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यूपी निकाय चुनाव: बगियों से परेशान दल, बसपा-सपा और कांग्रेस का समीकरण बिगड़ा

हमीरपुर में पार्टी से टिकट कटने के बाद नेता पार्टी से बगावत करके उसकी जड़ें खोदने में जुटे हैं. यह राजनीतिक दलों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. नगर निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान 4 मई को होगा.

नगर निकाय चुनाव
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Published : May 2, 2023, 1:08 PM IST

हमीरपुर: जिले में महज दो दिन बाद नगर निकाय चुनाव का मतदान होना है. मंगलवार को चुनाव प्रचार भी थम गया. सभी राजनीतिक दल पूरे जोर-शोर से लोगों को अपने पाले में करने में जुटे थे. इन राजनैतिक दलों से टिकट न मिलने पर बगावत करके मैदान में उतरे प्रत्याशी पार्टी के अधीकृत प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बन गए हैं. बागी नेताओं की रणनीति से बाहर निकलना इनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.

गौरतलब है कि भाजपा और कांग्रेस से होकर बसपा में शामिल हुए जयकरन सिंह को पार्टी ने टिकट थमाया है. वहीं, बसपा से टिकट न मिलने से नाराज मिशनरी कार्यकर्ता सीताराम वर्मा ने पीजेपी से मैदान में ताल ठोक रखी है. वो बसपा के कैडर वोट पर सेंधमारी करके पार्टी की जड़े खोदने में जुटे हैं. ऐसा ही कुछ हाल कांग्रेस का है. कांग्रेस ने पिछला चुनाव आजीवन कांग्रेसी रहे आनंदी प्रसाद के चेहरे पर लड़ा और जीता था. इस बार कांग्रेस के टिकट के लिए निवर्तमान चेयरमैन की पुत्र अजय कुमार पालीवाल प्रबल दावेदार थे. लेकिन, कांग्रेस हाईकमान ने अपना हाथ का निशान धीरेंद्र शिवहरे को थमा दिया. अब धीरेंद्र शिवहरे के साथ केवल हाथ है. लेकिन, कांग्रेसी नदारद हैं. वहीं, पुराने कार्यकर्ता निर्दलीय प्रत्याशी अजय कुमार पालीवाल के समर्थन में दिख रहे हैं. इससे कांग्रेस भी भितरघात का शिकार है.

समाजवादी पार्टी का हाल भी इससे जुदा नहीं है. सपा से कुलदीप शुक्ला, वीरेंद्र गुप्ता उर्फ छुट्टन, महेश गुप्ता दीपू, शशिकांत शुक्ला, लेखराम सोनकर, केसरीलाल वर्मा आदि के टिकट के प्रबल दावेदार थे. सपा ने पूर्व में वीरेंद्र गुप्ता उर्फ छुट्टन को टिकट थमाया. विरोध का स्वर तेज होने पर बाद में सपा ने शशिकांत को प्रत्याशी बना दिया. इसके बाद सपा से बगावत करके महेश गुप्ता दीपू, कुलदीप शुक्ला की पत्नी नमिता शुक्ला, लेखराम सोनकर, केसरीलाल वर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए.

हालांकि भाजपा की हालत इस मायने में ठीक है. यहां राहत की बात यह है कि टिकट मांगने वालों ने बगावत नहीं की है. चुपचाप घरों में बैठ गए हैं. सिद्धार्थ सिंह भाजपा का कमल लेकर प्रचार में जुटे हुए हैं. अब देखना होगा की बगावत करने वाले उम्मीदवार किस दल को कितना नुकसान पहुंचाएंगे. जिस तरह से उन्होंने प्रचार में ताकत झोंककर दलीय उम्मीदवारों का समीकरण बिगाड़ रखा है. उससे सभी परेशान हैं.

ये भी पढ़ेंः बसपा नेता इमरान मसूद जाना चाहते हैं जेल, आधी रात को फेसबुक पर छलका दर्द

हमीरपुर: जिले में महज दो दिन बाद नगर निकाय चुनाव का मतदान होना है. मंगलवार को चुनाव प्रचार भी थम गया. सभी राजनीतिक दल पूरे जोर-शोर से लोगों को अपने पाले में करने में जुटे थे. इन राजनैतिक दलों से टिकट न मिलने पर बगावत करके मैदान में उतरे प्रत्याशी पार्टी के अधीकृत प्रत्याशियों के लिए मुसीबत बन गए हैं. बागी नेताओं की रणनीति से बाहर निकलना इनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.

गौरतलब है कि भाजपा और कांग्रेस से होकर बसपा में शामिल हुए जयकरन सिंह को पार्टी ने टिकट थमाया है. वहीं, बसपा से टिकट न मिलने से नाराज मिशनरी कार्यकर्ता सीताराम वर्मा ने पीजेपी से मैदान में ताल ठोक रखी है. वो बसपा के कैडर वोट पर सेंधमारी करके पार्टी की जड़े खोदने में जुटे हैं. ऐसा ही कुछ हाल कांग्रेस का है. कांग्रेस ने पिछला चुनाव आजीवन कांग्रेसी रहे आनंदी प्रसाद के चेहरे पर लड़ा और जीता था. इस बार कांग्रेस के टिकट के लिए निवर्तमान चेयरमैन की पुत्र अजय कुमार पालीवाल प्रबल दावेदार थे. लेकिन, कांग्रेस हाईकमान ने अपना हाथ का निशान धीरेंद्र शिवहरे को थमा दिया. अब धीरेंद्र शिवहरे के साथ केवल हाथ है. लेकिन, कांग्रेसी नदारद हैं. वहीं, पुराने कार्यकर्ता निर्दलीय प्रत्याशी अजय कुमार पालीवाल के समर्थन में दिख रहे हैं. इससे कांग्रेस भी भितरघात का शिकार है.

समाजवादी पार्टी का हाल भी इससे जुदा नहीं है. सपा से कुलदीप शुक्ला, वीरेंद्र गुप्ता उर्फ छुट्टन, महेश गुप्ता दीपू, शशिकांत शुक्ला, लेखराम सोनकर, केसरीलाल वर्मा आदि के टिकट के प्रबल दावेदार थे. सपा ने पूर्व में वीरेंद्र गुप्ता उर्फ छुट्टन को टिकट थमाया. विरोध का स्वर तेज होने पर बाद में सपा ने शशिकांत को प्रत्याशी बना दिया. इसके बाद सपा से बगावत करके महेश गुप्ता दीपू, कुलदीप शुक्ला की पत्नी नमिता शुक्ला, लेखराम सोनकर, केसरीलाल वर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए.

हालांकि भाजपा की हालत इस मायने में ठीक है. यहां राहत की बात यह है कि टिकट मांगने वालों ने बगावत नहीं की है. चुपचाप घरों में बैठ गए हैं. सिद्धार्थ सिंह भाजपा का कमल लेकर प्रचार में जुटे हुए हैं. अब देखना होगा की बगावत करने वाले उम्मीदवार किस दल को कितना नुकसान पहुंचाएंगे. जिस तरह से उन्होंने प्रचार में ताकत झोंककर दलीय उम्मीदवारों का समीकरण बिगाड़ रखा है. उससे सभी परेशान हैं.

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