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गोरखपुर: 21 जून को लग रहा सूर्य ग्रहण, जानिए क्या कहता है ज्योतिष विज्ञान - सूर्यग्रहण का राशि पर असर

21 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण पर खगोल वैज्ञानिक और ज्योतिष अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. खगोल विज्ञान के अनुसार ग्रहण को बिना चश्मे के देखने से आंख की रेटिना पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. वहीं ज्योतिष के अनुसार इस बार सूर्य ग्रहण मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र के बीच में घटित होगा.

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जानकारी देते ज्योतिषाचार्य शरद चंद मिश्र.
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Published : Jun 20, 2020, 4:37 PM IST

गोरखपुर: 21 जून रविवार को पूरे विश्व में सूर्य ग्रहण लग रहा है. खगोल विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान ग्रहण पर अपनी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. ज्योतिष के अनुसार रविवार के दिन लग रहे इस ग्रहण को 'चूड़ामणि' नाम से जाना जाएगा, जिसका मिथुन राशि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. वहीं दुनिया के कई राष्ट्रों में मतभेद और संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है. हालांकि इस दिन ग्रहण के पूर्व और बाद में स्नान करने के बाद दान करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होगा. जैसा कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी सहित सभी तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से प्राप्त होता है. गोरखपुर में सूर्य ग्रहण 21 जून को दिन में 10 बजकर 32 मिनट 54 सेकंड से दोपहर में 2 बजकर 5 मिनट 3 सेकंड तक रहेगा.

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य शरद चंद मिश्र.
वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोल वैज्ञानिक अमरपाल सिंह ने बताया कि यह ग्रहण शोध का विषय है. खगोल की भाषा में इसे 'एनुलर सोलर एक्लिप्स' कहते हैं. ग्रहण तीन से चार प्रकार के होते हैं. सूर्य ग्रहण की स्थिति तब बनती है, जब चंद्रमा की छाया सूर्य पर पड़े और चंद्रमा सूर्य को ढक ले. इस ग्रहण के दौरान सूर्य वलयाकार स्थिति में नजर आता है और एक छल्ले या रिंग के आकार का दिखने लगता है.

नंगी आखों से न देखें सूर्य ग्रहण

अमरपाल सिंह ने बताया कि इस ग्रहण को बिना चश्मे के देखने से आंख की रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए ग्रहण को देखने के इच्छुक लोग सोलर फिल्टर, सोलर चश्मे, सोलर टेलिस्कोप और पिनहोल कैमरे के माध्यम से देखें. खगोल वैज्ञानिक ने बताया कि इस बार सूर्य ग्रहण के दौरान जो स्थिति बनने जा रही है, उसी ने इसे दुर्लभ बना दिया है. उन्होंने बताया कि सूर्य और चंद्रमा के बीच ग्रहण के समय की दूरी इस बार खास है. यह ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्वी यूरोप और पूरे एशिया में देखा जा सकेगा.

20 जून रात 9.16 बजे से शुरू होगा ग्रहण का सूतक

ज्योतिषाचार्य शरद चंद मिश्र के अनुसार मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र के बीच में इसके घटित होने से आने वाले समय में वर्षा में कमी, प्रमुख राष्ट्राध्यक्ष के मध्य तनाव, तालाब और नदियों में जल का प्रवाह कम होने जैसी घटनाएं होंगी. ग्रहण के दौरान सूर्य उपासना, आदित्य हृदयस्त्रोत, सूर्याअष्टक स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. रोग शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. ग्रहण का सूतक 20 जून की रात 9.16 बजे से प्रारंभ हो जाएगा, जिसके बाद स्नान,ध्यान, पूजन का विधान है. वहीं ज्योतिषियों ने बताया कि ग्रहण समाप्ति के बाद ही भोजन ग्रहण करना उचित है.

गोरखपुर: 21 जून रविवार को पूरे विश्व में सूर्य ग्रहण लग रहा है. खगोल विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान ग्रहण पर अपनी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. ज्योतिष के अनुसार रविवार के दिन लग रहे इस ग्रहण को 'चूड़ामणि' नाम से जाना जाएगा, जिसका मिथुन राशि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. वहीं दुनिया के कई राष्ट्रों में मतभेद और संघर्ष की स्थिति पैदा हो सकती है. हालांकि इस दिन ग्रहण के पूर्व और बाद में स्नान करने के बाद दान करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होगा. जैसा कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी सहित सभी तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से प्राप्त होता है. गोरखपुर में सूर्य ग्रहण 21 जून को दिन में 10 बजकर 32 मिनट 54 सेकंड से दोपहर में 2 बजकर 5 मिनट 3 सेकंड तक रहेगा.

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य शरद चंद मिश्र.
वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोल वैज्ञानिक अमरपाल सिंह ने बताया कि यह ग्रहण शोध का विषय है. खगोल की भाषा में इसे 'एनुलर सोलर एक्लिप्स' कहते हैं. ग्रहण तीन से चार प्रकार के होते हैं. सूर्य ग्रहण की स्थिति तब बनती है, जब चंद्रमा की छाया सूर्य पर पड़े और चंद्रमा सूर्य को ढक ले. इस ग्रहण के दौरान सूर्य वलयाकार स्थिति में नजर आता है और एक छल्ले या रिंग के आकार का दिखने लगता है.

नंगी आखों से न देखें सूर्य ग्रहण

अमरपाल सिंह ने बताया कि इस ग्रहण को बिना चश्मे के देखने से आंख की रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए ग्रहण को देखने के इच्छुक लोग सोलर फिल्टर, सोलर चश्मे, सोलर टेलिस्कोप और पिनहोल कैमरे के माध्यम से देखें. खगोल वैज्ञानिक ने बताया कि इस बार सूर्य ग्रहण के दौरान जो स्थिति बनने जा रही है, उसी ने इसे दुर्लभ बना दिया है. उन्होंने बताया कि सूर्य और चंद्रमा के बीच ग्रहण के समय की दूरी इस बार खास है. यह ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्वी यूरोप और पूरे एशिया में देखा जा सकेगा.

20 जून रात 9.16 बजे से शुरू होगा ग्रहण का सूतक

ज्योतिषाचार्य शरद चंद मिश्र के अनुसार मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र के बीच में इसके घटित होने से आने वाले समय में वर्षा में कमी, प्रमुख राष्ट्राध्यक्ष के मध्य तनाव, तालाब और नदियों में जल का प्रवाह कम होने जैसी घटनाएं होंगी. ग्रहण के दौरान सूर्य उपासना, आदित्य हृदयस्त्रोत, सूर्याअष्टक स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. रोग शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. ग्रहण का सूतक 20 जून की रात 9.16 बजे से प्रारंभ हो जाएगा, जिसके बाद स्नान,ध्यान, पूजन का विधान है. वहीं ज्योतिषियों ने बताया कि ग्रहण समाप्ति के बाद ही भोजन ग्रहण करना उचित है.

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