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हमीरपुर: उपेक्षा के चलते तालाबों के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट के बादल

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Published : Jun 26, 2019, 8:53 PM IST

जिले के अधिकतर तालाब भीषण गर्मी में सूख गए गए हैं. इससे भीषण जल संकट छा गया है. इसका प्रमुख कारण लोगों के द्वारा तालाब की जमीन पर अवैध कब्जा करना है. वहीं, जिलाधिकारी ने बताया कि तालाबो में पानी भरने की व्यवस्था की जा रही है.

हमीरपुर में सूखा तालाब.

हमीरपुर: बुंदेलखंड क्षेत्र में तालाबों का बहुत महत्व था. जल के प्रमुख स्रोत ये तालाब मवेशियों की प्यास बुझाने के साथ-साथ जल संरक्षण के कार्य में भी मददगार साबित होते थे, लेकिन समय के साथ-साथ इन तालाबों पर लोगों की बुरी नजर पड़ती गई और इनका अस्तित्व धीरे-धीरे मिटने लगा.

हमीरपुर में पानी की समस्या से जूझ रहे लोग.

तालाबों के अस्तित्व पर मंडरा रहा संकट

  • घटते जलस्तर से चिंतित प्रशासन ने तालाबों के महत्व को समझकर उसके जीर्णोद्धार के लिए कदम उठाए.
  • प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते तस्वीर में कुछ खासा बदलाव नहीं हो सका.
  • जिले के ज्यादातर तालाब अभी भी सूखे और बदहाल अवस्था में हैं.
  • कुछेछा गांव निवासी महेश अवस्थी बताते हैं कि पुराने समय में तालाब प्रमुख जल स्रोतों में से एक थे.
  • लोगों ने धीरे-धीरे तालाबों की जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया.
  • तालाब की जमीन पर कब्जा होने से तालाब खत्म होते चले गए और जल संकट बढ़ने लगा.

प्रशासनिक उदासीनता के चलते ही तालाबों पर माफियाओं के कब्जे हो सके, जिसके कारण लगभग सभी पुराने तालाब खत्म हो गए. जिला प्रशासन द्वारा जिन तालाबों को खुदवाया गया है, उनकी उचित देखरेख न होने के चलते वह भी बदहाल पड़े हैं. तालाबों को भरने की उचित व्यवस्था न होने के चलते जिले के ज्यादातर तालाब सूखे पड़े हुए हैं, जिस कारण मवेशियों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है.

-महेश अवस्थी, ग्रामीण


जिले में कुल 1428 तालाब है. इनमें 1100 से अधिक तालाबों को भरा गया है. जिन तालाबों में अभी पानी नहीं भरा जा सका है, उनमें भी पानी भरने की व्यवस्था करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं.

-अभिषेक प्रकाश, जिलाधिकारी, हमीरपुर

हमीरपुर: बुंदेलखंड क्षेत्र में तालाबों का बहुत महत्व था. जल के प्रमुख स्रोत ये तालाब मवेशियों की प्यास बुझाने के साथ-साथ जल संरक्षण के कार्य में भी मददगार साबित होते थे, लेकिन समय के साथ-साथ इन तालाबों पर लोगों की बुरी नजर पड़ती गई और इनका अस्तित्व धीरे-धीरे मिटने लगा.

हमीरपुर में पानी की समस्या से जूझ रहे लोग.

तालाबों के अस्तित्व पर मंडरा रहा संकट

  • घटते जलस्तर से चिंतित प्रशासन ने तालाबों के महत्व को समझकर उसके जीर्णोद्धार के लिए कदम उठाए.
  • प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते तस्वीर में कुछ खासा बदलाव नहीं हो सका.
  • जिले के ज्यादातर तालाब अभी भी सूखे और बदहाल अवस्था में हैं.
  • कुछेछा गांव निवासी महेश अवस्थी बताते हैं कि पुराने समय में तालाब प्रमुख जल स्रोतों में से एक थे.
  • लोगों ने धीरे-धीरे तालाबों की जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया.
  • तालाब की जमीन पर कब्जा होने से तालाब खत्म होते चले गए और जल संकट बढ़ने लगा.

