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हमीरपुर: नहीं थम रहा बाढ़ का कहर, बेघर लोगों में भारी आक्रोश

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में आई बाढ़ थमने का नाम नहीं ले रही है. जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं. जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के लिए बनाए गए राहत शिविर भी नाकाम साबित हो रहे, जिससे लोगों में काफी आक्रोश पैदा हो रहा है.

सड़कों पर रहने को मजबूर ग्रामीण.
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Published : Sep 19, 2019, 2:50 PM IST

हमीरपुरः बांध से पानी छोड़े जाने के बाद जिले में बहने वाली यमुना और बेतवा नदियों में आई बाढ़ थमने का नाम नहीं ले रही है. ये नदियां खतरे के निशान से लगभग तीन मीटर ऊपर बह रही है. नदियों से आई बाढ़ से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं. हालांकि जिला प्रशासन द्वारा राहत शिविर चलाए जा रहे हैं, लेकिन वह भी नाकामयाब साबित हो रहे हैं. जिसकी वजह से ग्रामीण सड़क के किनारे डेरा जमाकर रहने को मजबूर हैं.

बाढ़ से सड़कों पर रहने को मजबूर ग्रामीण.

इसे भी पढ़ें- हमीरपुर: यमुना-बेतवा का प्रकोप जारी, बाढ़ प्रभावितों को जिला प्रशासन पहुंचा रहा राहत सामग्री

बाढ़ से लोगों में आक्रोश
बाढ़ में अपना घर खो चुकी रामदुलारी बताती हैं कि नदी के पानी से उनका कच्चा घर पूरी तरह से तहस-नहस हो चुका है. पूरा परिवार सड़क पर गुजारा करने को मजबूर हैं. साथ ही मवेशियों के खाने की भी समस्या खड़ी हो गई है. जिला प्रशासन से राहत के नाम पर अभी तक उन्हें कुछ भी नहीं मिला है. उनके गांव के ज्यादातर लोग सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर गए हैं और नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए वह भी पलायन को मजबूर है.

नाकाम साबित हो रहें राहत शिविर
माताटीला बांध से बेतवा नदी में और कोटा बैराज बांध से यमुना नदी में लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने के चलते यह दोनों नदियां उफान पर हैं. जिससे जिले के निचले इलाकों में भारी तबाही का माहौल है. बाढ़ प्रभावितों के लिए कुछेछा डिग्री कॉलेज में राहत शिविर की स्थापना की गई है. जहां विस्थापित लोगों के रहने का इंतजाम किया गया है, लेकिन बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए यह राहत शिविर नाकाम साबित हो रहा है.

हमीरपुरः बांध से पानी छोड़े जाने के बाद जिले में बहने वाली यमुना और बेतवा नदियों में आई बाढ़ थमने का नाम नहीं ले रही है. ये नदियां खतरे के निशान से लगभग तीन मीटर ऊपर बह रही है. नदियों से आई बाढ़ से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं. हालांकि जिला प्रशासन द्वारा राहत शिविर चलाए जा रहे हैं, लेकिन वह भी नाकामयाब साबित हो रहे हैं. जिसकी वजह से ग्रामीण सड़क के किनारे डेरा जमाकर रहने को मजबूर हैं.

बाढ़ से सड़कों पर रहने को मजबूर ग्रामीण.

इसे भी पढ़ें- हमीरपुर: यमुना-बेतवा का प्रकोप जारी, बाढ़ प्रभावितों को जिला प्रशासन पहुंचा रहा राहत सामग्री

बाढ़ से लोगों में आक्रोश
बाढ़ में अपना घर खो चुकी रामदुलारी बताती हैं कि नदी के पानी से उनका कच्चा घर पूरी तरह से तहस-नहस हो चुका है. पूरा परिवार सड़क पर गुजारा करने को मजबूर हैं. साथ ही मवेशियों के खाने की भी समस्या खड़ी हो गई है. जिला प्रशासन से राहत के नाम पर अभी तक उन्हें कुछ भी नहीं मिला है. उनके गांव के ज्यादातर लोग सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर गए हैं और नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए वह भी पलायन को मजबूर है.

नाकाम साबित हो रहें राहत शिविर
माताटीला बांध से बेतवा नदी में और कोटा बैराज बांध से यमुना नदी में लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने के चलते यह दोनों नदियां उफान पर हैं. जिससे जिले के निचले इलाकों में भारी तबाही का माहौल है. बाढ़ प्रभावितों के लिए कुछेछा डिग्री कॉलेज में राहत शिविर की स्थापना की गई है. जहां विस्थापित लोगों के रहने का इंतजाम किया गया है, लेकिन बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए यह राहत शिविर नाकाम साबित हो रहा है.

Intro:बाढ़ का कहर जारी, बेघर हुए लोगों में भारी आक्रोश

हमीरपुर। जिले में बहने वाली यमुना और बेतवा नदियों में आई बाढ़ थमने का नाम नहीं ले रही है। खतरे के निशान से लगभग 3 मीटर ऊपर बह रही है। ये नदियां हजारों की संख्या में घरों को तबाह कर चुकी हैं। इतना ही नहीं सैकड़ों एकड़ फसल भी पूरी तरह से जलमग्न हो गई है। बाढ़ की चपेट में आकर अपना घर खो चुके लोगों पर मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ा है। हालांकि जिला प्रशासन द्वारा राहत शिविर चलाए जा रहे हैं लेकिन वे नाकाफी साबित हो रहे हैं जिसकी वजह से बाढ़ प्रभावित सड़क के किनारे डेरा जमाने को मजबूर हैं।




Body:बाढ़ में अपना घर खोज की रामदुलारी बताती हैं कि नदी के पानी से उनका कच्चा घर पूरी तरह से तहस-नहस हो चुका है। उनका पूरा परिवार सड़क पर गुजारा करने को मजबूर है। वे बताती हैं कि चारों तरफ बाढ़ होने की वजह से उनका पूरा परिवार भारी मुश्किलों का सामना कर रहा है। साथ ही मवेशियों के खाने की भी समस्या खड़ी हो गई है। रामदुलारी कहती हैं कि जिला प्रशासन से राहत के नाम पर अभी तक उन्हें कुछ भी नहीं मिला। उनके गांव के ज्यादातर लोग सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर गए हैं और नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए वह भी पलायन को मजबूर हैं।


Conclusion:बताते चलें कि माताटीला बांध से बेतवा नदी में व कोटा बैराज बांध से यमुना नदी में लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने के चलते यह दोनों नदियां उफान पर हैं और हमीरपुर के निचले इलाकों में भारी तबाही मचा रही हैं। बाढ़ प्रभावितों के लिए कुछेछा डिग्री कॉलेज में राहत शिविर की स्थापना की गई है। जहां विस्थापित लोगों के रहने का इंतजाम किया गया है, लेकिन बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए यह राहत शिविर नाकाफी साबित हो रहा है।

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बाइट : रामदुलारी की है।
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