हमीरपुरः बुंदेलखंड की बदहाली दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने पैकेज दिया था. लेकिन इस पैकेज की बंदरबांट सूबे में सरकार बदलने के बाद भी नहीं रुकी है. बुंदेलखंड पैकेज के तहत दो लाख रुपये अनुदान पर जिले में बनवाए 35 पैक हाउसों में मानकों की अनदेखी हुई है. जिससे शासन की मंशा पूरी होती नहीं दिख रही. जहां ज्यादातर किसान इनका आवास के रूप में प्रयोग कर रहे है. वहीं कई निर्माणाधीन पैक हाउसों को विभाग महीनों पहले पूरा होता दिखाया है.
मानक के विपरीत बनाए गए पैक हाउस
ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की फसलों, फलों और अन्य उत्पादों को मार्केट ले जाने से पहले पैकिंग, छटाई जैसे कार्यों के लिए शासन ने जिले में 35 पैक हाउस के निर्माण की स्वीकृति दी थी. इसके साथ ही 70 लाख रुपये का बजट भी जारी किया था. जिससे किसान खेत पर ही सुविधा से उत्पादन की पैकिंग कर सके. बुंदेलखंड पैकेज के तहत चार लाख रुपये की लागत से तैयार होने वाले पैक हाउस के निर्माण में दो लाख रुपये उद्यान विभाग ने अनुदान के रूप में दिए हैं. वहीं शेष लागत किसान ने लगाई है. लेकिन मानक के अनुसार कई स्थानों पर इनका निर्माण बस्ती के बाहर खेत में न कराके आबादी के बीच ही करा दिया गया. गिरवर गांव के प्रधान प्रतिनिधि रवीन्द्र कुमार ने बताया कि गांव में पैक हाउस अभी बनाया जा रहा है, जबकि अभिलेखों मे कई महीने पहले बनकर तैयार दिखाया जा रहा है. उमरिया गांव में तीन पैक हाउस बनाए गए हैं. जिनमें एक पैक हाउस बस्ती में ही बनवा दिया गया है. उन्होंने बताया कि लाभार्थी अनिमितताओं पर अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं. औता गांव के प्रधान हरिशंकर बताते हैं कि गांव में नंदराम ने पैक हाउस निर्मित तो कराया है, लेकिन उसमें अनाज स्टोर न कर उसको रिहायशी मकान बना लिया है.
यहां बने पैक हाउस
उद्यान विभाग ने जिले के धमना, मुस्कराखुर्द, छिवौली, बंधौली, कैथा, गिरवर, औडेरा, नवैनी, मसीदन, बसेला, रघवा, जिगनी, उमरिया में तीन, कुसमरा, इंदरपुरा, लोधामऊ, पडुई मुस्करा, रीवन, रमेड़ी तरौस, सरसई, गौरी, गुढ़ा, इगोहटा, झलोखर, औता, उमरी, कुसमरा, सरसई, पाराओझी गांव में पैक हाउस बनवाए गए है. जिला उद्यान अधिकारी उमेशचंद्र उत्तम ने बताया कि पैक हाउस निर्माण में किसान ने भी लागत लगाई है. हर समय उसमें फसल और फलों की पैकिंग का काम नहीं हो सकता. इसके अलावा पैक हाउस में किसान रह सकता है.