गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी का यह शहर लगातार विकास के नए आयामों को गढ़ने और उसे हासिल करने में जुटा हुआ है. इसी में से एक है इस शहर को महानगर की तर्ज पर ट्रैफिक सिस्टम से सुसज्जित करना, जिसके लिए नगर निगम परिसर में आईटीएमएस कंट्रोल रूम स्थापित करके इसका संचालन भी प्रारंभ हो गया है.
पूरी तरह से सिस्टम के अपडेट न होने, चौराहों पर लगाई गई लाल-हरी बत्तियों के ऑपरेशन में टेक्निकल कमियों को दूर न कर पाने और यहां खड़े ट्रैफिक सिपाहियों का भी बेहतरीन प्रशिक्षण न होने से यह सिस्टम लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है. हालांकि इसके लागू होने से पुलिस का तो कोई नुकसान नहीं है बल्कि वह चालान के जरिए प्रतिदिन लाखों रुपये वसूल रही है. लेकिन नियमों से बेपरवाह लोग जिन्हें पुलिस का मार्गदर्शन और खुद से बायां लेन छोड़ने का ज्ञान नहीं है, वह इसका बड़ा नुकसान उठा रहे हैं.
आए दिन इस व्यवस्था को सुधारने में ट्रैफिक और पुलिस के आला अधिकारी जुटे हुए हैं. हर दिन कोई न कोई आईटीएमएस का निरीक्षण करता है लेकिन यात्रियों को जागरूक करने और सिस्टम को ठीक कर पाने में लोग पूरी तरह सफल नहीं हो रहे. ट्रैफिक के तिराहे से शुरू हुआ रेड सिगनल, काली मंदिर, गणेश चौराहा, गोलघर चौक, शास्त्री चौक, अंबेडकर चौक, जिला अस्पताल तिराहा यह लोगों के लिए एक चक्रव्यू जैसा है.
यह अधिकतम 2 किलोमीटर की रेंज में है और इनमें किसी न किसी चौराहे पर लोग गलतियां कर रहे हैं और चालान का शिकार हो रहे हैं. गोरखपुर शहर के एसपी सिटी कृष्ण विश्नोई (SP City of Gorakhpur city Krishna Vishnoi) ने कहा कि निश्चित रूप से इस व्यवस्था से ट्रैफिक सिस्टम में सुधार (traffic system improvements) की पूरी कोशिश हो रही है. अपराध पर नियंत्रण हो रहा है. रही बात जागरूकता के अभाव की तो उसे भी पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम के जरिए ठीक करने का प्रयास चल रहा है. व्यवस्था बहुत जल्द सुधर जाएगी.
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इस सिस्टम की वजह से ग्रीन सिग्नल के बाद भी ट्रैफिक सड़क पर रेंगता नजर आता है. जाम लंबा लगा हुआ रहता है. इस संबध में जब एसपी ट्रैफिक डॉ. महेंद्र पाल से बात की गई तो उन्होंने चंडीगढ़ का उदाहरण दिया और कहा कि जब चौराहे और तिराहे हैं तो वहां पर ट्रैफिक सिग्नल होगा ही.
उन्होंने कहा कि किसी भी चौराहे को जो एक सीरीज में हैं, उन्हें इस सुविधा से जोड़ने से वंचित नहीं किया जा सकता. सड़क से बाएं मुड़ने वालों के लिए सिग्नल ग्रीन दिखता है लेकिन बायी लेन खाली नहीं होने के चलते उन्हें भी इंतजार करना पड़ता है. ट्रैफिक पुलिस के इंस्पेक्टर और जवान सिर्फ चालान करने के लिए हैं.
यह सुनिश्चित करना उनका काम नहीं है कि बायी लेन खाली रहे या नहीं. उन्होंने कहा कि नागरिकों में भी ट्रैफिक सेंस होना चाहिए. बायी लेन पर खड़े रहेंगे तो ट्रैफिक जाम होगा ही. वैसे इसे ठीक कराएंगे. सुनिश्चित कराएंगे की बायी लेन खाली रहे. एक सवाल के जवाब में ट्रैफिक के ज्यादातर होमगार्ड और सिपाही प्रशिक्षित नहीं है. इसलिए ऐसी शिकायतें मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि सीनियर ट्रैफिक इंस्पेक्टर द्वारा इनकी ट्रेनिंग कराई जा रही है. धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो जाएगी.
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