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गोरखपुर ऑक्सीजन कांड : डॉक्टर कफील खान को कोर्ट से मिली राहत

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Published : May 10, 2019, 9:51 PM IST

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड में डॉ. कफील खान को 2 सितम्बर 2017 को सस्पेंड कर दिया गया था. विभागीय कार्यवाही में लेट होने को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की.

डिजाइन इमेज.

गोरखपुर : बीआरडी मेडिकल कॉलेज ऑक्सीजन त्रासदी मामले में बाल रोग विभाग के प्रवक्ता डॉ. कफील खान को निलम्बित किया गया था. इसके बाद डॉ. कफील खान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ 7 जून तक विभागीय जांच पूरी करने और उनके सभी दावों का भुगतान करने का आदेश दिया है.

जानिए पूरा मामला

  • डॉ. कफील खान को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड में लापरवाही बरतने के आरोप में 2 सितम्बर 2017 को सस्पेंड कर दिया गया था.
  • इसके पहले उनके ऊपर केस दर्ज किया गया था.
  • 2 सितम्बर को गिरफ्तार हुए डॉ. कफील 8 महीने से अधिक समय तक जेल में बंद रहे.
  • 25 अप्रैल 2018 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली और 28 अप्रैल की रात जेल से रिहा हुए.
  • जमानत पर छूटने के बाद उन्होंने अपने खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही को जल्द पूर्ण करने के लिए कई बार मांग पत्र दिया.
  • बाद में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने 7 मार्च 2019 को आदेश दिया कि डॉ. कफील के खिलाफ चल रही जांच तीन महीने में पूरी की जाए.
  • इसी बीच उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की. उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि कर्मचारियों के निलम्बन मामले में जांच की कार्रवाई तीन महीने में पूरी कर ली जानी चाहिए.
  • डॉ. कफील का कहना था कि 18 महीने से अधिक समय हो गया, लेकिन अभी तक उनके खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही पूरी नहीं हुई है.
  • इस वजह से उन्हें जीवन निर्वाह में दिक्कत हो रही है.
  • उन्हें वेतन की आधी रकम मिल रही है. वह प्राइवेट प्रैक्टिस भी नहीं कर पा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की. इस सुनवाई में प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप सात जून तक विभागीय जांच पूरी करने और उनके सभी दावों का भुगतान करने का आदेश दिया. डा. कफील की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोरा और एडवोकेट आन रिकार्ड फुजैल अहमद अयूबी प्रस्तुत हुए.

गोरखपुर : बीआरडी मेडिकल कॉलेज ऑक्सीजन त्रासदी मामले में बाल रोग विभाग के प्रवक्ता डॉ. कफील खान को निलम्बित किया गया था. इसके बाद डॉ. कफील खान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ 7 जून तक विभागीय जांच पूरी करने और उनके सभी दावों का भुगतान करने का आदेश दिया है.

जानिए पूरा मामला

  • डॉ. कफील खान को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड में लापरवाही बरतने के आरोप में 2 सितम्बर 2017 को सस्पेंड कर दिया गया था.
  • इसके पहले उनके ऊपर केस दर्ज किया गया था.
  • 2 सितम्बर को गिरफ्तार हुए डॉ. कफील 8 महीने से अधिक समय तक जेल में बंद रहे.
  • 25 अप्रैल 2018 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली और 28 अप्रैल की रात जेल से रिहा हुए.
  • जमानत पर छूटने के बाद उन्होंने अपने खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही को जल्द पूर्ण करने के लिए कई बार मांग पत्र दिया.
  • बाद में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने 7 मार्च 2019 को आदेश दिया कि डॉ. कफील के खिलाफ चल रही जांच तीन महीने में पूरी की जाए.
  • इसी बीच उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की. उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि कर्मचारियों के निलम्बन मामले में जांच की कार्रवाई तीन महीने में पूरी कर ली जानी चाहिए.
  • डॉ. कफील का कहना था कि 18 महीने से अधिक समय हो गया, लेकिन अभी तक उनके खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही पूरी नहीं हुई है.
  • इस वजह से उन्हें जीवन निर्वाह में दिक्कत हो रही है.
  • उन्हें वेतन की आधी रकम मिल रही है. वह प्राइवेट प्रैक्टिस भी नहीं कर पा रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई की. इस सुनवाई में प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप सात जून तक विभागीय जांच पूरी करने और उनके सभी दावों का भुगतान करने का आदेश दिया. डा. कफील की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोरा और एडवोकेट आन रिकार्ड फुजैल अहमद अयूबी प्रस्तुत हुए.

Intro:गोरखपुर. बीआरडी मेडिकल कॉलेज आक्सीजन त्रासदी मामले में निलम्बित किए गए बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के प्रवक्ता डा. कफील खान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ विभागीय जांच को समय से पूरा करने और उनके सभी दावों का भुगतान जल्द करने का आदेश दिया है.Body:डा. कफील खान को 10 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कालेज में हुए आक्सीजन कांड में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए दो सितम्बर 2017 को सस्पेंड कर दिया गया था. इसके पहले उनके उपर केस दर्ज किया गया था. वह 2 सितम्बर को  गिरफतार हुए. आठ महीने से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद 25 अप्रैल 2018 को उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिली और वह 28 अप्रैल की रात जेल से रिहा हुए.
जमानत पर छूटने के बाद उन्होंने अपने खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही को जल्द पूर्ण करने के लिए कई बार मांग पत्र दिया. बाद में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिस पर हाईकोर्ट ने सात मार्च 2019 को आदेश दिया कि डा. कफील के खिलाफ चल रही जांच तीन महीने के अंदर पूरा किया जाए. तीन महीने की यह अवधि सात जून को पूरी हो रही है. Conclusion:अभी तक उनके खिलाफ विभागीय जांच पूरी होने के बारे में कोई खबर नहीं है.
इसी बीच उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की. उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि कर्मचारियों के निलम्बन मामले में जांच की कार्रवाई तीन महीने में पूरी कर ली जानी चाहिए. डा. कफील का कहना था कि 18 महीने से अधिक समय हो गया लेकिन अभी तक उनके खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही पूरी नहीं हुई है. इस कारण न उन्हें जीवन निर्वाह में दिक्कत हो रही है. उन्हें वेतन का आधा रकम मिल रहा है. वह प्राइवेट प्रेक्टिस भी नहीं कर पा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की डिवीजन बेंच ने आज मामले की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप सात जून तक विभागीय कार्रवाई पूरी करने और उनके सभी दावों का भुगतान करने का आदेश दिया. डा. कफील की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोरा और एडवोकेट आन रिकार्ड फुजैल अहमद अयूबी प्रस्तुत हुए.

संजय कुमार ग्रामीण विधानसभा गोरखपुर उत्तर प्रदेश
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