गोरखपुर: 5 सालों में भी सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक की स्थापना नहीं कर पाने वाला गोरखपुर एम्स अब नए साल की शुरुआत से स्वास्थ्य की सारी सुविधाओं को शुरू करेगा. इसकी पूरी तैयारियां भी कर ली गई है. लीवर, हार्ट, किडनी और न्यूरो की बीमारी का अब यहां इलाज होगा. एम्स के प्रेसिडेंट और पूर्व सीनियर आईएएस देश दीपक वर्मा ने बताया कि सुपर स्पेशियलिटी के ऐसे डॉक्टरों की तैनाती को लेकर सरकार ने कुछ नियमों में बदलाव के साथ नई गाइडलाइन जारी की है. जिससे, अब इनकी तैनाती में आसानी होगी. रिटायर्ड डॉक्टर से लेकर नए विशेषज्ञों को इन पदों पर चयनित किया जाएगा. इसके साथ ही नए साल में डायलिसिस जैसी यूनिट भी एम्स संचालित किया जाएगा, जिससे पूर्वांचल के मरीजों को बड़ा लाभ मिलेगा.
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25 सीनियर रेजिडेंट एम्स गोरखपुर में: देश दीपक वर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जो पहल की थी उसके आधार पर अब सीनियर रेजिडेंट बांड के आधार पर एम्स में आएंगे. ऐसा पहली बार हो रहा है, जिसमें 25 सीनियर रेजिडेंट एम्स गोरखपुर को मिलेंगे. जनवरी में शुरू हो रहे सत्र में 43 जूनियर डॉक्टर 19 विभागों में आएंगे. अभी 14 विभागों में 33 जूनियर डॉक्टर पढ़ाई के साथ ही रोगियों के उपचार में भी जुटे हैं. वहीं, जब नए वर्ष में सुपर स्पेशियलिटी में डॉक्टरों की तैनाती होगी, तो उनकी संख्या 62 विशेषज्ञों की होगी. जिससे न सिर्फ गोरखपुर बल्कि, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के पश्चिमी हिस्से के साथ नेपाल के भी मरीजों को बड़ा लाभ मिलेगा. एम्स में प्रतिदिन 1500 से 3 हजार मरीजों का रजीस्ट्रेशन ओपीडी में होता है.
ब्रान्कोस्कोपी से होगी फेफड़ों की अंदर तक जांचः एम्स के प्रेसीडेंट देश दीपक वर्मा ने बताया कि एम्स में 200 सीनियर रेजिडेंट और जूनियर रेजिडेंट होंगे, जो पहले की संख्या से अधिक होंगे. परिसर में मिल्क पार्लर के साथ रैन बसेरा भी शुरू हो चुका है, जो भर्ती मरीजों के परिजनों को मात्र 75 रुपये में 24 घंटे रुकने के लिए उपयुक्त होगा. पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में अत्याधुनिक ब्रान्कोस्कोपी से फेफड़ों के ज्यादा अंदर तक पहुंच कर जांच, बायोप्सी के लिए कोशिकाएं इकट्ठा करना भी आसान हो जायेगा. मशीन इंस्टॉल हो चुकी है. किसी भी नये एम्स में इस तरह की सुविधा के मामले में यह पहला एम्स है. इससे बच्चों की भी जांच हो सकेगी.
लोन पर लिए जाएंगे डॉक्टर: एम्स प्रेसिडेंट ने कहा कि सुपर स्पेशलिटी के लिए डॉक्टर लोन पर लिए जाएंगे. यानी की अगर किसी मेडिकल कॉलेज या एम्स में एक ही विभाग के कई डॉक्टर हैं, तो उन्हें गोरखपुर में सेवा देने के लिए लाया जाएगा. ऐसी सरकार की पॉलिसी के तहत प्रक्रिया चल रही है, जो सकारात्मक दिशा में है. वहीं रिटायर्ड डॉक्टर को भी इस सेवा में लाने की पॉलिसी तय हो गई है. अब तक करीब 15 लाख से अधिक मरीजों का यहां पंजीकरण हो चुका है. जिसमें 13 लाख से अधिक मरीज देखे भी जा सकेंगे. इसी महीने आईसीयू में 30 और बेड बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर में लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या को देखते हुए आईसीयू वार्ड को जल्दी शुरू करने की योजना बनाई गई है. अभी वेंटिलेटर नहीं होने के चलते गंभीर मरीजों के उपचार में दिक्कत आ रही है.
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