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हापुड़: शहीद दिवस पर युवाओं ने निकाला कैंड़ल मार्च - up news

शहीद दिवस पर हापुड़ में हजारों लोगों ने देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीद भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को हजारों युवाओं ने श्रद्धांजलि दी.

शहीद दिवस पर हापुड़ में पैदल मार्च
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Published : Mar 24, 2019, 9:56 AM IST

हापुड़: देश को आजाद कराने के लिए हंसते- हंसते फांसी को गले लगाने वाले शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को हजारों युवाओं ने श्रद्धांजलि दी. इसके चलते जिले में शहीद दिवस पर देश के इन वीर सपूतों की याद में हजारों लोगों ने हाथ में तिरंगा लेकर शहर में पैदल मार्च निकाला. इसके साथ ही दिल्ली रोड डिस्ट्रिक्ट रामलीला मैदान के बाहर शहीद स्तंभ पर दीप जलाकर शहीदों को नमन किया.

शहीद दिवस पर हापुड़ में पैदल मार्च

शहीद दिवस के अवसर पर देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को हजारों युवाओं ने नम आंखों से याद किया.

क्यों मनाते हैं शहीद दिवस :

लाहौर में वर्ष 1928 को क्रांतिकारियों ने जूनियर अफसर जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी. जिससे पूरी ब्रिटिश हुकूमत हिल गई. जिसके बाद बौखलाई ब्रिटिश हुकूमत ने भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु जॉन सॉन्डर्स की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. उन्हें हत्या का दोषी मानते हुए 24 मार्च को फांसी देने की सजा सुना दी.

इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने चुपचाप अपने नापाक इरादों के चलते तीनों क्रांतिकारियों को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल के अंदर फांसी दे दी. जिससे इन नौजवान क्रांतिकारियों की अंग्रेजी हुकूमत द्वारा एक दिन पहले फांसी देने की खबर पूरे देशे में फेल गई.

इसके बाद हर मन में अंग्रेजी हुकूमत के प्रति आक्रोशऔर बढ गया. जिससे अंग्रेज़ी हुकूमत के पैर उखड गये, और तब से हर वर्ष पूरा देश इस दिन इन शहीदों को याद करता है.

हापुड़: देश को आजाद कराने के लिए हंसते- हंसते फांसी को गले लगाने वाले शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को हजारों युवाओं ने श्रद्धांजलि दी. इसके चलते जिले में शहीद दिवस पर देश के इन वीर सपूतों की याद में हजारों लोगों ने हाथ में तिरंगा लेकर शहर में पैदल मार्च निकाला. इसके साथ ही दिल्ली रोड डिस्ट्रिक्ट रामलीला मैदान के बाहर शहीद स्तंभ पर दीप जलाकर शहीदों को नमन किया.

शहीद दिवस पर हापुड़ में पैदल मार्च

शहीद दिवस के अवसर पर देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को हजारों युवाओं ने नम आंखों से याद किया.

क्यों मनाते हैं शहीद दिवस :

लाहौर में वर्ष 1928 को क्रांतिकारियों ने जूनियर अफसर जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी. जिससे पूरी ब्रिटिश हुकूमत हिल गई. जिसके बाद बौखलाई ब्रिटिश हुकूमत ने भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु जॉन सॉन्डर्स की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. उन्हें हत्या का दोषी मानते हुए 24 मार्च को फांसी देने की सजा सुना दी.

इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने चुपचाप अपने नापाक इरादों के चलते तीनों क्रांतिकारियों को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल के अंदर फांसी दे दी. जिससे इन नौजवान क्रांतिकारियों की अंग्रेजी हुकूमत द्वारा एक दिन पहले फांसी देने की खबर पूरे देशे में फेल गई.

इसके बाद हर मन में अंग्रेजी हुकूमत के प्रति आक्रोशऔर बढ गया. जिससे अंग्रेज़ी हुकूमत के पैर उखड गये, और तब से हर वर्ष पूरा देश इस दिन इन शहीदों को याद करता है.

Intro:स्लग शहीद दिवस
स्थान हापुड़
दिनांक 23 मार्च 19
रिपोर्ट प्रवीण शर्मा

नोट फीड एफटीपी पर UP-HAPUR-PRAVEEN SHARMA-23 MAR 19 -SHEED DIVAS के नाम से है

एंकर - भारत को आजाद कराने के लिए खुशी खुशी फांसी पर झूलने वाले शहीद भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु की याद में आज हजारों युवाओं एवं लोगों ने हाथ में तिरंगा लेकर शहर के मुख्य मार्गो से क्या किलोमीटर पैदल मार्च निकाल कर दिल्ली रोड डिस्ट्रिक्ट रामलीला मैदान के बाहर शहीद स्तंभ पर दीप जला दो पैदल मार्च समाप्त किया


Body:वीओ - आपको बता दें लाहौर में वर्ष 1928 को क्रांतिकारियों के विरोधी जूनियर अफसर जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी जिससे ब्रिटिश हुकूमत हिल गई ब्रिटिश हुकूमत ने भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु जॉन सॉन्डर्स की हत्या के आरोप में मुकदमा चला कर उक्त हत्या का दोषी मानते हुए तीनों क्रांतिकारियों को 24 मार्च को फांसी देने की सजा सुनाई थी अंग्रेजी हुकूमत ने चुपचाप अपने नापाक इरादों के चलते तीनों क्रांतिकारियों को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल के अंदर फांसी दे दी जिससे इन नोजवान क्रांतिकारियों की अंग्रेजी हुकूमत द्वारा एक दिन पहले फांसी दे की खबर पूरे भारत में फेल गई जिससे हर बुड्ढे बच्चे नोजवान के मन अंग्रेजी हुकूमत के प्रति आक्रोश गुस्सा और बढ गया जिससे अंग्रेज़ी हुकूमत के पैर उखड गये वही क्रांतिकारियों वीर शहिदों की याद में हर वर्ष शहर के सैकड़ों युवा शहरवासी हाथों में तीरंगा लेकर देशभक्ति गीत बजाते और गाते हुए बाईक पैदल मार्च निकलकर उन वीर शहिदों को याद कर शहिद स्तम्भ पर दीए जलाते है

बाईट मुकेश त्यागी राष्ट्रीय सैनिक संस्था के सदस्य
बाईट सुखवीर
बाईट नितिन


Conclusion:वीओ फाइनल - आपको बता दें इस प्रकार के आयोजनों से जहां लोगों में देश के प्रति देश भक्ति की भावना जागृत होती है वहीं देश की आजादी के लिए हंसते हंसते फांसी पर चढ़ने वाली वीर शहीदों याद कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देते है
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