ETV Bharat / state

गोरखपुर के चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल ने लोगों की बढ़ाई परेशानी, घटने के बजाय बढ़ने लगा जाम - गोरखपुर के चौराहों

गोरखपुर को महानगर की तर्ज पर ट्रैफिक सिस्टम से सुसज्जित करने की पहल की गयी. लोग सबसे बड़ी परेशानी महसूस कर रहे हैं, उसमें यह है कि करीब 2 किलोमीटर के अंदर 6 रेड सिग्नल बनाए गए हैं.

etv  bharat
चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल
author img

By

Published : Jun 18, 2022, 4:13 PM IST

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी का यह शहर लगातार विकास के नए आयामों को गढ़ने और उसे हासिल करने में जुटा हुआ है. इसी में से एक है इस शहर को महानगर की तर्ज पर ट्रैफिक सिस्टम से सुसज्जित करना, जिसके लिए नगर निगम परिसर में आईटीएमएस कंट्रोल रूम स्थापित करके इसका संचालन भी प्रारंभ हो गया है.

पूरी तरह से सिस्टम के अपडेट न होने, चौराहों पर लगाई गई लाल-हरी बत्तियों के ऑपरेशन में टेक्निकल कमियों को दूर न कर पाने और यहां खड़े ट्रैफिक सिपाहियों का भी बेहतरीन प्रशिक्षण न होने से यह सिस्टम लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है. हालांकि इसके लागू होने से पुलिस का तो कोई नुकसान नहीं है बल्कि वह चालान के जरिए प्रतिदिन लाखों रुपये वसूल रही है. लेकिन नियमों से बेपरवाह लोग जिन्हें पुलिस का मार्गदर्शन और खुद से बायां लेन छोड़ने का ज्ञान नहीं है, वह इसका बड़ा नुकसान उठा रहे हैं.

चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल
यही नहीं जो लोग सबसे बड़ी परेशानी महसूस कर रहे हैं उसमें यह है कि करीब 2 किलोमीटर के अंदर 6 रेड सिग्नल बनाए गए हैं. स्थिति यह है कि एक चौराहे से दूसरे चौराहे तक पहुंचने में लोग गाड़ी का गियर भी नहीं बदल पाते और समय भी खूब गवांते हैं. 1 मई से शहर में यह सिस्टम कहने के लिए सुविधा के साथ शुरू हुआ है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस और सिस्टम की बेपरवाही से सुविधा समस्या बनती दिख रही है.
etv bharat
आईटीएमएस कंट्रोल रूम

आए दिन इस व्यवस्था को सुधारने में ट्रैफिक और पुलिस के आला अधिकारी जुटे हुए हैं. हर दिन कोई न कोई आईटीएमएस का निरीक्षण करता है लेकिन यात्रियों को जागरूक करने और सिस्टम को ठीक कर पाने में लोग पूरी तरह सफल नहीं हो रहे. ट्रैफिक के तिराहे से शुरू हुआ रेड सिगनल, काली मंदिर, गणेश चौराहा, गोलघर चौक, शास्त्री चौक, अंबेडकर चौक, जिला अस्पताल तिराहा यह लोगों के लिए एक चक्रव्यू जैसा है.

etv bharat
कंट्रोल रूम

यह अधिकतम 2 किलोमीटर की रेंज में है और इनमें किसी न किसी चौराहे पर लोग गलतियां कर रहे हैं और चालान का शिकार हो रहे हैं. गोरखपुर शहर के एसपी सिटी कृष्ण विश्नोई (SP City of Gorakhpur city Krishna Vishnoi) ने कहा कि निश्चित रूप से इस व्यवस्था से ट्रैफिक सिस्टम में सुधार (traffic system improvements) की पूरी कोशिश हो रही है. अपराध पर नियंत्रण हो रहा है. रही बात जागरूकता के अभाव की तो उसे भी पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम के जरिए ठीक करने का प्रयास चल रहा है. व्यवस्था बहुत जल्द सुधर जाएगी.

इसे भी पढ़ेंः अंतिम सांस ले रही झांसी की रानी ने पुजारी से लिए थे दो वचन, जानिए क्यों ?
इस सिस्टम की वजह से ग्रीन सिग्नल के बाद भी ट्रैफिक सड़क पर रेंगता नजर आता है. जाम लंबा लगा हुआ रहता है. इस संबध में जब एसपी ट्रैफिक डॉ. महेंद्र पाल से बात की गई तो उन्होंने चंडीगढ़ का उदाहरण दिया और कहा कि जब चौराहे और तिराहे हैं तो वहां पर ट्रैफिक सिग्नल होगा ही.

उन्होंने कहा कि किसी भी चौराहे को जो एक सीरीज में हैं, उन्हें इस सुविधा से जोड़ने से वंचित नहीं किया जा सकता. सड़क से बाएं मुड़ने वालों के लिए सिग्नल ग्रीन दिखता है लेकिन बायी लेन खाली नहीं होने के चलते उन्हें भी इंतजार करना पड़ता है. ट्रैफिक पुलिस के इंस्पेक्टर और जवान सिर्फ चालान करने के लिए हैं.

