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आज के दिन ही 'तिरंगा' बना था भारत का राष्ट्रीय ध्वज, संविधान सभा ने दी थी मान्यता

भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा स्वीकार कर लिया गया था. भारत के लिए आज का दिन गर्व का दिन है.

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Published : Jul 22, 2019, 3:24 PM IST

आज ही के दिन तिरंगा बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज.

गोरखपुर: देश की आन-बान और शान का प्रतीक 'तिरंगा' आज के दिन ही भारत का राष्ट्रीय ध्वज बना. 22 जुलाई 1947 तिरंगे को संविधान सभा का द्वारा अपनाया गया, हालांकि इसका इतिहास बड़ा रोचक है. आज इसी तिरंगे का दिन है, जिसके स्वरूप को गढ़ने की कोशिश उन्नीसवी सदी में शुरू हुई. इसे मान्य स्वरूप हासिल करने में 40 वर्ष से ज्यादा का समय लग गया.

राष्ट्रीय ध्वज स्वतंत्रता की अभियक्ति का प्रतीक है. साल 1904 में विवेकानंद जी की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने पहली बार एक ध्वज बनाया. यह ध्वज लाल और पीले रंग से बना था. पहली बार तीन रंग वाला ध्वज 1906 में बंगाल के बटवारे के विरोध में निकाले गए जुलूस में शचीन्द्र कुमार बोस लाए.

आज ही के दिन तिरंगा बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज.

इस ध्वज में सबसे ऊपर केसरिया, बीच मे पीला और नीचे हरा रंग था. केसरिया रंग पर आठ अधखिले कमल के फूल थे. नीचे हरे रंग पर सूर्य और चंद्रमा बना हुआ था. बीच में पीले रंग में हिंदी में वंदे मातरम् लिखा हुआ था. इसी प्रकार 1908 में भीकाजी काम ने जर्मनी में तिरंगा लहराया था. आज के दिन को हर भारतीय गौरवशाली दिन मानता है और इस पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित करने की बात करता है.

मौजूदा तिरंगे के स्वरूप की बात करें तो 1916 में पिंगली वेंकैया, एसबी बोमान और उमर सोमानी ने मिलकर 'नेशनल फ्लैग मिशन' का गठन किया. पिंगली वेंकैया ने पहले लाल और हरे रंग की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र वाला ध्वज बनाया. इसके बाद आखिरी में तिरंगा ध्वज लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया, जिसे 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने भी स्वीकार कर लिया. अब यह तिरंगा हर भरतीय का गौरव है.

गोरखपुर: देश की आन-बान और शान का प्रतीक 'तिरंगा' आज के दिन ही भारत का राष्ट्रीय ध्वज बना. 22 जुलाई 1947 तिरंगे को संविधान सभा का द्वारा अपनाया गया, हालांकि इसका इतिहास बड़ा रोचक है. आज इसी तिरंगे का दिन है, जिसके स्वरूप को गढ़ने की कोशिश उन्नीसवी सदी में शुरू हुई. इसे मान्य स्वरूप हासिल करने में 40 वर्ष से ज्यादा का समय लग गया.

राष्ट्रीय ध्वज स्वतंत्रता की अभियक्ति का प्रतीक है. साल 1904 में विवेकानंद जी की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने पहली बार एक ध्वज बनाया. यह ध्वज लाल और पीले रंग से बना था. पहली बार तीन रंग वाला ध्वज 1906 में बंगाल के बटवारे के विरोध में निकाले गए जुलूस में शचीन्द्र कुमार बोस लाए.

आज ही के दिन तिरंगा बना भारत का राष्ट्रीय ध्वज.

