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प्रधानी के चुनाव में आमने-सामने पति-पत्नी, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

गोरखपुर में पंचायत चुनाव के दौरान एक शानदार मुकाबला देखने को मिलने वाला है. चुनाव मैदान में पति-पत्नी आमने-सामने आ गए हैं. ऐसा नहीं है कि पत्नी ने अपने पति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. यहां मामला कुछ और ही है. पढ़िए यह रिपोर्ट...

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गोरखपुर
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Published : Apr 9, 2021, 3:37 AM IST

Updated : Apr 9, 2021, 6:25 AM IST

गोरखपुर : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में गोरखपुर में एक शानदार मुकाबला होने वाला है. जिले के भटहट ब्लॉक के औरंगाबाद गांव में प्रधान पद के चुनाव में पति-पत्नी ही आमने-सामने आ गए हैं. टेराकोटा जैसे विश्व प्रसिद्ध उत्पाद को लेकर औरंगाबाद पहले से ही चर्चा में रहता है. लेकिन ग्राम प्रधान के चुनाव में इस घटनाक्रम के सामने आने के बाद यह खास चर्चा का विषय बन गया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पति-पत्नी की यह दावेदारी किसी विवाद या खास वजह से नहीं हुई है, बल्कि चुनाव चिन्ह के आवंटन को लेकर इन दोनों ने दावेदारी कर दी थी और आखिरी वक्त में जब इन्हें अपना नाम वापस लेना था तो उनके स्तर से हुई देरी ने इन्हें चुनावी मैदान में लाकर खड़ा कर दिया. फिलहाल जीत-हार का फैसला जो भी हो लेकिन इन दोनों के बीच कुछ मतों का बंटवारा होना तो तय ही है.


मनचाहा चुनाव चिन्ह के चक्कर में उलझ गई चुनावी गाड़ी

औरंगाबाद काफी प्रसिद्ध गांव है. इसकी पहचान और धमक प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक है. लेकिन मौजूदा पंचायत के चुनाव में उत्पन्न हुई इस हालत ने इसे खासा चर्चा का विषय बना दिया है. दरअसल पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर हुए फेरबदल से यहां पर उहापोह की स्थिति बनी हुई थी. वर्तमान में यह गांव पिछली जाति की सूची का है. जबकि चुनाव पूर्व आरक्षण की सूची में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. मनचाहा चुनाव चिन्ह पाने के लिए इस गांव के कई दावेदारों ने एक ही पद के लिए अपना, अपने परिवार के सदस्यों का पर्चा भरा दिया था. इसी तरह के खेल में शामिल निवर्तमान प्रधान मांडवी देवी और उनके पति राकेश प्रजापति अब चुनावी मैदान में आमने-सामने आ गए हैं.

परफॉर्मेंस ग्रांट का पड़ा है 3 करोड़ 40 लाख का बजट

मांडवी देवी के पति राकेश प्रजापति का कहना है कि प्रचार-प्रसार में भले ही जोर आजमाइश न हो लेकिन अब वह दोनों मैदान में तो हैं ही. ऐसा इसलिए हुआ कि चुनाव चिन्ह बदल न जाए. इसलिए अंतिम समय तक उन लोगों ने पर्चा नहीं उठाया और देरी के साथ विशेष चिन्ह की चाह में वह और उनकी पत्नी चुनाव मैदान में आ चुके हैं. एक दूसरे को समर्थन न देने और देने के मामले में निर्वाचन आयोग के नियम कानून के तहत विचार किया जा रहा है. फिलहाल एक-दो दिनों में स्थिति साफ हो जाएगी कि कौन प्रचार में तेजी दिखाएगा और कौन घर बैठ जाएगा. औरंगाबाद गांव के विकास को देखते हुए केंद्र सरकार की योजना परफारमेंस ग्रांट के लिए भी इसका चयन हुआ है. इसके लिए विकास के मद में 3 करोड़ 40 लाख का बजट भी स्वीकृत हो चुका है. जो प्रधान जीतकर आएगा वह इस पैसे से गांव का विकास कराएगा.

गोरखपुर : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में गोरखपुर में एक शानदार मुकाबला होने वाला है. जिले के भटहट ब्लॉक के औरंगाबाद गांव में प्रधान पद के चुनाव में पति-पत्नी ही आमने-सामने आ गए हैं. टेराकोटा जैसे विश्व प्रसिद्ध उत्पाद को लेकर औरंगाबाद पहले से ही चर्चा में रहता है. लेकिन ग्राम प्रधान के चुनाव में इस घटनाक्रम के सामने आने के बाद यह खास चर्चा का विषय बन गया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि पति-पत्नी की यह दावेदारी किसी विवाद या खास वजह से नहीं हुई है, बल्कि चुनाव चिन्ह के आवंटन को लेकर इन दोनों ने दावेदारी कर दी थी और आखिरी वक्त में जब इन्हें अपना नाम वापस लेना था तो उनके स्तर से हुई देरी ने इन्हें चुनावी मैदान में लाकर खड़ा कर दिया. फिलहाल जीत-हार का फैसला जो भी हो लेकिन इन दोनों के बीच कुछ मतों का बंटवारा होना तो तय ही है.


मनचाहा चुनाव चिन्ह के चक्कर में उलझ गई चुनावी गाड़ी

औरंगाबाद काफी प्रसिद्ध गांव है. इसकी पहचान और धमक प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक है. लेकिन मौजूदा पंचायत के चुनाव में उत्पन्न हुई इस हालत ने इसे खासा चर्चा का विषय बना दिया है. दरअसल पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर हुए फेरबदल से यहां पर उहापोह की स्थिति बनी हुई थी. वर्तमान में यह गांव पिछली जाति की सूची का है. जबकि चुनाव पूर्व आरक्षण की सूची में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. मनचाहा चुनाव चिन्ह पाने के लिए इस गांव के कई दावेदारों ने एक ही पद के लिए अपना, अपने परिवार के सदस्यों का पर्चा भरा दिया था. इसी तरह के खेल में शामिल निवर्तमान प्रधान मांडवी देवी और उनके पति राकेश प्रजापति अब चुनावी मैदान में आमने-सामने आ गए हैं.

परफॉर्मेंस ग्रांट का पड़ा है 3 करोड़ 40 लाख का बजट

मांडवी देवी के पति राकेश प्रजापति का कहना है कि प्रचार-प्रसार में भले ही जोर आजमाइश न हो लेकिन अब वह दोनों मैदान में तो हैं ही. ऐसा इसलिए हुआ कि चुनाव चिन्ह बदल न जाए. इसलिए अंतिम समय तक उन लोगों ने पर्चा नहीं उठाया और देरी के साथ विशेष चिन्ह की चाह में वह और उनकी पत्नी चुनाव मैदान में आ चुके हैं. एक दूसरे को समर्थन न देने और देने के मामले में निर्वाचन आयोग के नियम कानून के तहत विचार किया जा रहा है. फिलहाल एक-दो दिनों में स्थिति साफ हो जाएगी कि कौन प्रचार में तेजी दिखाएगा और कौन घर बैठ जाएगा. औरंगाबाद गांव के विकास को देखते हुए केंद्र सरकार की योजना परफारमेंस ग्रांट के लिए भी इसका चयन हुआ है. इसके लिए विकास के मद में 3 करोड़ 40 लाख का बजट भी स्वीकृत हो चुका है. जो प्रधान जीतकर आएगा वह इस पैसे से गांव का विकास कराएगा.

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Last Updated : Apr 9, 2021, 6:25 AM IST
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