गोरखपुर : अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मक्खन लाल गोयल ने कहा कि जो दल व्यापारी हितों के लिए काम करेगा व्यापारी आने वाले विधानसभा के चुनाव में उसके ही साथ जाएंगे. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में व्यापारियों का बड़ा नुकसान हुआ है. सरकार ने उल-जूलूल फैसले लिए, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने जिन व्यापारियों का व्यापार चौपट हो रहा था, उनके लिए कोई आवाज नहीं उठाई. उन्होंने कहा कि नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है. लोग भारी कर्ज में डूबे हुए हैं. लोगों का जीवन यापन करना बहुत कठिन हो गया है. ऐसे में कोई भी राजनीतिक दल व्यापारी समुदाय को गुमराह करने के बारे में सोचें भी मत. उन्होंने कहा कि व्यापारी समाज किसी भी बहकावे में नहीं आएगा और आने वाले चुनाव में इसका मुंहतोड़ जवाब भी देगा.
मक्खन लाल गोयल गोरखपुर में बदलती परिस्थितियों को देखकर निषाद पार्टी के साथ जा मिले थे, लेकिन उन्हें भी अदालत अब रास नहीं आ रहा है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सिर्फ अपने दल के हित और चुनावी गणित में ही जुटे दिखाई दे रहे हैं. व्यापारियों को लेकर उनकी कोई स्टेटजी सामने नहीं आ रही. ऐसे में उनके लिए दल से पहले व्यापार व्यापारी हित है. उन्होंने कहा कि अधिकांश व्यापारी भाजपा के पैरोकार और प्रशंसक रहे हैं. पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी व्यापारी समाज और देश के लिए बहुत कुछ किए हैं, लेकिन लॉकडाउन में उनकी दोहरी नीति का मार व्यापारी झेलने को मजबूर हुआ है. निषाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होते हुए भी अपने दल को कभी भी छोड़ देने की बात कहने वाले गोयल ने कहा कि वह किसी भी दल में इसीलिए जाते हैं कि व्यापारियों का हित सुरक्षित हो सके, लेकिन जब दल व्यापारी उत्पीड़न पर जुट जाएगा तो व्यापारी भला उसके साथ कैसे रहेगा.
इसे भी पढ़ें- UP विधानसभा चुनाव 2022ः गोरखपुर सदर विधानसभा की डेमोग्राफिक रिपोर्ट
मक्खन लाल गोयल ने कहा कि भाजपा में कुछ आस्तीन के सांप छुपे बैठे हैं. पार्टी में जनाधार विहीन लोगों को तवज्जो दी जा रही है. अच्छे और कद्दावर लोगों की घोर उपेक्षा की जाती है. इसी कारण उन्होंने 2012 में भाजपा छोड़ पीस पार्टी का दामन थाम लिया था, जिसकी बदौलत प्रदेश में 4 सीटों पर पीस पार्टी को विजय मिली थी, जिसमें पूर्वांचल की तीन सीटें शामिल थीं, लेकिन पीस पार्टी के मुखिया डॉ. अयूब आगे चलकर एक विशेष समुदाय की बात करने लगे थे तो उन्होंने पीस पार्टी को छोड़कर निषाद पार्टी का दामन थाम लिया। जिसका फायदा निषाद पार्टी को गोरखपुर संसदीय सीट से लेकर संत कबीर नगर संसदीय सीट पर भी देखने को मिला है, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सिर्फ अपने और परिवार के हिट में जुट गए हैं. व्यापारी समुदाय के मान सम्मान और सुरक्षा की उन्हें कोई चिंता नहीं. उन्होंने कहा कि भविष्य में पार्टी व्यापारी समाज को उचित मान सम्मान देती है तो वह निषाद पार्टी के साथ हैं नहीं तो कभी भी वह व्यापारी हित में दल को छोड़ सकते हैं.