गोरखपुर: यूपी में विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर करने के प्रयासों में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल को राज्यसभा में दो प्रमख पदों से नवाजा है. करीब दस दिन पहले उन्हें पार्टी ने राज्य सभा में मुख्य सचेतक बनाया था तो शुक्रवार 31 जुलाई को ' एथिक्स कमेटी' का भी चेयरमैन बनाकर शिव प्रताप के कद को संसद से लेकर पूर्वांचल तक बढ़ा दिया.
शिव प्रताप शुक्ल गोरखपुर की राजनीति से लेकर केंद्र और प्रदेश में अपना मजबूत आधार जमा चुके हैं. साल 2002 से उनके संबंध सीएम योगी आदित्यनाथ से अच्छे नहीं रहे, क्योंकि योगी ने उनके खिलाफ राजनीतिक विरोधी तैयार किये थे. शिव प्रताप के इस प्रमोशन से ब्राह्मणों की नाराजगी को पार्टी दूर करने के क्रम में देखा जा रहा है, क्योंकि यह हवा तेज है कि योगी की सरकार में ठाकुर (क्षत्रिय) जाति के लोगों की पूछ ज्यादा है.
राज्यसभा के सभापति एम वैंकेया नायडू ने उन्हें राज्यसभा की एथिक्स कमेटी का चेयरमैन बनाया है. यह कमेटी सांसदों के सदन के अंदर या बाहर के किसी भी प्रकार के आचार-व्यवहार की शिकायत की जांच करती है.
एथिक्स कमेटी में चेयरमैन के अलावा दस सदस्य होते हैं. इनमें कांग्रेस के आनंद शर्मा, सपा के राम गोपाल यादव, एआईएडीएमके के नवनीत कृष्णन, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन, जेडीयू के रामचन्द्र प्रसाद सिंह, बीजेडी के प्रसन्ना आचार्य और टीआरएस के केशव राव आदि सदस्य हैं.
शिव प्रताप शुक्ल विधि स्नातक हैं. इसके अलावा उन्हें यूपी सरकार में 3 बार मंत्री रहने का अनुभव है. वह संगठन के तपे-तपाये कार्यकर्ता हैं. इस लिहाज से उनका कद बढ़ना कोई अचरच की भी बात नहीं, लेकिन इसके साथ ही एक बात और भी स्पष्ट है कि इनके केंद्रीय राजनीति और मोदी कैबिनेट में जगह पाने की असली वजह कलराज मिश्र रहे जो वर्तमान में राजस्थान के गवर्नर हैं. जब मोदी कैबिनेट से कलराज की छुट्टी हुई तो ब्राह्मण चेहरे के रूप में पूर्वांचल से ही शिव प्रताप को केंद्र में वित्त राज्य मंत्री बनाया गया. मोदी-2 सरकार में यह मंत्री तो नहीं बने, लेकिन संगठन और सदन में पार्टी ने इनका कद बढ़ा दिया.
शिव प्रताप का राजनीति सफर...
1970 से शिवप्रताप शुक्ल ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से शुरू में जुड़े. वह इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तार भी किये गए. वह 2012 में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बने. गोरखपुर नगर से 1989 में पहली बार विधायक बने. इसके बाद 1991, 1993 और 1996 में लगातार गोरखपुर से विधायक चुने गये. तीन बार प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे.