गोरखपुर: रविवार को गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी है. रविवार के दिन अश्विन नक्षत्र होने से आनंद नामक महाऔदायिक योग भी बन रहा है. यह व्रत मार्गशीर्ष हिंदी के अगहन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है. इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है. कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र के युद्ध स्थल पर कर्म से विमुख हुए अर्जुन को भगवान कृष्ण ने आज ही के दिन गीता का उपदेश दिया था. ऐसी मान्यता है कि जिस प्रकार अर्जुन को मोक्ष प्राप्त हुआ था. उसी प्रकार एकादशी व्रत को करने से सभी श्रद्धालुओं को लोभ, मोह, पापों से मुक्ति मिल जाती है.
श्रीमद्भागवत गीता का है विशेष महत्व
सभी धर्म ग्रंथों में श्रीमद्भागवत गीता का अपना विशेष महत्व है और यही वजह है कि धर्म ग्रंथों के प्रकाशन के सबसे बड़े केंद्र गोरखपुर के गीता प्रेस में गीता जयंती को विशेष रूप से मनाया जाता है. गीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने बताया कि इस दिन परिसर में हवन, पूजन पाठ के साथ श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन होता है. उन्होंने कहा कि भगवत गीता का लोगों के जीवन में विशेष महत्व है. यही वजह है कि सभी धर्म ग्रंथों में गीता ही एक ऐसा ग्रंथ है, जिसके नाम से जयंती शब्द जुड़ा है और यह मनाया भी जाता है.
खास दिन पर विशेष प्रकाशन
देवीदयाल अग्रवाल ने कहा कि गीता जयंती से गीता के समस्त संग्रह को संकलित करते हुए गीता प्रेस ग्रंथकार नामक पुस्तक का प्रकाशन कर रहा है. जिसमें गीता के संस्कृत में लिखे हुए श्लोक का हिंदी में भावपूर्ण वर्णन किया गया जा रहा है. साथ ही हर पृष्ठ पर भाव से जुड़े चित्र भी प्रस्तुत किए जाएंगे, जिससे पाठक को पढ़ने के साथ पुस्तक को देखने का भी आनंद प्राप्त होगा.
उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में लिखे हुए श्लोकों की एक और विशेषता यह होगी कि श्लोक को पढ़ने के लिए उनके शब्द जहां-जहां टूट रहे होंगे उन्हें अलग-अलग रंगों में छापा जा रहा है, जिससे पाठक ढंग से समझते हुए श्लोक को पढ़ता जाएगा. उन्होंने मानना है कि गीता के ज्ञान के लिए गीता के पाठकों को यह पुस्तक बेहद लाभ पहुंचाएगी, जो गीता जयंती के अवसर पर गीता प्रेस प्रबंधन की एक और बड़ी उपलब्धि होगी.