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हमीरपुर में रामनवमी, लोहे के सांग से जीभ में पांच छेद कराकर पहुंचा देवी भक्त - मां माहेश्वरी धाम

हमीरपुर जिले के मां माहेश्वरी धाम में रामनवमी के मौके पर निकाला गया धार्मिक जुलूस सुर्खियों में रहा. जुलूस में शामिल भक्तों ने अपने शरीर में लोहे की सांग से छेद करा रखा था.

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Published : Mar 30, 2023, 7:08 PM IST

हमीरपुर : रामनवमी का त्योहार यूपी में परंपरा और आस्था के साथ मनाया गया. इस मौके पर हमीरपुर के मां माहेश्वरी धाम में भक्तों की भीड़ लगी रही. भेड़ी डांडा गांव स्थित प्रसिद्ध मां माहेश्वरी धाम में निकाला गया जवारा जुलूस भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना रहा. जुलूस में शामिल कई भक्तों ने अपने शरीर को छिदवा रखा है. एक देवी भक्त ने अपनी जीभ को छिदवा रखा था. जवारा जुलूस निकलने का सिलसिला गुरुवार देर शाम तक जारी रहा. इस दौरान डीएम चंद्रभूषण त्रिपाठी भी माहेश्वरी माता मंदिर पहुंचे और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया.

गुरुवार के दिन रामनवमी के अवसर पर सुबह से ही मां माहेश्वरी धाम में देवी भक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई. इस मौके पर निकाले गए जवारा जुलूस में सैकड़ों की संख्या में देवी भक्त हाथों में लोहे की सांग लिए मंदिर पहुंचते रहे. महिलाएं अपने सिर पर जवारा के खप्पर और पताका लेकर बुंदेलखंडी अचरी गायन करते हुए मंदिर पहुंची. जुलूस में बैंडबाजा, भांगड़ा, हाथी, घोड़े डीजे आकर्षण का केंद्र रहे. जुलूस में शामिल कई भक्तों ने लोहे की सांग से शरीर के कई हिस्से में छेद कराया था. देवी भक्तों को कमेटी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने बारी बारी से मंदिर में प्रवेश कराया.

मां महेश्वरी का मंदिर मां दुर्गा के 22वें शक्तिपीठ के रूप में शामिल है. यहां पर मां महेश्वरी की पत्थर की शिला बेतवा नदी किनारे मिली थी. जिसके बाद इसकी स्थापना और पूजन का सिलसिला शुरू हुआ था. देवी भक्तों ने डांडा गांव में मां माहेश्वरी के मंदिर का निर्माण कराया. भेड़ी गांव के बुजुर्गों का कहना है कि इस मंदिर का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है. सैकड़ों वर्ष पहले बेतवा नदी किनारे घना जंगल हुआ करता था. तब जंगल में मिट्टी खोदते समय मां महेश्वरी प्रकट हुई थी. जिसके बाद जहां दिन में लोग जाने से कतराते थे, वहां माता की कृपा से यह स्थान लोगों की आत्मशांति के साथ ही मनोकामना पूरी करने के लिए विख्यात हो गया. देवी मां की ख्याति दूर-दूर तक फैली है. नवरात्र के दौरान मध्यप्रदेश के छतरपुर, विजावर, सागर, पन्ना के लोगों के साथ ही बुंदेलखंड के आसपास के कई जिलों से श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं. इस दौरान दस दिनों तक मंदिर परिसर में मेला लगता है. अष्टमी व नवमी को जवारों के समय हजारों की भीड़ उमड़ती है.

पढ़ें : रामनवमी पर अयोध्या में राम जन्मोत्सव का उल्लास, 50 लाख श्रद्धालु पहुंचे रामनगरी

हमीरपुर : रामनवमी का त्योहार यूपी में परंपरा और आस्था के साथ मनाया गया. इस मौके पर हमीरपुर के मां माहेश्वरी धाम में भक्तों की भीड़ लगी रही. भेड़ी डांडा गांव स्थित प्रसिद्ध मां माहेश्वरी धाम में निकाला गया जवारा जुलूस भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना रहा. जुलूस में शामिल कई भक्तों ने अपने शरीर को छिदवा रखा है. एक देवी भक्त ने अपनी जीभ को छिदवा रखा था. जवारा जुलूस निकलने का सिलसिला गुरुवार देर शाम तक जारी रहा. इस दौरान डीएम चंद्रभूषण त्रिपाठी भी माहेश्वरी माता मंदिर पहुंचे और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया.

गुरुवार के दिन रामनवमी के अवसर पर सुबह से ही मां माहेश्वरी धाम में देवी भक्तों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई. इस मौके पर निकाले गए जवारा जुलूस में सैकड़ों की संख्या में देवी भक्त हाथों में लोहे की सांग लिए मंदिर पहुंचते रहे. महिलाएं अपने सिर पर जवारा के खप्पर और पताका लेकर बुंदेलखंडी अचरी गायन करते हुए मंदिर पहुंची. जुलूस में बैंडबाजा, भांगड़ा, हाथी, घोड़े डीजे आकर्षण का केंद्र रहे. जुलूस में शामिल कई भक्तों ने लोहे की सांग से शरीर के कई हिस्से में छेद कराया था. देवी भक्तों को कमेटी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने बारी बारी से मंदिर में प्रवेश कराया.

मां महेश्वरी का मंदिर मां दुर्गा के 22वें शक्तिपीठ के रूप में शामिल है. यहां पर मां महेश्वरी की पत्थर की शिला बेतवा नदी किनारे मिली थी. जिसके बाद इसकी स्थापना और पूजन का सिलसिला शुरू हुआ था. देवी भक्तों ने डांडा गांव में मां माहेश्वरी के मंदिर का निर्माण कराया. भेड़ी गांव के बुजुर्गों का कहना है कि इस मंदिर का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है. सैकड़ों वर्ष पहले बेतवा नदी किनारे घना जंगल हुआ करता था. तब जंगल में मिट्टी खोदते समय मां महेश्वरी प्रकट हुई थी. जिसके बाद जहां दिन में लोग जाने से कतराते थे, वहां माता की कृपा से यह स्थान लोगों की आत्मशांति के साथ ही मनोकामना पूरी करने के लिए विख्यात हो गया. देवी मां की ख्याति दूर-दूर तक फैली है. नवरात्र के दौरान मध्यप्रदेश के छतरपुर, विजावर, सागर, पन्ना के लोगों के साथ ही बुंदेलखंड के आसपास के कई जिलों से श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं. इस दौरान दस दिनों तक मंदिर परिसर में मेला लगता है. अष्टमी व नवमी को जवारों के समय हजारों की भीड़ उमड़ती है.

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