यह सुनिश्चित करना उनका काम नहीं है कि बायी लेन खाली रहे या नहीं. उन्होंने कहा कि नागरिकों में भी ट्रैफिक सेंस होना चाहिए. बायी लेन पर खड़े रहेंगे तो ट्रैफिक जाम होगा ही. वैसे इसे ठीक कराएंगे. सुनिश्चित कराएंगे की बायी लेन खाली रहे. एक सवाल के जवाब में ट्रैफिक के ज्यादातर होमगार्ड और सिपाही प्रशिक्षित नहीं है. इसलिए ऐसी शिकायतें मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि सीनियर ट्रैफिक इंस्पेक्टर द्वारा इनकी ट्रेनिंग कराई जा रही है. धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो जाएगी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी का यह शहर लगातार विकास के नए आयामों को गढ़ने और उसे हासिल करने में जुटा हुआ है. इसी में से एक है इस शहर को महानगर की तर्ज पर ट्रैफिक सिस्टम से सुसज्जित करना, जिसके लिए नगर निगम परिसर में आईटीएमएस कंट्रोल रूम स्थापित करके इसका संचालन भी प्रारंभ हो गया है.

पूरी तरह से सिस्टम के अपडेट न होने, चौराहों पर लगाई गई लाल-हरी बत्तियों के ऑपरेशन में टेक्निकल कमियों को दूर न कर पाने और यहां खड़े ट्रैफिक सिपाहियों का भी बेहतरीन प्रशिक्षण न होने से यह सिस्टम लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है. हालांकि इसके लागू होने से पुलिस का तो कोई नुकसान नहीं है बल्कि वह चालान के जरिए प्रतिदिन लाखों रुपये वसूल रही है. लेकिन नियमों से बेपरवाह लोग जिन्हें पुलिस का मार्गदर्शन और खुद से बायां लेन छोड़ने का ज्ञान नहीं है, वह इसका बड़ा नुकसान उठा रहे हैं.

चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल
यही नहीं जो लोग सबसे बड़ी परेशानी महसूस कर रहे हैं उसमें यह है कि करीब 2 किलोमीटर के अंदर 6 रेड सिग्नल बनाए गए हैं. स्थिति यह है कि एक चौराहे से दूसरे चौराहे तक पहुंचने में लोग गाड़ी का गियर भी नहीं बदल पाते और समय भी खूब गवांते हैं. 1 मई से शहर में यह सिस्टम कहने के लिए सुविधा के साथ शुरू हुआ है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस और सिस्टम की बेपरवाही से सुविधा समस्या बनती दिख रही है.
etv bharat
आईटीएमएस कंट्रोल रूम

आए दिन इस व्यवस्था को सुधारने में ट्रैफिक और पुलिस के आला अधिकारी जुटे हुए हैं. हर दिन कोई न कोई आईटीएमएस का निरीक्षण करता है लेकिन यात्रियों को जागरूक करने और सिस्टम को ठीक कर पाने में लोग पूरी तरह सफल नहीं हो रहे. ट्रैफिक के तिराहे से शुरू हुआ रेड सिगनल, काली मंदिर, गणेश चौराहा, गोलघर चौक, शास्त्री चौक, अंबेडकर चौक, जिला अस्पताल तिराहा यह लोगों के लिए एक चक्रव्यू जैसा है.

etv bharat
कंट्रोल रूम

यह अधिकतम 2 किलोमीटर की रेंज में है और इनमें किसी न किसी चौराहे पर लोग गलतियां कर रहे हैं और चालान का शिकार हो रहे हैं. गोरखपुर शहर के एसपी सिटी कृष्ण विश्नोई (SP City of Gorakhpur city Krishna Vishnoi) ने कहा कि निश्चित रूप से इस व्यवस्था से ट्रैफिक सिस्टम में सुधार (traffic system improvements) की पूरी कोशिश हो रही है. अपराध पर नियंत्रण हो रहा है. रही बात जागरूकता के अभाव की तो उसे भी पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम के जरिए ठीक करने का प्रयास चल रहा है. व्यवस्था बहुत जल्द सुधर जाएगी.

इसे भी पढ़ेंः अंतिम सांस ले रही झांसी की रानी ने पुजारी से लिए थे दो वचन, जानिए क्यों ?
इस सिस्टम की वजह से ग्रीन सिग्नल के बाद भी ट्रैफिक सड़क पर रेंगता नजर आता है. जाम लंबा लगा हुआ रहता है. इस संबध में जब एसपी ट्रैफिक डॉ. महेंद्र पाल से बात की गई तो उन्होंने चंडीगढ़ का उदाहरण दिया और कहा कि जब चौराहे और तिराहे हैं तो वहां पर ट्रैफिक सिग्नल होगा ही.

उन्होंने कहा कि किसी भी चौराहे को जो एक सीरीज में हैं, उन्हें इस सुविधा से जोड़ने से वंचित नहीं किया जा सकता. सड़क से बाएं मुड़ने वालों के लिए सिग्नल ग्रीन दिखता है लेकिन बायी लेन खाली नहीं होने के चलते उन्हें भी इंतजार करना पड़ता है. ट्रैफिक पुलिस के इंस्पेक्टर और जवान सिर्फ चालान करने के लिए हैं.

यह सुनिश्चित करना उनका काम नहीं है कि बायी लेन खाली रहे या नहीं. उन्होंने कहा कि नागरिकों में भी ट्रैफिक सेंस होना चाहिए. बायी लेन पर खड़े रहेंगे तो ट्रैफिक जाम होगा ही. वैसे इसे ठीक कराएंगे. सुनिश्चित कराएंगे की बायी लेन खाली रहे. एक सवाल के जवाब में ट्रैफिक के ज्यादातर होमगार्ड और सिपाही प्रशिक्षित नहीं है. इसलिए ऐसी शिकायतें मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि सीनियर ट्रैफिक इंस्पेक्टर द्वारा इनकी ट्रेनिंग कराई जा रही है. धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो जाएगी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.