गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्रावासियों ने शनिवार की देर शाम कुलपति आवास पर अर्धनग्न प्रदर्शन किया. 27 दिसंबर तक छात्रावास को खाली करने के निर्देश के बाद से ही छात्रों में रोष व्याप्त है. सुबह भी हास्टल में रहने वाले परास्नातक और एलएलबी के छात्रों ने विश्वविद्यालय गेट और प्रशासनिक भवन पर प्रदर्शन कर विरोध जताया था. विश्वविद्यालय प्रशासन ने यूजीसी के निर्देश के बाद छात्रावास को सैनेटाइजेशन और मरम्मत के लिए खाली करने का फरमान जारी किया था.
27 दिसंबर तक छात्रावास खाली करने का है निर्देश
गोरखपुर विश्वविद्यालय के स्नातक के छात्रावास पहले से ही खाली हैं. परास्नातक और एलएलबी के छात्रावासियों को 27 दिसंबर तक छात्रावास खाली करने का निर्देश दिया गया है. ऐसे में बाहर से आकर यहां पर रहने वाले छात्रावासियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. उनके सामने समस्या इस बात की है कि वे छात्रावास खाली करने के बाद कहां जाएंगे. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन के छात्रावास खाली करने के फरमान के कारण छात्रों में रोष व्याप्त हो गया.
शनिवार की सुबह जब धरना-प्रदर्शन के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन और कुलपति ने छात्रों की मांग का अनसुना कर दिया, तो छात्रावासी आक्रोशित हो गए. वे देर शाम विश्वविद्यालय के कुलपति के आवास पर पहुंच गए. यहां पर छात्रों ने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से सभी छात्रावास के वार्डन के माध्यम से एक कमेटी बनाकर छात्रों से वार्ता की गई.
छात्रों ने कहा-जारी रखेंगे धरना
छात्रावासी आलोक सिंह ने बताया कि कक्षाएं चल रही हैं. इसके बावजूद उन्हें छात्रावास खाली करने के लिए कहा गया है. छात्रावासी दूर-दराज के रहने वाले हैं. परीक्षाएं भी नजदीक हैं. इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षाएं भी करीब हैं. ऐसे में उनके साथ इस बात की समस्या है कि उत्तराखंड और कश्मीर के भी छात्र यहां पर हैं. उन्हें वापस जाने में 4-5 साधन बदलने पड़ेंगे. जिसेसे कोरोना का खतरा बढ़ जाएगा. ऐसे में उनके पास रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या है. इसके बावजूद कुलपति उनसे संवाद करने के लिए नहीं आते हैं. वे कहते हैं कि जब तक ये तुगलकी फरमान वापस नहीं होता है, वे धरना जारी रखेंगे.
दोनों ही ओर से नहीं बन रही बात
वैश्विक महामारी के काल में यूजीसी के आदेश का पालन कर हास्टल को सैनेटाइज कराना भी जरूरी है. वहीं विश्वविद्यालय के छात्रावास में मरम्मत का काम भी बरसों से लंबित पड़ा है. ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रहित को देखते हुए ही छात्रावास को खाली कराना चाहता है. वहीं स्टूटडेंट की भी अपनी मजबूरी है कि वे कहां जाएं. यही वजह है कि दोनों ही ओर से बात बनती नजर नहीं आ रही है.