शामिल है. यहां कुछ ऐतिहासिक मेलों का आयोजन एक या दो वर्षों से नहीं बल्कि सैकड़ों वर्षों से होता आ रहा है. एक ऐसा ऐतिहासिक मेले है जिसका इतिहास 111 वर्ष से अधिक पुराना है.
वर्षों से इस मेले का किया जा रहा आयोजन
यह मेला नुमाइश के मेले के नाम से जाना जाता है. इसके पीछे कई रोचक और ऐतिहासिक कहानियां जुड़ी हुई हैं. यह मेला आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है और जनपद वासियों के साथ ही आस-पास जिले के लोग भी बड़ी संख्या में इस मेले का लुफ्त उठाने यहां आते हैं. यह मेला राष्ट्रीय एकता के मिसाल को भी प्रदर्शित करता है.
हर समुदाय के लोग उठाते हैं लुफ्त
जिले में लगने वाला सैकड़ों वर्ष पुराना ये मेला एक परंपरा के रूप में आयोजित होता चला आ रहा है. गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल इस मेले को नुमाइश मेले के नाम से जाना जाता है. वहीं इस मेले में आने वाले अधिकांश दुकानदार भी मुस्लिम समुदाय के ही होते हैं और कई वर्षों से इस मेले में आकर यहां की शान बढ़ाते हैं. बुधवार को पूजा अर्चना कर इस मेले की शुरुआत की गई. आगामी 10 दिनों में पूर्ण रूप से यह मेला अपने अस्तित्व में आ जाएगा. इतना ही नहीं तमाम रोचक झूले, सर्कस, जादू के शो आदि का भी लोग यहां कम दामों में लुफ्त उठाते हैं.
भाई चारे का प्रतीक है यह मेला
रामलीला और मेला कमेटी के संरक्षक व पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष एडवोकेट राम प्रकाश शुक्ला ने इस मेले के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि यह मेला हिन्दू मुस्लिम भाई चारे का प्रतीक है और साथ ही यहां आयोजित होने वाले कार्यक्रम भी राष्ट्रीय सौहार्द की भावना को प्रकट करता हैं.
करीब 111 वर्षों से अधिक समय से इस मेले का आयोजन एक परंपरा के रूप में होता चला आ रहा है. यहां तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे जवाबी कव्वाली, कवि सम्मेलन, दंगल, देश भक्ति गीत प्ररियोगिता और रामलीला का आयोजन किया जाता है.
किसी भी राजनीतिक दल का प्रचार नहीं करता यह मेला
राम प्रकाश शुक्ला से पूर्व बाबू सिरीश चंद्र श्रीवास्तव ने 60 वर्षों तक इस मेले की कमान संभाली थी. उनके और अन्य जनपद के आम लोगों ने इस मेले की आधार शिला रखी थी. इसके बाद से आज सैकड़ों वर्षों बाद यह एक ऐतिहासिक मेले के रूप में आयोजित होता आ रहा है. उन्होंने कहा कि यह मेला एक ही स्थान नुमाइश मैदान में ही लगता आ रहा है. उन्होंने बताया कि किसी भी तरह के धर्म व राजनीतिक दल आदि का ये मेला प्रचार नहीं करता है.
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