प्रशासनिक उदासीनता के चलते ही तालाबों पर माफियाओं के कब्जे हो सके, जिसके कारण लगभग सभी पुराने तालाब खत्म हो गए. जिला प्रशासन द्वारा जिन तालाबों को खुदवाया गया है, उनकी उचित देखरेख न होने के चलते वह भी बदहाल पड़े हैं. तालाबों को भरने की उचित व्यवस्था न होने के चलते जिले के ज्यादातर तालाब सूखे पड़े हुए हैं, जिस कारण मवेशियों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है.

-महेश अवस्थी, ग्रामीण


जिले में कुल 1428 तालाब है. इनमें 1100 से अधिक तालाबों को भरा गया है. जिन तालाबों में अभी पानी नहीं भरा जा सका है, उनमें भी पानी भरने की व्यवस्था करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं.

-अभिषेक प्रकाश, जिलाधिकारी, हमीरपुर

Intro:उपेक्षा के चलते तालाबों के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट के बादल

हमीरपुर। बुंदेलखंड क्षेत्र में तालाबों का बहुत महत्व था। जल के प्रमुख स्रोत ये तालाब मवेशियों की प्यास बुझाने के साथ साथ जल संरक्षण के कार्य में भी कारगर साबित होते थे, लेकिन समय के साथ साथ इन तालाबों पर लोगों की बुरी नजर पड़ती गई और इनका अस्तित्व धीरे धीरे मिटने लगा। वहीं दूसरी ओर सूरज की बढ़ती तपन और घटते जलस्तर से चिंतित प्रशासन ने तालाबों की महत्ता को समझा और उनके जीर्णोद्धार के लिए कदम उठाएं। लेकिन प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी के चलते तस्वीर में कुछ खासा बदलाव नहीं हो सका। प्रशासन लाख दावे कुछ भी करें जिले के ज्यादातर तालाब सूखे और बदहाल हैं।


Body:कुछेछा गांव निवासी महेश अवस्थी बताते हैं कि पुराने समय में तालाब प्रमुख जल स्रोतों में से एक थे लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने तालाबों की जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया जिससे तालाब खत्म होते चले गए और जल संकट बढ़ने लगा। वे कहते हैं कि प्रशासनिक उदासीनता के चलते ही तालाबों पर माफियाओं के कब्जे हो सके। जिसके फल स्वरूप लगभग सभी पुराने तालाब खत्म हो गए। जिला प्रशासन द्वारा दिन तालाबों को खुलवाया गया है उनकी उचित देखरेख ना होने के चलते वह भी बदहाल पड़े हैं। वे कहते हैं कि तालाबों को भरने की उचित व्यवस्था ना होने के चलते जिले के ज्यादातर तालाब सूखे पड़े हुए हैं जिस कारण मवेशियों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन द्वारा तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए समय रहते अगर कठोर कदम नहीं उठाए गए तो बचे कुचे तालाब भी अपना अस्तित्व खो देंगे।


Conclusion:वहीं जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया कि जिले में कुल 1428 तालाब है। जिनमे 11 सौ से अधिक अधिक तालाबों को भरा गया है। जिन तालाबों में अभी पानी नहीं भरा जा सका है उनमें भी पानी भरने की व्यवस्था सुनिश्चित कराए जाने के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। वहीं दूसरी और जिलाधिकारी तालाबों के भरे होने का दावा लाख करें लेकिन हकीकत यही है कि जिले के ज्यादातर तालाब सूखे हुए हैं एवं अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।


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नोट : पहली बाइट कुछेछा निवासी महेश अवस्थी की है व दूसरी बाइक जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश की।
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