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DDU के कुलपति के खिलाफ सत्याग्रह शुरू करने वाले प्रोफेसर को विश्वविद्यालय ने किया सस्पेंड

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्त को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से निलंबित किया गया है. इसके साथ ही उन पर लगे आरोप की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है.

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय
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Published : Dec 21, 2021, 6:39 PM IST

गोरखपुरः दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय (Deendayal Upadhyay Gorakhpur University) के हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्त (Professor Kamlesh Gupta of Hindi Department) को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से निलंबित कर दिया गया है. उन पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई है. जिसमें दो पूर्व कुलपति और एक कार्यपरिषद सदस्य शामिल हैं. इसके साथ ही दो और शिक्षकों को भी कार्रवाई के लिए चिन्हित किया गया है.

प्रोफेसर गुप्त को विश्वविद्यालय के पठन-पाठन के माहौल को खराब करने, बिना जानकारी आवंटित कक्षाओं में न पढ़ाने, समय सारिणी के मुताबिक न पढ़ाने और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करते हुए टिप्पणी करने, विद्यार्थियों को अपने घर बुलाकर घरेलू कार्य कराना और उनका उत्पीड़न करने, जो विद्यार्थी उनकी बात नहीं सुनते हैं, उनको परीक्षा में फेल करने की धमकी देने का मामला है. इसके साथ ही महाविद्यालयों में मौखिकी परीक्षाओं में धन उगाही की शिकायत, विभाग के के लड़कियों के प्रति उनका व्यवहार मानसिक रूप से ठीन नहीं रहने और नई शिक्षा नीति, नये पाठ्यक्रम में मौखिकी परीक्षाओं के बारे में दुष्प्रचार करने, सोशल मीडिया पर बिना विश्विद्यालय के संज्ञान में लाए भ्रामक प्रचार फैलाने समेत कई आरोपों के साथ कार्रवाई की गई है. दिन में ही प्रोफेसर कमलेश कुलपति के खिलाफ अपना सत्याग्रह आंदोलन शुरू किये और कार्रवाई के शिकार हो गए.

हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्त
हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्त

उन पर लगे आरोपों में विश्वविद्यालय के प्रति अनुशासनहीनता एवं दायित्व निर्वहन के प्रति घोर लापरवाही और कर्तव्य विमुखता के लिए कुलसचिव की ओर से समय-समय पर उन्हें आठ नोटिस जारी करने का भी जिक्र किया गया है. उनपर आरोप लगाया गया है कि उनकी ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है. उनके द्वारा लगातार सोशल मीडिया पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन और अधिकारियों की गरिमा को धूमिल किया जा रहा है. विश्वविद्यालय ने उनके इस आचरण को विश्वविद्यालय के परिनियम के अध्याय 16(1) की धारा 16 की उपधारा, 2,3 और 4 इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के कंडक्ट रूल 1956 के खिलाफ मानते हुए कार्रवाई किया है.

इसे भी पढ़ें- DDU Gorakhpur University: कुलपति के खिलाफ हिंदी विभाग के प्रोफेसर ने शुरू किया सत्याग्रह

इसेक साथ ही कुलपति महोदय के निर्देशानुसार शैक्षिक गतिविधियों के सुचारू रूप से संचालन किये जाने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी तरह के धरना-प्रदर्शन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. इसका उल्लंघन शिक्षक/कर्मचारी/विद्यार्थी द्वारा करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने का भी आदेश हुआ है.

गोरखपुरः दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय (Deendayal Upadhyay Gorakhpur University) के हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्त (Professor Kamlesh Gupta of Hindi Department) को विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से निलंबित कर दिया गया है. उन पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई है. जिसमें दो पूर्व कुलपति और एक कार्यपरिषद सदस्य शामिल हैं. इसके साथ ही दो और शिक्षकों को भी कार्रवाई के लिए चिन्हित किया गया है.

प्रोफेसर गुप्त को विश्वविद्यालय के पठन-पाठन के माहौल को खराब करने, बिना जानकारी आवंटित कक्षाओं में न पढ़ाने, समय सारिणी के मुताबिक न पढ़ाने और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करते हुए टिप्पणी करने, विद्यार्थियों को अपने घर बुलाकर घरेलू कार्य कराना और उनका उत्पीड़न करने, जो विद्यार्थी उनकी बात नहीं सुनते हैं, उनको परीक्षा में फेल करने की धमकी देने का मामला है. इसके साथ ही महाविद्यालयों में मौखिकी परीक्षाओं में धन उगाही की शिकायत, विभाग के के लड़कियों के प्रति उनका व्यवहार मानसिक रूप से ठीन नहीं रहने और नई शिक्षा नीति, नये पाठ्यक्रम में मौखिकी परीक्षाओं के बारे में दुष्प्रचार करने, सोशल मीडिया पर बिना विश्विद्यालय के संज्ञान में लाए भ्रामक प्रचार फैलाने समेत कई आरोपों के साथ कार्रवाई की गई है. दिन में ही प्रोफेसर कमलेश कुलपति के खिलाफ अपना सत्याग्रह आंदोलन शुरू किये और कार्रवाई के शिकार हो गए.

हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्त
हिंदी विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्त

उन पर लगे आरोपों में विश्वविद्यालय के प्रति अनुशासनहीनता एवं दायित्व निर्वहन के प्रति घोर लापरवाही और कर्तव्य विमुखता के लिए कुलसचिव की ओर से समय-समय पर उन्हें आठ नोटिस जारी करने का भी जिक्र किया गया है. उनपर आरोप लगाया गया है कि उनकी ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया है. उनके द्वारा लगातार सोशल मीडिया पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन और अधिकारियों की गरिमा को धूमिल किया जा रहा है. विश्वविद्यालय ने उनके इस आचरण को विश्वविद्यालय के परिनियम के अध्याय 16(1) की धारा 16 की उपधारा, 2,3 और 4 इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के कंडक्ट रूल 1956 के खिलाफ मानते हुए कार्रवाई किया है.

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इसेक साथ ही कुलपति महोदय के निर्देशानुसार शैक्षिक गतिविधियों के सुचारू रूप से संचालन किये जाने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी तरह के धरना-प्रदर्शन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. इसका उल्लंघन शिक्षक/कर्मचारी/विद्यार्थी द्वारा करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने का भी आदेश हुआ है.

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