इस ध्वज में सबसे ऊपर केसरिया, बीच मे पीला और नीचे हरा रंग था. केसरिया रंग पर आठ अधखिले कमल के फूल थे. नीचे हरे रंग पर सूर्य और चंद्रमा बना हुआ था. बीच में पीले रंग में हिंदी में वंदे मातरम् लिखा हुआ था. इसी प्रकार 1908 में भीकाजी काम ने जर्मनी में तिरंगा लहराया था. आज के दिन को हर भारतीय गौरवशाली दिन मानता है और इस पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित करने की बात करता है.

मौजूदा तिरंगे के स्वरूप की बात करें तो 1916 में पिंगली वेंकैया, एसबी बोमान और उमर सोमानी ने मिलकर 'नेशनल फ्लैग मिशन' का गठन किया. पिंगली वेंकैया ने पहले लाल और हरे रंग की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र वाला ध्वज बनाया. इसके बाद आखिरी में तिरंगा ध्वज लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया, जिसे 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने भी स्वीकार कर लिया. अब यह तिरंगा हर भरतीय का गौरव है.

Intro:ओपनिंग पीटीसी...

गोरखपुर। देश की आन- बान और शान का प्रतीक 'तिरंगा' आज के दिन ही भारत का राष्ट्रीय ध्वज बना। 22 जुलाई 1947 तिरंगे संविधान सभा का द्वारा अपनाया, हालांकि इसका इतिहास बड़ा रोचक है। मौजूदा दौर में यह जहां पंद्रह अगस्त और 26 जनवरी को लाल किले की प्राचीर के साथ सभी स्कूलों और सरकारी संस्थानों के भवन पर फहराता हुआ हर देशवासी में आजादी की भावना को झंकृत करता है तो इसकी शान बचाने के लिये प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीदों की भी याद दिलाता है। आज इसी तिरंगे का दिन है जिसके स्वरूप को गढ़ने की कोशिश उन्नीसवी सदी में शुरू तो इसे मान्य स्वरूप हासिल करने में 40 वर्ष से ज्यादा का समय लग गया।

नोट--कम्प्लीट स्पेशल पैकेज...वॉइस ओवर अटैच


Body:ध्वज स्वतंत्रता की अभियक्ति का प्रतीक है। 1904 में विवेकानंद जी की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने पहली बार एक ध्वज बनाया। यह ध्वज लाल और पीले रंग से बना था। पहली बार तीन रंग वाला ध्वज 1906 में बंगाल के बटवारे के विरोध में निकाले गए जुलूस में शचीन्द्र कुमार बोस लाये। इस ध्वज में सबसे ऊपर केसरिया, बीच मे पीला और नीचे हरा रंग था। केसरिया रंग पर आठ अधखिले कमल के फूल थे। नीचे हरे रंग पर सूर्य और चंद्रमा बना हुआ था। बीच में पीले रंग में हिंदी में वंदे मातरम लिखा हुआ था। इसी प्रकार 1908 में भीकाजी काम ने जर्मनी में तिरंगा लहराया था। आज के दिन को हर भारतीय गौरवशाली दिन मानता है और इस पर एक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित करने की बात करता है।

बाइट- प्रोफेसर अजय शुक्ला, दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय
बाइट--गणेश कुमार, विद्यार्थी


Conclusion:मौजूदा दौर के तिरंगे के स्वरूप की बात करें तो 1916 में पिंगली वेंकैया, एस.बी.बोमान और उमर सोमानी ने मिलकर 'नेशनल फ्लैग मिशन' का गठन किया। पहले पिंगली वेंकैया ने लाल और हरे रंग की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र वाला ध्वज बनाया और अंततः तिरंगा ध्वज लोगो के बीच लोक प्रिय हो गया। जिसे 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने भी स्वीकार कर लिया। अब यह तिरंगा हर भरतीय का गौरव है तो देश की सीमा की रखवाली में जवान इसी तिरंगे के मान में अपनी प्राण तक दे देता है। आज के अवसर पर ईटीवी भारत तिरंगे को नमन करता है।

क्लोजिंग पीटीसी..
मुकेश पांडेय
Etv भारत, गोरखपुर
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