हमीरपुर: जिले के मौदहा तहसील क्षेत्र स्थित खंडेह गांव में दो ऐसे मंदिर हैं जिनकी दिव्यता और भव्यता अपने आप में विशेष महत्व रखती है. मंदिरों की भव्यता देखकर यहां आने वाले श्रद्धालुओं भी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. इन मंदिरों को बनाने वालों ने हस्तकला व दस्तकारी का ऐसा नायाब नमूना पेश किया है. यहां की नक्काशी की खूबसूरती को शब्दों में बखान करना बेहद मुश्किल है. सैकड़ों वर्ष पुराने इन मंदिरों में पत्थरों पर कारीगरों ने हाथ से शानदार नक्काशी उकेरी है.
आईना-ए-अकबरी में खंडेह रियासत का जिक्र
मंदिर के पुजारी मदन कुमार दुबे बताते हैं कि खंडेह गांव में बने यह दोनों मंदिर लगभग 400-500 वर्ष पुराने हैं. उन्होंने बताया कि मुगल सम्राट अकबर के काल में रचित आईना-ए-अकबरी किताब में खंडेह रियासत का जिक्र है. इसके अलावा बुंदेलखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार वृंदा लाल वर्मा ने भी खंडेह रियासत का जिक्र अपने लेखों में किया है. उन्होंने बताया कि गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यह मंदिर बनने के बाद वर्षों तक वीरान पड़े रहे. मंदिर में पत्थरों पर छोटे-छोटे चित्र इतनी सफाई से उकेरे गए हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि है कि इन्हें किसी देवदूत या स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने बनाया है. उन्होंने बताया कि मंदिर में देख-रेख ना होने के कारण मंदिर में बनी पत्थरों की मूर्तियों में क्षरण होने लगा है.
पुजारी मदन कुमार दुबे का कहना है कि जिला प्रशासन की उपेक्षा के चलते यह मंदिर अब तक दुर्दशा के शिकार है. हस्त कला का अद्भुत नमूना होने के बावजूद इन मंदिरों को अभी तक ख्याति नहीं मिल पाई है. लेकिन गांव वासियों के प्रयास के चलते बीते कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के पर्यटन महानिदेशक रवि कुमार एनजी मंदिर का दौरा करने पहुंचे. जिससे गांव वासियों में मंदिर के कायाकल्प की उम्मीद जगी है.
वहीं गांव में रहने वाले रामबाबू दुबे बताते हैं कि मंदिर में पत्थरों पर जैसी नक्काशी की गई है, उस तरह की नक्काशी जल्दी देखने को नहीं मिलती, लेकिन खंडेह गांव में स्थिति इन अद्भुत एवं प्राचीन मंदिरों में देख-रेख ना होने के चलते मूर्तियों में क्षरण होने लगा है. ऐसे में पर्यटन महानिदेशक का दौरा किसी उम्मीद से कम नहीं है.